<figure> <img alt="कश्मीर इंटरनेट" src="https://c.files.bbci.co.uk/EF5B/production/_110757216_tv059318668.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भारत सरकार ने बीती 25 जनवरी को कश्मीर घाटी में 2G इंटरनेट एक बार फिर शुरू कर दिया है. </p><p>सत्तर लाख लोगों की आबादी वाली कश्मीर घाटी में बीते छह महीने से इंटरनेट बंद था. </p><p>केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था. </p><p>इसके बाद से कश्मीर में इंटरनेट और प्री-पेड मोबाइल फ़ोन पर प्रतिबंध जारी था. </p><p>घाटी में दुकानें और सामान्य आवागमन लगभग चार महीने तक प्रतिबंधित रहा. </p><p>इसके साथ ही शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों की भी इजाज़त नहीं थी क्योंकि विरोध करने वालों को या तो हिरासत में लिया जा रहा था या फ़िर गिरफ़्तार करने के बाद रिहाई के लिए बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने को कहा जा रहा था. </p><h3>सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला</h3><p>कश्मीरी पत्रकार अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट में इंटरनेट पर जारी पाबंदियों को हटाने के लिए याचिका दाख़िल की थी. </p><p>अदालत ने दो हफ़्ते पहले इस याचिका पर सुनवाई करते हुए फ़ैसला दिया है. </p><p>कोर्ट ने इस मसले पर बात करते हुए इंटरनेट को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अधिकार को इस्तेमाल करने के लिए ज़रूरी चीज बताया.</p><p>इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट बंद किए जाने से जुड़े आदेश और प्रक्रियाएं तार्किक होने चाहिए. </p><p>कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत इंटरनेट इस्तेमाल करना मूलभूत अधिकार है. </p><p>कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एक हफ़्ते के अंदर इंटरनेट पर पाबंदी लगाए जाने वाले सभी आदेशों की समीक्षा करने का आदेश दिया. </p><p>कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी पर नज़र रखने वाले अपार गुप्ता कहते हैं, "अदालत ने कुछ सिद्धांतों और दिशानिर्देशों के आधार पर राज्य सरकार को प्रतिबंधों से जुड़े सभी आदेशों की समीक्षा करने का आदेश दिया है. इन सिद्धांतों में ये शामिल है कि राज्य सरकारें अनिश्चितकाल के लिए ऐसे आदेश पारित नहीं कर सकती हैं." </p><p>"लेकिन इन सिद्धांतों और दिशानिर्देशों को उजागर किया जाना चाहिए ताकि आने वाले समय में जब सरकार कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करे तो लोग इस मुद्दे पर अदालत जा सके."</p><figure> <img alt="कश्मीर इंटरनेट" src="https://c.files.bbci.co.uk/5703/production/_110757222_tv059090035.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>कोर्ट के आदेश पर क्या कहते हैं आलोचक?</h3><p>कोर्ट ने अपने आदेश में सरकार को इस निर्णय की समीक्षा करने को कहा था लेकिन जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी को ख़त्म करने का आदेश नहीं दिया था. </p><p>कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि अदालत याचिकाकर्ताओं को सही ढंग से राहत पहुंचाने में विफल रही. </p><p>इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को जो निर्देश जारी किए हैं उनके पालन के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की गयी.</p><p>इसके साथ ही ये आदेश इतना अस्पष्ट है कि सरकार को इसे मानते हुए दिखने के लिए ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. </p><p>यही नहीं, कश्मीर में कुछ वेबसाइट्स पर प्रतिबंध हटाया गया है. और इंटरनेट स्पीड भी काफ़ी कम है. </p><p>लेकिन इस सबके बावजूद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर लिया है. </p><p>विशेषज्ञ कहते हैं कि ये आदेश भविष्य में इंटरनेट बैन को लेकर एक मिसाल बन सकता था. </p><p>लेकिन कोर्ट ने इंटरनेट बैन किए जाने के सरकारी आदेश के कानूनी पहलू को नहीं देखा जिसकी वजह से 5 अगस्त 2019 से कश्मीर में इंटरनेट बंद है. </p><p>इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक अपार गुप्ता कहते हैं, "ये फ़ैसला तब एक फ़ैसले की शक्ल लेता जब वह कश्मीर में इंटरनेट और दूरसंचार सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने वाले मूल आदेशों के कानूनी पहलुओं की तह में जाता. कोर्ट को उन आदेशों को मंगवाना चाहिए था, जिनके तहत ये फ़ैसला लिया गया, ताकि उनकी वैधता को सही ठहराया जा सके. अगर ऐसा होता तो ये एक मिसाल खड़ी करता है और इसे एक फ़ैसले की शक्ल देते."</p><p>"कोर्ट फ़ैसले तक नहीं पहुंचा. और इंटरनेट बंद करने के आदेशों की कानूनी वैधता तय नहीं करता है. ये बात इस फ़ैसले की मुख्य कमी है."</p><figure> <img alt="कश्मीर इंटरनेट" src="https://c.files.bbci.co.uk/1586F/production/_110757188_hi058978529.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><h3>कोर्ट के आदेश के बाद क्या हुआ?</h3><p>सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक हफ़्ते बाद जम्मू और कश्मीर सरकार के गृह मंत्रालय ने अस्पतालों, बैंक और सरकारी दफ़्तरों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट को फिर से शुरू करने का आदेश दिया. </p><p>कश्मीरी पत्रकार हिलाल अहमद मीर बताते हैं, "अगर आप आदेश पढ़ें तो संस्थानों में इंटरनेट फिर से शुरू करने की बात भ्रमित करने वाली है. संस्थानों को इसके लिए एक नोडल ऑफ़िसर नियुक्त करना होगा जोकि प्रतिदिन इंटरनेट का पासवर्ड बदलेगा और इस पर नज़र रखेगा कि इंटरनेट का इस्तेमाल कौन कर रहा है."</p><p>इस आदेश में इंटरनेट सर्विस प्रदाताओं से संस्थानों को इंटरनेट सेवा देने से पहले कुछ वेबसाइटों को चुनने को कहा गया है. </p><p>इसके साथ ही सभी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.</p><p>कश्मीर में ब्रॉडबेंड इंटरनेट अभी भी बंद है. किसी भी घर में ब्रॉडबैंड इंटरनेट अब तक शुरू नहीं हुआ है. </p><p>25 जनवरी को जम्मू और कश्मीर में पोस्ट-पेड मोबाइल सेवा पर 2G मोबाइल इंटरनेट शुरू किया गया है.</p><p>इसके साथ ही इंटरनेट पर सिर्फ 301 सरकारी वेबसाइटें खोली जा सकती हैं. </p><p>ये बैन किसी भी लोकतांत्रिक देश की ओर से लगाया गया सबसे लंबा बैन था. लेकिन जब ये बैन हटाया गया है तब भी कुछ शर्तें लगाई गई हैं.</p><figure> <img alt="कश्मीर इंटरनेट" src="https://c.files.bbci.co.uk/23D7/production/_110757190_tv058792772.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>इंटरनेट शुरू होने के बाद से कश्मीर में क्या बदला?</h3><p>कश्मीर में इंटरनेट चालू होने के बाद जिन वेबसाइटों को इस्तेमाल किया जा सकता है उनमें ट्रेवल, एजुकेशन, न्यूज़, ईमेल, और एंटरटेनमेंट क्षेत्र की वेबसाइटें शामिल है.</p><p>एंटरटेनमेंट वाली वेबसाइटों में नेटफ़्लिक्स और अमेज़न प्राइम शामिल है लेकिन यूट्यूब शामिल नहीं है. </p><p>उत्तरी कश्मीर के सोपोर के रहने वाले एक कलाकार वसीम जागरू कहते हैं, "कोई नेटफ़्लिक्स पर वीडियो कैसे देख सकता है जब टॉप इंटरनेट स्पीड 36 केबी प्रति सेकेंड है."</p><p>सरकार की ओर से होटल और ट्रेवल एजेंट्स के दफ़्तरों में भी चुनिंदा वेबसाइटों के लिए फिक्स्ड-लाइन ब्रॉडबैंड इंटरनेट चालू कर दिया गया है. </p><p>लेकिन कई होटल वाले और ट्रेवल एजेंट्स अपने यहां इंटरनेट शुरू होने का आज भी इंतज़ार कर रहे हैं. </p><p>श्रीनगर के ट्रेवल एजेंट इरफ़ान शफ़ी भट कहते हैं, "किसी भी ट्रैवल एजेंसी का ब्रॉडबैंड इंटरनेट चालू नहीं किया गया है. गृह मंत्रालय ने कहा था कि ब्रॉडबैंड इंटरनेट शुरू हो जाएगा लेकिन ये एक झूठ है. मैं अपने फोन पर 2 जी इंटरनेट इस्तेमाल कर सकता हूं लेकिन ब्रॉडबैंड कभी शुरू नहीं किया गया"</p><p>"ये 2 जी इंटरनेट हमारे लिए बेकार है. आप 2जी इंटरनेट पर कोई बुकिंग नहीं कर सकते हैं. वॉट्सऐप अभी भी प्रतिबंधित है. सिर्फ जीमेल का इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन लैपटॉप और कंप्यूटर पर उसे भी इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं."</p><figure> <img alt="इंटरनेट बैन" src="https://c.files.bbci.co.uk/71F7/production/_110757192_tv058792765.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>इंटरनेट प्रतिबंध का कश्मीरी मीडिया पर असर</h3><p>इंटरनेट फिर से शुरू करने के सरकारी आदेशों में से किसी भी आदेश में मीडिया संस्थानों का ज़िक्र नहीं है. </p><p>कश्मीर के सभी मीडिया संस्थान 5 अगस्त के बाद से इंटरनेट के बिना अपना काम कर रहे हैं. </p><p>कश्मीर के पत्रकारों को सरकार की ओर से चलाए जा रहे मीडिया सेवा केंद्र से जाकर इंटरनेट इस्तेमाल करना होता है. </p><p>वे वहीं से अपने लेखों को भेज सकते हैं. </p><p>कश्मीरी पत्रकार शम्स इरफ़ान बताते हैं, "हम वो लोग हैं जो दुनिया को ये बताएंगे कि कश्मीर में क्या हो रहा है. लेकिन मुझे लगता है कि सरकार ऐसा नहीं चाहती है. कश्मीर में पत्रकारों के पास इंटरनेट न होने की यही एक वजह हो सकती है. (क्योंकि) अगर आप सूचना के प्रसार को रोक लेते हैं तो आप उसे नियंत्रित कर सकते हैं."</p><p>वहीं, कश्मीर यूनिवर्सिटी में पीएचडी के छात्रों को यूनिवर्सिटी में उपलब्ध इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए एक राज़ीनामा देना होता है. </p><p>इस राज़ीनाम में वो शर्तें शामिल हैं जिनके तहत इंटरनेट इस्तेमाल किया जा सकता है. </p><figure> <img alt="इंटरनेट बैन" src="https://c.files.bbci.co.uk/C017/production/_110757194_tv058942886.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>इन शर्तों के तहत "बिना इजाज़त के सोशल नेटवर्किंग साइट, प्रॉक्सी, वीपीएन इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. इसके साथ ही डेस्कटॉप/लैपटॉप को वाइफाई के लिए हॉटस्पॉट की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं."</p><p>इसके साथ ही किसी भी इनक्रिप्टेड फाइल, जिसमें वीडियो/फ़ोटो हो, को अपलोड, डाउनलोड और फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता है. </p><p>अगर किसी को ऐसा करते हुए पाया गया तो उसे इंटरनेट इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित किया जा सकता है.</p><p>नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक पीएचडी छात्रा ने बीबीसी को बताया, "यूनिवर्सिटी की ओर से मेरी इंटरनेट एक्सेस आईडी को ब्लॉक कर दिया गया क्योंकि मैंने इंटरनेट का इस्तेमाल करके अपने फोन को अपडेट किया."</p><p>वह आगे बताती हैं, "मुझे अपनी आईडी से प्रतिबंध हटवाने के लिए दो दिन का समय लगा. मैं बार बार उनके पास गई लेकिन जब तक मैंने लिखित में ये नहीं दे दिया कि आगे से ऐसा नहीं होगा तब तक उन्होंने मेरी आईडी से प्रतिबंध नहीं हटाए."</p><figure> <img alt="कश्मीर इंटरनेट" src="https://c.files.bbci.co.uk/08E3/production/_110757220_tv059121163.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><h3>क्या कहती है सरकार?</h3><p>कश्मीर में जबकि आम लोग सरकार की ओर से चुनी गईं वेबसाइट के एक-एक पेज को लोड करने में संघर्ष कर रहे हैं. </p><p>ऐसे समय में सरकार का कहना है कि ये प्रतिबंध सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगाए गए हैं. </p><p>सरकार ने अपने आदेश में उन वजहों को भी बताया है जिनके चलते इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया है. </p><p>सरकार के मुताबिक़, इन प्रतिबंधों के ज़रिए कश्मीर में जारी टैरर मॉड्यूल की सामग्रियों के प्रसार को रोकने की कोशिश की जा रही है. </p><p>इसके साथ ही अलगाववादी और देशद्रोही तत्वों की ओर से लोगों को फेक न्यूज़ फैलाकर भड़काने जैसी कोशिशें रोकने के लिए भी ऐसा किया जा रहा है. </p><p>लेकिन कश्मीर में कई लोग ये मानते हैं कि पड़ोसी देश की ओर से संभावित हमले को रोकने के लिए इतनी बड़ी आबादी की इंटरनेट सप्लाई को बाधित कर दिया जाना कोई समाधान नहीं हो सकता है.</p><p>अपार गुप्ता कहते हैं, "घाटी में मोबाइल इंटरनेट उपभोक्ताओं को ठीक ढंग से इंटरनेट उपलब्ध नहीं हो सका है. क्योंकि ये अभी तक सिर्फ 2जी स्पीड में उपलब्ध है और इस स्पीड का कोई अर्थ नहीं है. कोर्ट का ये आदेश कई तरहों से जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट को सुचारू ढंग से शुरू कराने के वादे पर ख़रा नहीं उतर सका है."</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
लेटेस्ट वीडियो
कश्मीरः सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी क्या इंटरनेट बहाल हुआ?
<figure> <img alt="कश्मीर इंटरनेट" src="https://c.files.bbci.co.uk/EF5B/production/_110757216_tv059318668.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भारत सरकार ने बीती 25 जनवरी को कश्मीर घाटी में 2G इंटरनेट एक बार फिर शुरू कर दिया है. </p><p>सत्तर लाख लोगों की आबादी वाली कश्मीर घाटी में बीते छह महीने से इंटरनेट बंद था. </p><p>केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य को […]
Modified date:
Modified date:
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
