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फ़ादर फ्रांसिस: आज भी जिनका इंतज़ार है

<figure> <img alt="फादर फ्रांसिस की तस्वीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/56B6/production/_106989122_missingmontagewithff.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>श्रीलंका के राष्ट्रपति ने पहली बार ये स्वीकार किया है कि गृहयुद्ध के दौरान </strong><strong>ग़ायब </strong><strong>हुए बीस हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है. </strong></p><p>गोटाबाया राजपक्षे ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र संघ के एक अधिकारी के साथ कोलंबो में हुई बैठक में ये टिप्पणी […]

<figure> <img alt="फादर फ्रांसिस की तस्वीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/56B6/production/_106989122_missingmontagewithff.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>श्रीलंका के राष्ट्रपति ने पहली बार ये स्वीकार किया है कि गृहयुद्ध के दौरान </strong><strong>ग़ायब </strong><strong>हुए बीस हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है. </strong></p><p>गोटाबाया राजपक्षे ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र संघ के एक अधिकारी के साथ कोलंबो में हुई बैठक में ये टिप्पणी की है. </p><p>राजपक्षे ने इस बयान के बाद उनके कार्यालय से एक बयान जारी करके आश्वासन भी दिया गया है कि लापता लोगों के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की दिशा में क़दम उठाए जाएंगे. </p><p>इन लापता लोगों में कैथोलिक पादरी फ़ादर फ्रांसिस भी शामिल हैं. </p><figure> <img alt="Short grey presentational line" src="https://c.files.bbci.co.uk/10E4E/production/_106989196_short_grey_line_new-nc.png" height="50" width="1333" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>18 मई 2009 में तीन दशकों से जारी क्रूर संघर्ष ख़त्म हुआ. ऐसा अनुमान है कि इस संघर्ष में एक लाख लोगों की मौत हुई थी. हज़ारों लोग आज भी लापता हैं. </p><p>ये गृह युद्ध नस्लीय आधार पर लड़ा गया था. </p><p>श्रीलंका में अल्पसंख्यक तमिल समुदाय के बीच एक आज़ाद मुल्क होने की इच्छा ने एक सशस्त्र विद्रोही समूह लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ऐलम को जन्म दिया. इन्हें तमिल टाइगर्स भी कहा गया. </p><p>इस समूह ने श्रीलंकन सेना के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला. और इसके बाद शुरू हुए संघर्ष के दौरान दोनों समूहों पर आम लोगों के साथ अत्याचार करने के अभियोग हैं. </p><p>इस संघर्ष के अंतिम दिन एक कैथोलिक तमिल पादरी ने अपने नेतृत्व में 360 लोगों को आत्मसमर्पण करवाया. इन लोगों में कई तमिल टाइगर्स और बच्चे शामिल थे जिनकी उम्र लगभग दो साल रही होगी. </p><p>ये सभी लोग सेना की एक बस पर सवार हुए लेकिन इसके बाद इनका कोई नामोनिशां नहीं मिला.</p><hr /><figure> <img alt="स्मारक" src="https://c.files.bbci.co.uk/5161/production/_107033802_eb77c194-386e-4c55-b2ae-c495577c366d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC/Elaine Jung</footer> </figure><hr /><p><strong>कौन थे </strong><strong>फ़ादर </strong><strong>फ्रांसिस?</strong></p><p>फ़ादर फ्रांसिस तमिल स्वाधीनता के बड़े समर्थक थे लेकिन उन्होंने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कभी हथियार नहीं उठाए. </p><p>इस लड़ाई में उनके हथियार सिर्फ़ उनके अपने शब्द थे. </p><hr /><p><strong>10, मई, 2009</strong></p><p>हिज़ हॉलीनेस पोप बेनेडिक्ट सोलहवें को, </p><p>श्रीलंका की सरकार ने तमिल राष्ट्र को ख़त्म करने के युद्ध छेड़ रखा है. ये एक नरसंहार है. </p><p>बच्चों, वृद्धों और महिलाओं की दर्दभरी चीख़ें हवा में गूंज रही हैं जो कि पहले से ज़हरीली और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक गैसों से भरी हुई है. </p><p>-</p><p>ये काफ़ी दुर्भाग्यशाली है कि श्रीलंका में चर्च के पास इतना विवेक और क्षमता नहीं है कि वह इस युद्ध को लेकर अपने विचार प्रभावशाली और स्पष्ट रूप से रख सके.</p><p>-</p><p>मैं इस बात से अनभिज्ञ नहीं हूं कि इस पत्र की वजह से श्रीलंका की सेना का ग़ुस्सा भड़केगा और वे मेरी जान लेकर इसका बदला लेंगे. </p><p>आपके आशीर्वाद का प्रार्थी</p><p><strong>फ़ादर </strong><strong>फ्रांसिस जोसेफ़</strong></p><p>-<strong>फ़ादर </strong><strong>फ्रांसिस जोसेफ़ के खुले पत्र का एक अंश</strong></p><hr /><hr /><p>तमिल टाइगर्स की हार होने और ये पत्र लिखने के कुछ समय बाद फादर फ्रांसिस ने विद्रोहियों के क़ब्ज़े वाले क्षेत्र से सरकार के क़ब्ज़े वाले क्षेत्र की ओर वत्तुवगल ब्रिज पर तमिल युवकों, महिलाओं, और बच्चों के साथ यात्रा शुरू की. </p><hr /><figure> <img alt="Vattuvagal bridge" src="https://c.files.bbci.co.uk/7871/production/_107033803_4fab2309-9c63-4c60-8e00-822bd45465b2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC/Elaine Jung</footer> </figure><hr /><p>इस घटना के कई साल बीत जाने के बाद आज भी उत्तरी श्रीलंका की सड़कों पर फ़ादर फ्रांसिस के दोस्तों समेत हर रोज़ हज़ारों लोग इस युद्ध में लापता लोगों से जुड़े सवाल तलाशने के लिए सड़कों पर उतरते हैं. </p><p>श्रीलंकन सरकार का विरोध करने वालों में तीन लाख तमिल समुदाय के लोग थे. युद्ध के आख़िरी दिनों में इन लोगों को संकरे तटीय क्षेत्र में जाकर रोक दिया गया था. </p><p>संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़, युद्ध के आख़िरी दिनों में चालीस हज़ार लोगों की मौत हुई थी और अनगिनत लोग गंभीर रूप से जख़्मी हुए थे. </p><p>हालांकि, श्रीलंकन सरकार इस संख्या को नहीं मानती है. </p><p>सरकारी आंकड़े के मुताबिक़, इस युद्ध में यूएन के आंकड़े के मुक़ाबले सिर्फ़ एक चौथाई लोगों की मौत हुई थी. </p><p>श्रीलंकन सेना के मुताबिक़, आत्मसर्मपण करने वालों की हत्या नहीं की गई थी. लेकिन सेना व्यक्तिगत मामलों पर टिप्पणी नहीं करती है. </p><hr /><figure> <img alt="श्रीलंका" src="https://c.files.bbci.co.uk/114B1/production/_107033807_728bc2a0-5713-44c0-99b7-dbac510fb7cc.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC/Elaine Jung</footer> </figure><hr /><p>फ़ादर फ्रांसिस के चचेरे भाई मोसेस अरुलानंदन अब नब्बे वर्ष की उम्र में पहुंच चुके हैं.</p><figure> <img alt="मोजेज अरुलानंदन" src="https://c.files.bbci.co.uk/9F81/production/_107033804_2908eb5d-f50f-4c73-8128-2ec04e5c1ac3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC/Elaine Jung</footer> <figcaption>मोजेज अरुलानंदन, फादर फ्रांसिस के भाई</figcaption> </figure><p>फ़ादर फ्रांसिस की लापता होने का दंश झेल रहे अरुलनदन ने स्थानीय अदालत और संयुक्त राष्ट्र से मदद मांगी है. लेकिन दोनों ही ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है. </p><p>अरुलानंदन बताते हैं, &quot;हम सिर्फ़ उनके बारे में चिंता करके रो सकते हैं. हम दोनों एक दूसरे के काफ़ी क़रीब थे. वह एक तरह से मेरे सगे भाई थे. वह अपने माता-पिता की अकेली औलाद थे. मैं उनकी मदद किया करता था जबकि फ्रांसिस कॉलेज में रह रहे थे.&quot;</p><figure> <img alt="लापता लोगों की तलाश करने के लिए विरोध प्रदर्शन करती हुई महिलाएं" src="https://c.files.bbci.co.uk/13BC1/production/_107033808_5ffc9783-c40a-49bb-9d6a-8288cc38fdfd.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC/Elaine Jung</footer> </figure><hr /><p>इसके बाद कैथोलिक पादरी बनने के बाद फ्रांसिस एक अंग्रेज़ी टीचर के रूप में स्कूल आए और बाद में इस स्कूल के प्रिंसिपल भी बने. </p><p>फ़ादर फ्रांसिस का ज़्यादातर जीवन अपने कॉलेज प्रांगण में बीता. </p><p>फ्रांसिस के पूर्व छात्र बताते हैं कि वे स्कूल में सभी लोगों को नाम से जानते थे. </p><hr /><figure> <img alt="Father Francis cut-out at library" src="https://c.files.bbci.co.uk/C691/production/_107033805_c80faf20-b0ac-42a4-80b6-ca1340e09c31.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC/Elaine Jung</footer> </figure><hr /><p>आज इस स्कूल की लाइब्रेरी में फ़ादर फ्रांसिस का एक बड़ा सा कार्डबोर्ड लगा हुआ है. </p><p>भाई को याद करके अरुलानंदन प्रार्थना में हाथ ऊपर उठाते हुए कहते हैं, &quot;मैं हर रोज प्रभु और मदर मैरी से प्रार्थना करता हूं कि वे मुझे उनके बारे में बताए कि वो इस समय कहां पर हैं?&quot;</p><figure> <img alt="श्रीलंका" src="https://c.files.bbci.co.uk/162D1/production/_107033809_90ae4ca7-c5e8-4097-9364-f8599fb7db5b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC/Elaine Jung</footer> </figure><hr /><p>हालांकि, फ़ादर फ्रांसिस श्रीलंकाई सुरक्षाबलों के बड़े आलोचक थे. लेकिन वे विद्रोहियों की क्रूरता पर ख़ामोश रहे. </p><p>कई सालों के अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद सरकार ने 2017 में लापता लोगों की खोज के लिए एक संस्था बनायी है. </p><p>बीते दो ढाई सालों में इस संस्था की ओर से एक भी शख़्स का पता नहीं लगाया गया है. लेकिन इस संस्था का कहना है कि वह कोशिश कर रही है. </p><p>लापता लोगों की पत्नियां आज भी सिंदूर लगा रही हैं. बच्चे अपने पिताओं का इंतज़ार कर रहे हैं. </p><p>और लोगों को आज भी फ़ादर फ्रांसिस की तलाश है. कम से कम वे उन्हें इतनी उम्मीद तो है कि कभी उन्हें ये पता चलेगा कि फादर फ्रांसिस के साथ असल में क्या हुआ?</p><p>अरुलानंदन कहते हैं, &quot;सच एक दिन सबके सामने ज़रूर आएगा.&quot;</p><p>रिपोर्ट – स्वामीनाथन नटराजन </p><p>तस्वीरें – इलेन जंग की तस्वीरें </p><p>प्रोडक्शन – लूइस एडामोउ</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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