<figure> <img alt="सांकेतिक तस्वीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/AF1E/production/_110303844_gettyimages-1179098092.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>सांकेतिक तस्वीर</figcaption> </figure><p><strong>2019 के कुछ ऐसे </strong><strong>पल</strong><strong> आपको ज़रूर याद होंगे</strong><strong>,</strong><strong> जब आपको लगा होगा कि ये</strong><strong> साल</strong><strong> कितनी निराशाओं और चुनौतियों से भरा हुआ है.</strong></p><p>आनुवंशिक रूप से देखें तो हम मनुष्यों को वैसे भी नकारात्मक अनुभव कुछ ज़्यादा ही याद रहते हैं और ऐसी घटनाओं के डिटेल हम नहीं भूलते.</p><p>युद्ध की ख़बरों, चरमपंथी घटनाओं, चुनावी धोखाधड़ी, विमान हादसे, जलवायु संकट, बाढ़, चक्रवात और ज्वालामुखी विस्फोटों की अंतहीन रिपोर्टों के बीच अगर आप कुछ अच्छी ख़बरें याद करना भी चाहेंगे, तो आपको अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालना होगा.</p><p>लेकिन हम ये कह सकते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साल 2019 वाक़ई कई अच्छी ख़बरों का साल रहा. कुछ ख़बरें ऐसी भी रहीं, जिनका असर भारतीयों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी पड़ेगा. जैसे-दिल्ली का प्रदूषण, भारत में एचआईवी और एल्ज़ाइमर के मामले.</p><p>अगर इस बात पर आपको यक़ीन नहीं हो रहा? तो इन ख़बरों पर एक नज़र डालें:</p><figure> <img alt="गैलापागोस प्रजाति का कछुआ" src="https://c.files.bbci.co.uk/17EEA/production/_110262089_1a.gettyimages-1126195826.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>अमरीका के कैलिफोर्निया के क़रीब स्थित गैलापागोस द्वीप समूह में स्थित गैलापागोस नेशनल पार्क में विलुप्त माना जाने वाली कछुए की प्रजाति गैलापागोस का कछुआ एक बार फ़िर नज़र आया</figcaption> </figure><h1>’विलुप्त’ कछुए की वापसी</h1><p>कछुए की एक विशाल प्रजाति जिसके बारे में माना जा रहा था कि वो 100 वर्ष पहले विलुप्त हो चुकी है, उसे इक्वाडोर के तट से हज़ार किलोमीटर दूर, प्रशांत महासागर के बीच स्थित गैलापागोस द्वीप समूह पर देखा गया.</p><p>इस विशाल कछुए को आख़िरी बार 1906 में देखा गया था. कछुए की इस प्रजाति का नाम ‘कैलोनाउडिस फेंटास्टिकस’ है.</p><p>इस साल की शुरुआत में इस मादा (कछुआ) को गैलापागोस द्वीप समूह के दूरस्थ टापू पर देखा गया था.</p><p>वैज्ञानिकों के अनुसार, इसकी उम्र सौ वर्ष से अधिक है. साथ ही कहा गया है कि वो अपनी प्रजाति की अकेली जीवित सदस्य हैं, ऐसा नहीं लगता.</p><p>संरक्षणवादियों का कहना है कि टापू पर पड़े मल और पैरों के निशानों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि उस मादा के कुछ और रिश्तेदार भी वहीं कहीं मौजूद हैं.</p><p>समुद्री कछुओं के लिए भी यह एक अच्छी ख़बर है.</p><p>वर्ष 1973 में कछुओं को संरक्षित प्रजाति घोषित किया गया था, तब से लेकर अब तक कछुओं की आबादी में 980% बढ़ोतरी हुई है.</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-39187441?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कैसे खा गया एक कछुआ 900 सिक्के</a></p><figure> <img alt="प्रशांत महासागर में उछलती हम्पबैक व्हेल" src="https://c.files.bbci.co.uk/2342/production/_110262090_2a.gettyimages-173671761.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>प्रशांत महासागर में उछलती हम्पबैक व्हेल</figcaption> </figure><p>इसी तरह हम्पबैक व्हेल की आबादी भी बढ़ी है.</p><p>1980 के दशक में व्हेल की ये प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर थी. लेकिन 2019 में इनकी संख्या 25 हज़ार से अधिक हो गई है.</p><p>वैज्ञानिकों के अनुसार हम्पबैक व्हेल की आबादी 93 फ़ीसद बढ़ी है.</p><p>दक्षिण-पश्चिमी अटलांटिक क्षेत्र में औद्योगिक व्हेलिंग की वजह से व्हेल की ये प्रजाति नष्ट हो गई थी. लेकिन इस पर फ़िलहाल रोक लगी हुई है.</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/science-45166918?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मृत बच्चे को लेकर 17 दिनों तक तैरती रही ये व्हेल</a></p><figure> <img alt="प्रतीकात्मक तस्वीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/4A52/production/_110262091_3a.gettyimages-1125906744.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>शुगर के मरीज़ों को नई उम्मीद</h3><p>अमरीका के वैज्ञानिकों को इस साल एक बड़ी सफलता हासिल हुई.</p><p>वे अब मानव स्टेम सेल को इंसुलिन बनाने वाले सेल में बदलने में क़ामयाब हुए हैं.</p><p>वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि ने पूरी दुनिया के टाइप-1 डायबिटिक लोगों को इलाज की एक नई उम्मीद दी है.</p><p>UCSF डायबिटीज़ सेंटर के निदेशक मैथियस हेब्रोक ने कहा, "ये उन कोशिकाओं को बनाने के हमारे लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है जो मधुमेह के रोगियों में प्रत्यारोपित की जा सकती हैं."</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/science-46196505?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या डायबिटीज़ से बचना मुमकिन है?</a></p><figure> <img alt="महिला" src="https://c.files.bbci.co.uk/7162/production/_110262092_4a.gettyimages-972500960.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>एल्ज़ाइमर से जंग</h3><p>वैसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में इस साल ये अकेली ख़ुशख़बरी नहीं है, बल्कि तीन बड़े कारण हैं जिनकी वजह से आप आशावादी हो सकते हैं.</p><p>दरअसल एल्ज़ाइमर के लिए एडुकानुमाब नाम की एक दवा तैयार की गई है जिसे लेकर वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये बीमारी के असर को धीमा कर पाएगी.</p><p>दूसरी ओर, बर्कले के शोधकर्ताओं ने पाया है कि मस्तिष्क में सूजन से राहत देने वाली दवाएं भी एल्ज़ाइमर को धीमा कर सकती है.</p><p>वहीं जर्मनी के कुछ वैज्ञानिकों ने भी यह घोषणा की है कि वो अब बेहद शुरुआती संकेतों को देखकर यह बता पाएंगे कि मरीज़ को एल्ज़ाइमर है या नहीं.</p><figure> <img alt="प्रतीकात्मक तस्वीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/9872/production/_110262093_5a.gettyimages-1183968182.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>एचआईवी पर नया अध्ययन</h3><p>’द लेंसेट मेडिकल जर्नल’ के लिए हुए एक अध्ययन के अनुसार, उपचार के ज़रिये एचआईवी वायरस को फैलने से रोका जा सकता है.</p><p>इस अध्ययन में पाया गया कि लगभग 1,000 समलैंगिक पुरुष जोड़ों के बीच कंडोम के बिना यौन संबंध बनाए जाने के बावजूद वायरस के फैलने का कोई मामला नहीं सामने आया.</p><p>अध्ययन में शामिल जोड़ों में एक साथी एचआईवी पॉजिटिव था और एंटीरेट्रोवाइरल से उनका इलाज चल रहा था.</p><p>शोधकर्ता आठ वर्ष लंबे अध्ययन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं.</p><figure> <img alt="मच्छर" src="https://c.files.bbci.co.uk/BF82/production/_110262094_6a.gettyimages-157292773.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>मलेरिया हार की ओर…</h3><p>विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि अल्जीरिया और अर्जेंटीना में मलेरिया को समाप्त कर दिया गया है.</p><p>डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मच्छर जनित बीमारी अब दुनिया के 38 देशों और क्षेत्रों से मिट गई है.</p><figure> <img alt="जंगल में खेलते हुए बच्चे" src="https://c.files.bbci.co.uk/CB9E/production/_110262125_8a.gettyimages-1148825373.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>जंगल में खेलते हुए बच्चे</figcaption> </figure><h3>हमें और प्रयास करने होंगे…</h3><p>नासा के अनुसार, पृथ्वी 20 साल पहले की तुलना में अब 5 फ़ीसद ज़्यादा ग्रीन है यानी दुनिया में हरियाली धीरे ही सही, पर पहले की तुलना में बढ़ी है.</p><p>इसकी बड़ी वजह है दुनिया भर में की गई गहन खेती और अफ़्रीका, भारत और चीन में शुरू हुए व्यापक वृक्षारोपण कार्यक्रम.</p><p>अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि पृथ्वी पर पत्तों के आवरण में दो मिलियन वर्ग मील की वृद्धि हुई है जो कि अमेज़न वर्षावन के बराबर कहा जा सकता है.</p><p>लेकिन जानकारों की राय है कि पत्तियों या हरियाली में हुई वृद्धि से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों जैसे ब्राज़ील और इंडोनेशिया में हुए प्राकृतिक वनस्पति और जैव विविधता के नुकसान को बेअसर नहीं किया जा सकता.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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2019 की 7 ख़बरें, जिनका भारत समेत दुनिया के कई देशों पर पड़ेगा असर
<figure> <img alt="सांकेतिक तस्वीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/AF1E/production/_110303844_gettyimages-1179098092.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>सांकेतिक तस्वीर</figcaption> </figure><p><strong>2019 के कुछ ऐसे </strong><strong>पल</strong><strong> आपको ज़रूर याद होंगे</strong><strong>,</strong><strong> जब आपको लगा होगा कि ये</strong><strong> साल</strong><strong> कितनी निराशाओं और चुनौतियों से भरा हुआ है.</strong></p><p>आनुवंशिक रूप से देखें तो हम मनुष्यों को वैसे भी नकारात्मक अनुभव कुछ ज़्यादा ही याद रहते हैं और ऐसी […]
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