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अयोध्या केस: इतिहास के वो दस्तावेज़ जिनकी बुनियाद पर लिखा गया फ़ैसला

<figure> <img alt="सुप्रीम कोर्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/1FAE/production/_109601180_442bfa82-a702-458b-8a1f-8658b83dc90f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के अपने 1045 पन्ने के ऐतिहासिक फ़ैसले में कई किताबों और दस्तावेज़ों का ज़िक्र किया है. फ़ैसले के 929 नंबर पन्ने के बाद 116 पन्नों का एडेन्डा जोड़ा गया है जिसे हम परिशिष्ट या अधिक […]

<figure> <img alt="सुप्रीम कोर्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/1FAE/production/_109601180_442bfa82-a702-458b-8a1f-8658b83dc90f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के अपने 1045 पन्ने के ऐतिहासिक फ़ैसले में कई किताबों और दस्तावेज़ों का ज़िक्र किया है. फ़ैसले के 929 नंबर पन्ने के बाद 116 पन्नों का एडेन्डा जोड़ा गया है जिसे हम परिशिष्ट या अधिक जानकारी देने के मकसद से लिखा गया हिस्सा कह सकते हैं. इन पन्नों में उन किताबों और दस्तावेज़ों का विस्तार से ज़िक्र किया गया है कि जिन्हें सुनवाई के दौरान किसी पक्ष की तरफ से अपनी दलील में पेश किया गया था.</p><p><strong>आख़िर ये कौन-कौन सी किताबें या दस्तावेज़ हैं, इनके लेखक कौन हैं और इनमें किन बातों का ज़िक्र हुआ है.</strong></p><hr /><p>एक हज़ार से भी ज़्यादा पन्नों वाले इस फ़ैसले में <strong>बृहद धर्मोत्तर पुराण</strong> का ज़िक्र है जिसके अनुसार सात पवित्र जगहों में से एक अयोध्या है.</p><p>इसके अनुसार, &quot;अयोध्या मथुरा माया काशी का ची ह्मवन्तिका पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका: .&quot;</p><p>मतलब, भारत में सात सबसे पवित्र स्थान हैं- अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जैन) और द्वारावती (द्वारका).</p><hr /><p>फ़ैसले के अनुसार राम का जन्म अयोध्या में हुआ था इसके पक्ष में जो साक्ष्य या दलीलें पेश की गईं उनमें <strong>वाल्मीकि रचित ‘रामायण’ </strong>(जो ईसा पूर्व लिखा गया था) और <strong>’स्कंद पुराण के वैष्णव खंड'</strong> के अयोध्या महात्म्य का ज़िक्र है.</p><p>रामायण (महाभारत और श्रीमद भगवतगीते के लिखे जाने से पहले की रचना) के अनुसार राम का जन्म राजा दशरथ के महल में हुआ था और उनकी माता का नाम कौशल्या है. अदालत ने माना है कि रामायण में जन्म की सटीक जगह नहीं बताई गई है.</p><p>कोर्ट में पेश हुए एक इतिहासकार ने रामायाण की रचना का वक़्त 300 से 200 ईसा पूर्व बताया.</p><p>स्कंद पुराण आठवीं सदी में लिखा गया था. इसके अनुसार राम की जन्म भूमि पर जाना मोक्ष के समान है और इसमें राम के जन्म की सही जगह भी बताई गई है. </p><p>इस पुराण के अयोध्या महात्मय में राम के जन्म के सटीक स्थान का विवरण है. इसके अनुसार राम का जन्मस्थान विघ्नेश्वर के पूर्व, विशिष्ठ के उत्तर और लोमेश के पश्चिम में है.</p><p>अदालत में कहा गया था कि राम जन्मभूमि की जगह की पहचान के लिए स्कंद पुराण के अयोध्या महात्मय को आधार बनाया गया है. चार इतिहासकारों के अनुसार इसकी रचना 18वीं सदी के आख़िर और 19वीं सदी के आरंभ में की गई थी. इतिहासकारों की इस दलील को कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.</p><p>स्कंद पुराण के अयोध्या महात्मय में लिखी गई बातों की पुष्टि के लिए अदालत में कई साक्ष्य पेश किए गए.</p><p>स्वामी अविमुक्तेश्वरान्द सरस्वती ने जिरह के दौरान अयोध्या महात्मय को आधार बनाया था. उन्होंने कहा था कि उन्होंने बड़ा स्थान, नागेश्वर नाथ मंदिर, लोमेश ऋषि का आश्रम, विघ्नेश पिण्डारक (ये दोनों मंदिर नहीं बल्कि जगहों के नाम हैं) और वशिष्ठ कुंड देखा है.</p><p>हालांकि इसका विरोध करते हुए मुस्लिम पक्षकारों के वकील डॉ. राजीव धवन ने कहा था कि स्कंद पुराण के आधार पर राम जन्म स्थान की पहचान काफी हद तक 13 मई 1991 को पेश की गई इतिहासकारों की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है.</p><hr /><p>इसी परिप्रेक्ष्य में <strong>तुलसीदास के </strong><strong>'</strong><strong>रामचरित मानस</strong><strong>'</strong> का भी ज़िक्र है जिसे 1631 (1574-75 ई.) में लिखा गया था.</p><p>इसके एक अध्याय बालकंड के अनुसार विष्णु ने कहा था कि वो कोशलपुरी में कौशल्या और दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे.</p><hr /><p>कोर्ट के फ़ैसले में कई जगहों पर <strong>हैन्स टी बेक्कर</strong> की किताब का ज़िक्र है. साल 1984 में बेक्कर ने ग्रोनिन्जेन विश्वविद्यालय में अयोध्या पर अपना शोधपत्र दिया था. 1986 में ये एक किताब की शक्ल में प्रकाशित हुई.</p><p>इसमें राम जन्मभूमि, बाबरी मस्जिद और अन्य ज़रूरी जगहों के मैप हैं (जो 1980 से 1983 के बीच बनाए गए थे). इस किताब में कई जगहों पर अयोध्या महात्म्य को भी आधार बनाया गया है.</p><p>हैन्स बेक्कर के अनुसार हो सकता है कि अयोध्या एक काल्पनिक जगह हो जो केवल कथाओं में हो, लेकिन असलियत में ये कोई जगह न हो.</p><p>उनके अनुसार इस जगह की सत्यता के बारे में पता लगाने के लिए दूसरी सदी पूर्व के वक्त तक के इतिहास के बारे में जानकारी लेनी होगी.</p><p>बेक्कर ने खुद कई किताबों को पढ़ा और लिखा कि गुप्त काल में अयोध्या नाम की जगह की पहचान हुई थी और इसका ज़िक्र ब्रह्मांड पुराण और कालीदास के रघुवंश में भी है.</p><p>साथ ही इसमें कहा गया है कि 533-534 सदी की एक तांबे की प्लेट के अनुसार &quot;अयोध्या नाम की जगह के एक व्यक्ति&quot; का ज़िक्र है.</p><hr /><p>अकबर के शासनकाल के दौरान <strong>अबुल फ़ज़ल ने आईन-ए-अक़बरी</strong> की रचना की थी जिसमें प्रशासन से जुड़ी छोटी से छोटी बातों का ज़िक्र है.</p><p>अबुल फ़ज़ल अकबर के दरबार में एक मंत्री हुआ करते थे और 16वीं सदी में फारसी भाषा में इसे लिखने का काम पूरा हुआ था. </p><p>इसके दूसरे खंड में &quot;अवध के सूबे&quot; का ज़िक्र भारत के सबसे बड़े शहरों और हिंदुओं के लिए पवित्र स्थानों के रूप में है. इसके अनुसार अवध को रामचंद्र का निवास स्थान बताया गया है जो त्रेता युग में यहां रहते थे.</p><p>इस किताब में ईश्वर (भगवान विष्णु) के नौ अवतारों का विवरण है जिसमें से एक &quot;राम अवतार&quot; की बात की गई है. इसके अनुसार त्रेता युग में चैत्र के महीने के नौवें दिन अयोध्या में दशरथ और कौशल्या के घर पर राम का जन्म हुआ.</p><hr /><p>साल 1610 से 1611 के बीच <strong>विलियम फिंच</strong> ने भारत का दौरा किया था. </p><p>उनके यात्रा वृतांत &quot;अर्ली ट्रैवल्स इन इंडिया&quot; में रामचंद्र के महल और घरों के अवषेश के बारे में बताया गया है.</p><p>18वीं सदी में भारत की यात्रा करने वाले एंग्लो-आइरिश अधिकारी <strong>मोन्टगोमरी मार्टिन और जोसेफ़ टिफेन्टालर</strong> (यूरोपीय मिशनरी) की यात्रा वृतांत के हवाले से फ़ैसले में कहा गया है कि विवादित ज़मीन पर हिंदू सीता रसोई, स्वर्गद्वार और राम झूले की पूजा करते थे. </p><p>इसके अनुसार अवध के ब्रितानी शासन में शामिल होने के पहले से यानी 1856 से पहले बड़ी संख्या में लोग यहां ज़मीन की परिक्रमा भी करते थे.</p><p><strong>जोसेफ़ टिफेन्टालर</strong> के यात्रा वृतांत का अंग्रेज़ी अनुवाद कोर्ट में पेश किया गया था. इसके अनुसार औरंगज़ेब ने रामकोट नाम के एक किले पर जीत पाई और फिर इसे मिटा कर इसकी जगह तीन गुंबद वाला मुस्लिम मंदिर बनवाया. (कुछ लोगों का मानना है कि इसे बाबर ने बनवाया.)</p><p>लेकिन यहां मौजूद 14 काले रंग के पत्थरों से बने खंभों को नहीं तोड़ा गया और इनमें से 12 मस्जिद का हिस्सा बने.</p><hr /><p>1828 में छपा <strong>पहला गज़ेटियर</strong><strong>वॉल्टर हैमिल्टन</strong> का लिखा ईस्ट इंडिया गज़ेटियर था.</p><p>इसके अनुसार अवध को हिंदू एक पवित्र स्थान मानते थे और यहां पूजा अर्चना करते थे. यहां राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के मंदिर हैं.</p><p>इसके बाद 1838 में छपा <strong>दूसरा गज़ेटियर </strong><strong>मोन्टगोमरी </strong><strong>मार्टिन</strong> ने लिखा था. इसमें अयोध्या के बारे में विस्तार से लिखा है.</p><p>1856 में एडवार्ड थॉर्नटन की लिखी <strong>गज़ेटियर ऑफ़ इंडिया</strong> प्रकाशित हुई जिसमें अवध के बारे में विस्तार से लिखा है.</p><p>अदालत में पेश की गई किताबों में एक 1856 में छपी हदीत-ए-सेहबा भी है जो मिर्ज़ा जान द्वारा लिखी है. इसमें राम जन्म की जगह के नज़दीक सीता की रसोई का ज़िक्र है.</p><p>इसके अनुसार 923 हिजरी (<a href="https://habibur.com/hijri/">साल 1571</a>) में बाबर ने सैय्यद मूसा आशीक़न की निगरानी में यहां बड़ी मस्जिद बनावाई थी.</p><figure> <img alt="अयोध्या" src="https://c.files.bbci.co.uk/10626/production/_109601176_e83b96f4-3ca8-4429-9d43-8674522b57bb.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><hr /><p>साक्ष्य के सेक्शन में <strong>अवध के थानेदार शीतल दूबे की 28 नवंबर 1858 की एक रिपोर्ट</strong> का ज़िक्र है जिसके अनुसार 1858 में यहां साम्प्रदायिक तनाव हुआ था.</p><p>उनकी रिपोर्ट में &quot;मस्जिद&quot; को &quot;मस्जिद जन्म स्थान&quot; कहा गया है.</p><hr /><p>साल 1870 में सरकार ने फैज़ाबाद तहसील की एक ऐतिहासिक तस्वीर प्रकाशित की थी. </p><p>अयोध्या और फ़ैज़ाबाद के ऑफ़िशिएटिंग कमीश्नर एंड सेटलमेंन्ट ऑफ़िसर <strong>पी कार्नेगी </strong>द्वारा बनाई गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि &quot;अयोध्या का हिंदुओं के लिए वही महत्व है जो मुसलमानों के लिए मक्का और यहूदियों के लिए यरूशलम का.</p><p>उनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि 1528 में सम्राट बाबर ने जन्म स्थान की जगह पर मस्जिद बनवाई थी.</p><p>उन्होंने जन्म स्थान कहे जाने वाली इस जगह पर अधिकार के लिए हिंदू और मुसलमानों के बीच तनाव का भी ज़िक्र किया है. उन्होंने कहा है कि दोनो संप्रदायों के लोग यहां पूजा करने आते थे.</p><figure> <img alt="अयोध्या में राम की मूर्ति" src="https://c.files.bbci.co.uk/B806/production/_109601174_72f55ecc-d030-465b-87cd-02630b903738.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><hr /><p>फ़ैसले में लखनऊ के ऑल इंडिया शिया कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष प्रिंस अंजुम की याचिका का ज़िक्र है जिन्होंने याचिका में कहा था कि भारत के मुसलमान प्रभु राम को ऊंचा दर्जा देते हैं.</p><p>इसमें मुसलमान चिंतक <strong>डॉ. शेर मोहम्मद इक़बाल की एक कविता </strong><strong>&quot;</strong><strong>राम</strong><strong>&quot;</strong> का ज़िक्र है जिसमें कहा गया है – </p><p>&quot;है राम के वजूद पे हिन्दोस्तान को नाज़, </p><p>अहले नज़र समझते हैं उसको इमामे हिंद.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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