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अयोध्या: अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने कहा, पुनर्विचार याचिका दायर न करे मुस्लिम पक्ष- प्रेस रिव्यू

<figure> <img alt="राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हसन रिज़वी" src="https://c.files.bbci.co.uk/D036/production/_109820335_gettyimages-1080006648.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हसन रिज़वी</figcaption> </figure><p>राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हसन रिज़वी ने कहा है कि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने से बचना चाहिए. </p><p><strong><em>इंडियन एक्सप्रेस</em></strong> में छपी <a href="https://epaper.indianexpress.com/2434021/Delhi/November-25-2019#page/3/2">रिपोर्ट </a>के अनुसार रिज़वी […]

<figure> <img alt="राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हसन रिज़वी" src="https://c.files.bbci.co.uk/D036/production/_109820335_gettyimages-1080006648.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हसन रिज़वी</figcaption> </figure><p>राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हसन रिज़वी ने कहा है कि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने से बचना चाहिए. </p><p><strong><em>इंडियन एक्सप्रेस</em></strong> में छपी <a href="https://epaper.indianexpress.com/2434021/Delhi/November-25-2019#page/3/2">रिपोर्ट </a>के अनुसार रिज़वी ने कहा, ”अगर मुस्लिम पक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करेगा तो लोगों में ये दूरगामी संदेश जाएगा कि मुसलमान एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर बनने के रास्ते में रोड़ा अटका रहे हैं.”</p><p>रिज़वी के मुताबिक़ ये समझना ज़रूरी है कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने से पहले पूरे देश के हिंदुओं, मुसलमानों और यहां तक कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि अदालत का फ़ैसला चाहे जो वो, वो उसका सम्मान करेंगे. </p><p>रिज़वी ने कहा, ”भारतीय मुसलमानों ने कभी ये नहीं कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला तभी कबूलेंगे जब वो उनके पक्ष में होगा. इसलिए अगर अब वो पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे तो ऐसा लगेगा कि वो जानबूझकर हिंदुओं के सबसे पूज्य देवता राम का मंदिर बनने में अड़चन पैदा करना चाहते हैं.”</p><p>हसन रिज़वी ने ये भी कहा कि मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए पाँच एकड़ ज़मीन को ठुकराने के बजाय उसे स्वीकार करके देश मे सांप्रदायिक सद्भावना का संदेश देना चाहिए.</p><p>अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने नौ नवंबर को सर्वसम्मति से फ़ैसला दिया था. </p><p>फ़ैसले में अदालत ने विवादित ज़मीन हिंदू पक्ष को दी गई थी सरकार से मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने के लिए कहा था. वहीं, मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में किसी और जगह पांच एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया गया था.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50414522?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अयोध्या फ़ैसले से बाबरी मस्जिद तोड़ने वालों की मांग पूरी: जस्टिस गांगुली </a></p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/10933/production/_109819876_88ef7599-12d1-4314-81fc-8c92b66c3b4d.jpg" height="669" width="1001" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>जल्द रिहा हो सकते हैं कश्मीरी नेता</h3><p><strong><em>जनसत्ता</em></strong> की <a href="http://epaper.jansatta.com/2433476/Jansatta/25-November-2019#page/1/2">ख़बर </a>है कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद पांच अगस्त से हिरासत में रखे गए कुछ कश्मीरी नेताओं को जल्द रिहा किया जा सकता है.</p><p>रिपोर्ट के अनुसार कुछ नेताओं को घर जाने की इजाज़त दी सकती है और घर में नज़रबंद कुछ नेताओं को इलाज के लिए घाटी से बाहर जाने की इजाज़त भी दी जा सकती है. </p><p>अख़बार ने जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि कुछ राजीतिक दलों के नेताओं को उनके अनुरोध पर कुछ घंटे के लिए घर जाने की अनुमति दी गई.</p><p>जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 ख़त्म किए जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को हिरासत में ले लिया गया था. इसके बाद 17 सितंबर को फ़ारूक़ अब्दुल्ला को जन सुरक्षा क़ानून के तहत हिरासत में ले लिया गया था.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50512943?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: किस हाल में रह रहे हैं हिरासत में रखे गए लोग</a></p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/15753/production/_109819878_429cce6d-d54b-4523-9868-46d6dbb6a59d.jpg" height="575" width="1019" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>कश्मीर में तीनों सेनाओं की एक</strong><strong>साथ तैनाती</strong></p><p><strong><em>अमर उजाला</em></strong> में प्रकाशित <a href="https://epaper.amarujala.com/delhi-city/20191125/03.html?format=img&amp;ed_code=delhi-city">ख़बर</a> के अनुसार जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुक़ाबला करने के लिए भारत सरकार ने तीनों सेनाओं यानी थल सेना, जल सेना और वायु सेना के विशेष संयुक्त बलों की तैयारी की है. </p><p>अख़बार ने वरिष्ठ रक्षा सूत्रों के हवाले से लिखा है कि विशेष सुरक्षा बलों में सेना की पैरा, नौसेना के मरीन कमांडो और वायु सेना का गरूड़ विशेष बल शामिल है.</p><p>ये पहली बार है जब कश्मीर में तीनों सेनाओं के जवान एक साथ काम करेंगे. इस संयुक्त अभियान डिविज़न के पहले प्रमुख मेजर जनरल अशोक ढींगरा हैं.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50492238?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर पर अमित शाह के दावों का सच</a></p><figure> <img alt="सुप्रीम कोर्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/22BB/production/_109819880_4d79aadd-3c42-427e-9d73-72ff5ab33e3e.jpg" height="693" width="995" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>इस साल छुट्टियों में तीन बार खुला सुप्रीम कोर्ट</h3><p>ये इस साल में तीसरी बार है जब सुप्रीम कोर्ट को छुट्टी वाले दिन किसी न किसी मामले पर विशेष सुनवाई करनी पड़ी. </p><p><strong><em>जनसत्ता</em></strong> ने <a href="http://epaper.jansatta.com/2433476/Jansatta/25-November-2019#page/1/1">लिखा</a> है कि इस पहली बार 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट को छुट्टी वाले दिन तब सुनवाई करनी पड़ी थी जब पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे. </p><p>इसके बाद अयोध्या मामले का फ़ैसला सुनाने के लिए नौ नवंबर (शनिवार) को और फिर 24 नवंबर (रविवार) को महाराष्ट्र के सियासी संकट की वजह से सुप्रीम कोर्ट को छुट्टी वाले दिन सुनवाई करनी पड़ी.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50397261?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">RTI के दायरे में होगा चीफ़ जस्टिस का ऑफ़िस</a></p><figure> <img alt="महाराष्ट्र" src="https://c.files.bbci.co.uk/97EB/production/_109819883_8327fea4-343f-40dc-941e-52003ddaac1d.jpg" height="629" width="1019" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>'</strong><strong>होटल</strong><strong>:</strong><strong> लोकतंत्र के एकमात्र मंदिर</strong><strong>'</strong></p><p>महाराष्ट्र की सियासत को भी सभी हिंदी और अंग्रेज़ी के अख़बारों ने प्रमुखता से जगह दी है. </p><p>इंडियन एक्सप्रेस के फ़्रंट पेज कांग्रेस नेता रणदीप सूरजेवाला और अशोक चव्हाण की तस्वीर छपी है. ये तस्वीर तब की है जब वो सुप्रीम कोर्ट से बाहर आए और पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया.</p><p>टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पहले पन्ने पर आदित्य ठाकरे, सुप्रिया सुले, संजय राउत और रोहित पवार की तस्वीर है. ये तस्वीर एनसीपी विधायकों की एक बैठक के बाद की है. इसमें चारों मुस्कुराते नज़र आ रहे हैं </p><p>नवभारत टाइम्स का शीर्षक बॉलीवुड फ़िल्म गली बॉय से प्रेरित लग रहा है. </p><p>अख़बार पूछ रहा है: <strong>किसका टाइम आएगा?! </strong></p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50537591?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बीजेपी नेता नारायण राणे ने कहा, &quot;बाज़ार में अभी कई विधायक हैं…&quot;</a></p><figure> <img alt="टेलिग्राफ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/3AF3/production/_109819051_925b57f9-cf8c-408a-afd9-059d958453d1.jpg" height="515" width="741" /> <footer>The Telegraph/Eapaper grab</footer> </figure><p>कोलकाता से छपने वाले अख़बार द टेलिग्राफ़ ने काफ़ी व्यंग्यात्मक हेडिंग दी है. </p><p>इसकी हेडिंग है:</p><p>यानी होटेल ही आधुनिक भारत के मंदिर हैं. होटेल ही वो एकमात्र संस्था है जहां लोकतंत्र सुरक्षित है. </p><p>सरकार बनाने के लिए जिस तरह विधायकों की सौदेबाज़ी के लिए उन्हें होटल और रिज़ॉर्ट के चक्कर लगवाए जाते हैं, इस शीर्षक का इशारा उसी तरफ़ है.</p><figure> <img alt="सामना" src="https://c.files.bbci.co.uk/16F8B/production/_109819049_b7735771-3b7d-4c7e-9414-8585ecd8179a.jpg" height="886" width="738" /> <footer>SAMANA/EPAPER GRAB</footer> </figure><p><em>शिवसेना के मुखमत्र सामना ने कई सुर्खियां लगाई हैं. जैसे</em><em>:</em></p><p><strong>-सावधान रहो, सरकार अपनी ही आएगी</strong></p><p><strong>-शिव प्रहरी तैनात हैं, चोरों की ख़ैर नहीं</strong></p><p><strong>-साम-दान-दंड-भेद. सरकार चुराने के हर भाजपाई दांव में छेद</strong></p><p>अमर उजाला ने लिखा है कि अजित पवार ने कल एक घंटे के अंदर 21 ट्वीट किए. </p><p>पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शपथ ग्रहण की बधाई तो उन्होंने उनका शुक्रिया अदा किया और कहा कि वो बहुमत साबित करके दिखाएंगे. फिर कुछ ही देर बाद उन्होंने ट्वीट किया कि मैं एनसीपी में हूं, हमेशा एनसीपी में रहूंगा और शरद पवार हमारे नेता हैं. </p><p>एनसीपी और बीजेपी मिलकर स्थिर सरकार दे सकते हैं. और इसके तुरंत ही बाद शरद पवार ने उनके दावे को झूठा और भ्रामक बता दिया.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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