<p>"हम लोगों का परिवार एक कमरे के सर्वेंट क्वॉर्टर में रहता था और हमारे क्वॉर्टर के आगे जज साहब की कोठी थी. पापा दिन भर जज साहब के पास खड़े रहते थे. बस वही कोठी, जज को मिलने वाला सम्मान और मेरे सर्वेंट क्वॉर्टर की छोटी सी जगह मेरी प्रेरणा बनी."</p><p>34 साल की अर्चना के पिता सोनपुर रेलवे कोर्ट में चपरासी के पद पर थे. और अब उनकी बिटिया अर्चना कुमारी ने 2018 में हुई 30वीं बिहार न्यायिक सेवक परीक्षा में सफलता हासिल की है. </p><p>बीते नवंबर के आख़िरी हफ़्ते में घोषित नतीजों में अर्चना को सामान्य श्रेणी में 227वां और ओबीसी कैटेगरी में 10वीं रैंक मिली है. </p><p>बीबीसी से फ़ोन पर बात करती अर्चना की आवाज़ में ख़ुशी, बेहद साधारण परिवार से निकलकर बड़ी उपलब्धि हासिल करने का गर्व, विनम्रता, सब कुछ महसूस किया जा सकता था. </p><h1>घर में ग़रीबी का डेरा </h1><p>मूल रूप से पटना के धनरूआ थाना अंतर्गत मानिक बिगहा गांव की अर्चना अपने गांव में ‘जज बिटिया’ के नाम से मशहूर हो रही हैं. </p><p>चार भाई-बहन में सबसे बड़ी अर्चना के लिए लेकिन उनका ये सफ़र जिंदगी के बहुत घुमावदार रास्तों से गुज़रा. </p><p>बचपन में ही अस्थमा की बीमारी के चलते वो बहुत बीमार रहती थीं और घर में ग़रीबी का डेरा था. </p><p>पटना के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, शास्त्रीनगर से बारहवीं पास अर्चना ने पटना यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी ऑनर्स किया है. </p><p>लेकिन इसी बीच ग्रैजुएशन की पढ़ाई करते समय साल 2005 में उनके पिता गौरीनंदन प्रसाद की असामयिक मृत्यु हो गई.</p><p>अर्चना बताती हैं, "बहुत मुश्किल था क्योंकि सबसे बड़ी होने के नाते भाई-बहनों की ज़िम्मेदारी थी. चूंकि मैने कंप्यूटर सीखा था तो मैंने अपने ही स्कूल में कंप्यूटर सिखाना शुरू किया ताकि घर ख़र्च में मदद की जा सके. तीन बहनें थीं तो घरवालों पर शादी का बहुत दबाव था. 21 साल की उम्र में मेरी शादी कर दी गई और मैंने भी ख़ुद को समझा लिया कि मेरी पढ़ाई का अंत अब हो गया."</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49608197?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">IAS शशिकांत सेंथिल ने क्यों इस्तीफ़ा दिया?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49485068?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">किन वजहों से आईएएस अधिकारी ने इस्तीफ़े की पेशकश की</a></li> </ul><h1>पति, घर, बच्चे और करियर</h1><p>लेकिन छह साल की उम्र से ही जज बनने का सपना देख रही अर्चना ख़ुशकिस्मत निकलीं. </p><p>उनके पति राजीव रंजन ने उन्हें उनके सपनों को पूरा करने में मदद की. 2006 में अर्चना की शादी हुई थी. </p><p>पति ने उनमें पढ़ने की ललक दिखी तो साल 2008 में पुणे विश्वविद्यालय में अर्चना ने एलएलबी कोर्स में दाखिला ले लिया.</p><p>अर्चना बताती है, "मेरी पूरी पढ़ाई हिंदी माध्यम से थी, इसलिए रिश्तेदारों ने कहा कि मैं जल्द ही पुणे यूनिवर्सिटी के अंग्रेज़ी माहौल से भाग आऊंगी. वो बार-बार कहते थे कि मेरे पति गोइठा में घी सुखा रहे हैं. मेरे सामने अंग्रेज़ी में तो पढ़ाई करने की चुनौती तो थी ही, और बिहार से पहली बार बाहर निकली थी."</p><p>2011 में क़ानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो पटना वापस आईं तो गर्भवती हो गईं. </p><p>साल 2012 में उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे की पैदाइश के बाद की ज़िम्मेदारी बड़ी थी. लेकिन अर्चना ने अपने सपनों और मां की ज़िम्मेदारी का संतुलन साधा. </p><p>वो अपने 5 माह के बच्चे और अपनी मां के साथ आगे की पढ़ाई और तैयारी के लिए दिल्ली चली गईं. </p><p>यहां उन्होंने एलएलएम की पढ़ाई, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की और साथ ही अपनी आजीविका के लिए कोचिंग में क़ानून के छात्रों को पढ़ाया भी. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40114911?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">IAS टॉपर नंदिनी, जिसका दोस्त मज़ाक उड़ा रहे थे</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/social-40144218?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कहानी उस लड़की की जो झुग्गी में रहकर IAS बनी</a></li> </ul><h1>अच्छी शिक्षा और परिवार का सहयोग</h1><p>अर्चना की सफलता में उनके पूरे परिवार का सहयोग है. </p><p>उनकी सातवीं तक पढ़ी मां प्रतिमा देवी कहती हैं, "बिटिया का रिजल्ट जब से निकला है नींद नहीं आई है और खाना भी खाया नहीं जा रहा है. अपनी ख़ुशी के बारे में आपको क्या बताएं और अगर इसके पापा रहते तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता."</p><p>प्रतिमा देवी को ख़ुद अपनी पढ़ाई ना कर पाने का बहुत अफ़सोस रहा. लेकिन उन्होंने अपनी तीनों बेटियों को अच्छी शिक्षा दी.</p><p>अर्चना के पति राजीव रंजन पटना के पटना मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में क्लर्क हैं. </p><p>बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "अर्चना में पढ़ने की बहुत ललक है. मैंने उसे पढ़ाया जिसका नतीजा आपके सामने है. मेरी कोशिश हमेशा यही रहेगी कि वो और ज़्यादा तरक़्क़ी करें." </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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बिहार: पापा थे कोर्ट में चपरासी, बेटी बन गई जज
<p>"हम लोगों का परिवार एक कमरे के सर्वेंट क्वॉर्टर में रहता था और हमारे क्वॉर्टर के आगे जज साहब की कोठी थी. पापा दिन भर जज साहब के पास खड़े रहते थे. बस वही कोठी, जज को मिलने वाला सम्मान और मेरे सर्वेंट क्वॉर्टर की छोटी सी जगह मेरी प्रेरणा बनी."</p><p>34 साल की अर्चना के […]
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