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CAA-NRC: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शांति या पुलिस के डर से ख़ामोशी?- ग्राउंड रिपोर्ट

<figure> <img alt="समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, मेरठ में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ प्रदर्शन करते हुए मोहसिन नाम के युवक की मौत हुई थी. ये तस्वीर मोहसिन की बहन की है." src="https://c.files.bbci.co.uk/16E86/production/_110303839_hi058803173.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> <figcaption>समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, मेरठ में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ प्रदर्शन करते हुए मोहसिन नाम के […]

<figure> <img alt="समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, मेरठ में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ प्रदर्शन करते हुए मोहसिन नाम के युवक की मौत हुई थी. ये तस्वीर मोहसिन की बहन की है." src="https://c.files.bbci.co.uk/16E86/production/_110303839_hi058803173.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> <figcaption>समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, मेरठ में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ प्रदर्शन करते हुए मोहसिन नाम के युवक की मौत हुई थी. ये तस्वीर मोहसिन की बहन की है.</figcaption> </figure><p>20 दिसंबर (शुक्रवार) को जुमे की नमाज़ के बाद उत्तर प्रदेश के दर्जनों शहरों में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए. </p><p>इन प्रदर्शनों में हिंदू और मुसलमान प्रदर्शनकारियों की एक भारी संख्या सड़कों पर उमड़ आई लेकिन कुछ घंटों के अंदर शांति से जारी प्रदर्शन हिंसक हो गए, लगभग सभी शहरों में. </p><p>मुज़फ़्फ़रनगर, मेरठ, बिजनौर, संभल, मुरादाबाद और कानपुर जैसे शहरों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, इन झड़पों में 16 प्रदर्शनकारी मारे गए, लगभग सभी गोलियों से मारे गए. हज़ारों हिरासत में ले लिए गए और सैकड़ों गिरफ़्तार कर लिए गए. </p><p>हमने तीन शहरों- मुज़फ़्फ़रनगर, मेरठ और बिजनौर- के शहरी और देहाती इलाक़ों का जायज़ा लिया. हमारे सहयोगी समीरात्मज मिश्र ने <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50902222?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कानपुर का दौरा</a> किया. इन सभी जगहों पर कुछ बातें बिल्कुल एक जैसी थीं. सभी मौतें गोलियों से हुईं, और ये सभी मृतक मुसलमान थे. जिन घरों में तोड़फोड़ की वारदातें हुईं और जिन दुकानों को प्रशासन ने सील किया वो सारी दुकानें भी मुसलमानों की थीं. जान और माल का नुक़सान उठाने वाले सभी ग़रीब तबक़े के थे जिनकी पहुँच प्रशासन तक तो दूर गांवों के मुखियों तक नहीं है. </p><p>मुज़फ्फ़रनगर के एक युवा वकील ने हमसे कहा, &quot;पुलिस और प्रशासन ने हमें (मुसलमानों) निशाना बनाया है&quot;. मुसलमानों के इलाक़ों में कई लोगों ने हमसे कहा कि सरकार उनके साथ खुलकर भेदभाव कर रही है.” </p><figure> <img alt="नागरिकता संशोधन क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/128B7/production/_110295957_10f86db1-c365-4512-817a-7376c5988f52.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>मुज़फ़्फ़रनगर में मुस्लिम बस्तियों में कई घर तोड़ दिए गए, सड़कों पर खड़ी गाड़ियों और अन्य संपत्तियों को तहस-नहस किया गया. जिस तरह से सामान को तोड़ा गया था उससे ऐसा लगता था उन्हें किसी बात की सज़ा दी जा रही है या उन्हें नुक़सान पहुंचाया जा रहा है. तोड़फोड़ करने वालों की हरकतों से नफ़रत साफ़ दिख रही थी. </p><p>इसी शहर के मेन रोड पर केवल मुसलमानों की 52 दुकानें सील कर दी गई हैं. </p><p>मुसलमान इसे प्रशासन की तरफ़ से एक आर्थिक मार की तरह से देखते हैं. उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान का हवाला दिया जिसमे उन्होंने कहा था कि ‘सरकारी सम्पत्तियों को नुक़सान पहुँचाने वाले प्रदर्शनकारियों से बदला लिया जाएगा.’ </p><figure> <img alt="नागरिकता संशोधन क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/101A7/production/_110295956_1b9c60b1-ca32-435e-9c66-6df64184d37a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>क्या इन बस्तियों में घटने वाली घटनाओं को &quot;बदला&quot; समझा जाए? </p><p>हमने पुलिस का डर हर मोहल्ले में महसूस किया. दहशत का अंदाज़ा उस समय हुआ जब हमने मुज़फ़्फ़रनगर के एक घर पर हमले के दौरान वहां मौजूद कई लोगों से बात करने की कोशिश की. </p><p>एक युवा ने अपने चहेरे पर मफ़लर लगाकर हमसे ये कहा, &quot;ये इलाक़ा और इन कोठियों में जो वो लोग रह रहे हैं वो हमारा है और आने वाले समय में ये सब हमारा होगा. आप लोगों को अब यहाँ से निकालेंगे.&quot; हमलावर जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे और सामान तोड़ रहे थे.</p><p>इस तरह की बातें कई दूसरे घरों के लोगों ने भी बताईं. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/media-50884056?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">यह भी देखें- कानपुर में हिंसा के बाद अब कैसे हालात हैं?</a></li> </ul><figure> <img alt="नागरिकता संशोधन क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/17FBF/production/_110293289_cfe9a313-4bde-4f49-9703-4a0809f03be4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>पुलिस का पक्ष</h1><p>हमने शहर के एसपी सतपाल अंतील के दफ़्तर का रुख़ किया, वहां उनके सामने इन नागरिकों की शिकायत रखी. वो भड़क गए और पूरा इंटरव्यू देने के बाद हमारे सहयोगी दीपक से फ़ोन छीनकर उसे डिलीट कर दिया. </p><p>एसपी आरोप लगा रहे थे कि बीबीसी भड़काने का काम कर रही है. जब हमने उनसे कहा कि हमारे पास वीडियो हैं जिनमें लोगों के इलज़ाम सुने जा सकते हैं. हमने कहा कि हम पीड़ित लोगों की शिकायत उन तक लेकर आये हैं और इनका जवाब लेने आए हैं लेकिन उन्होंने कहा कि हम ग़लत कह रहे हैं.</p><p>मैंने 30 साल की रिपोर्टिंग में पुलिस की इस तरह की प्रतिक्रिया पहले कभी नहीं देखी. हमने दंगे, चरमपंथी हमले, बम विस्फोट, मुंबई आतंकी हमले और दूसरी कई गंभीर घटनाओं पर रिपोर्टिंग की है लेकिन कभी किसी पुलिस वाले ने ऐसा बर्ताव नहीं किया. कभी किसी ने हमारे वीडियो डिलीट नहीं किए. </p><p>पुलिस की पावर और इसकी ताक़त का अंदाज़ा मुझे है क्योंकि मैंने अपने करिअर की शुरुआत में क्राइम रिपोर्टिंग भी की है. पुलिसवालों की दिक़्क़तों का भी हमें अंदाज़ा है लेकिन हमें लगा सतपाल अंतील ने ज़रूरत-से-ज़्यादा सख़्त प्रतिक्रिया दिखाई. </p><p>हमें ये भी अंदाज़ा है कि स्थानीय पत्रकार उनसे सख़्त सवाल करने से अक्सर परहेज़ करते हैं और वो मुश्किल सवाल सुनने के आदी नहीं हैं. मगर उनका ओवर-रिएक्शन समझ में नहीं आया.</p><figure> <img alt="नागरिकता संशोधन क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/176D7/production/_110295959_9d6fa5eb-18f4-48ee-84b2-033cfc1bf48a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>तोड़फोड़ की शिकायत पर पुलिस ने क्या कहा?</h1><p>ग़ुस्सा ठंडा होने पर एसपी हमसे दोबारा बात करने को तैयार हुए लेकिन केवल चंद सवालों का जवाब दिया. उन्होंने पुलिस के ख़िलाफ़ इलज़ाम के सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया. उनका कहना था कि पुलिस तोड़फोड़ कर रही है ऐसी कोई शिकायत उन तक नहीं पहुंची है. अगर लोगों ने शिकायत दर्ज कराई तो उसकी जाँच होगी और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.&quot; </p><p>अगर हम प्रशासन और पुलिस से तीखे सवाल न करें तो कौन करेगा? मगर पुलिस की आलोचना कितनी की जाए? उत्तर प्रदेश के सभी शहरों में पुलिस रवैया एक जैसा था और वो ये कि प्रदर्शन भंग करो, प्रदर्शनकारियों को पीटो, उन्हें गिरफ़्तार करो और कड़ी-से-कड़ी धारा के तहत केस बनाओ. माहौल ऐसा बना दो कि नागरिकता संशोधन क़ानून पर दोबारा प्रदर्शन न हों. </p><p>हमने मुज़फ़्फ़रनगर के अलावा दूसरे शहरों में भी पुलिस अफ़सरों से बातें कीं. उनका कहना था कि प्रदर्शनकारियों ने हिंसा का रास्ता अपनाया जिसके कारण उन्हें आँसू गैस, पैलेट गन और फ़ायरिंग का सहारा लेना पड़ा. लेकिन हम तमाम पक्षों से बातें करके इस नतीजे पर पहुंचे कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीक़े से हुए, इसके बाद पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की. दोनों तरफ़ से एक दूसरे को धकेलने की कोशिश की गई, पुलिस ने लाठी चार्ज करना शुरू किया और भगदड़ मच गई. यही पैटर्न सभी रैलियों में नज़र आया. </p><p>शुक्रवार के दिन हुई वारदातों की असल जवाबदेही उत्तर प्रदेश सरकार की बनती है. सही तो ये होगा कि इन घटनाओं की आज़ाद और निष्पक्ष तरीक़े से जाँच हो जिसमें इन सवालों के जवाब तलाश किये जाएं, क्या पुलिस ने अधिक बल का इस्तेमाल करते हुए प्रदर्शन को भंग किया? क्या प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतारू हो गए जैसा कि पुलिस दावा करती है? या फिर पुलिस की आड़ में हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शनकारियों पर हमले किए जैसा हमने ख़ुद देखा.</p><p>अगर पीड़ितों में ये एहसास वापस कराना है कि चुनी सरकार सब नागरिकों के लिए होती है तो इन सवालों के जवाब ढूंढ़ने होंगे.</p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=yG5LgZJ_ujg">https://www.youtube.com/watch?v=yG5LgZJ_ujg</a></p><p><strong>(</strong><strong>बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सक</strong><strong>ते.)</strong>    </p>

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