<p>यूरोपीय संघ के 23 सांसदों के ग़ैर सरकारी दौरे पर उठे सवालों के बीच माडी शर्मा नाम की एक महिला का नाम चर्चा में है.</p><p>माडी शर्मा के ही ग़ैर सरकारी संगठन ‘विमेन्स इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक’ ने इन सांसदों का भारत दौरा आयोजित किया है.</p><p>भारतीय मूल की इस ब्रितानी नागरिक का दावा है कि वो कभी समोसे बनाकर बेचा करती थीं और अब वह ऐसे एनजीओ की कर्ता-धर्ता हैं जो दक्षिण अफ्रीका, यूरोपीय देश और भारत सरकारों के साथ मिलकर काम करने का दावा करता है. </p><p>यूरोपीय संघ के सांसदों ने दिल्ली में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की है और कश्मीर का दौरा भी किया है.</p><p>भारत के जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद से ये किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल का पहला कश्मीर दौरा है. कांग्रेस और एनसीपी जैसे विपक्षी दलों ने इसे मोदी सरकार का प्रायोजित दौरा बताया है.</p><p>माडी शर्मा ने यूरोपीय संघ के सांसदों को भारत दौरे के लिए आमंत्रित करते हुए लिखा था कि इस दौरान दिल्ली में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी विशिष्ट मुलाक़ात भी करवाई जाएगी.</p><p>28 अक्तूबर को इस प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाक़ात की जिसकी तस्वीरें प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने भी जारी की हैं.</p><figure> <img alt="डल झील में सैर करते यूरोपीय संघ के सांसद" src="https://c.files.bbci.co.uk/284C/production/_109461301_747538dc-3a24-47ce-a509-98b32fef2d6e.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>यूरोपीय संघ के सांसदों ने कश्मीर का दौरा भी किया है</figcaption> </figure><p>यूरोपीय संघ के सांसद क्रिस डेविस को भी इस दौरे पर आने का निमंत्रण मिला था लेकिन जब उन्होंने कश्मीर में स्वतंत्र रूप से लोगों से बात करने की इच्छा ज़ाहिर की तो ये निमंत्रण वापस ले लिया गया. </p><p>क्रिस डेविस की ओर से बीबीसी को उपलब्ध करवाए गए माडी शर्मा की ओर से भेजे गए निमंत्रण ईमेल से पता चलता है कि सांसदों की यात्रा का ख़र्च भारत के ही ग़ैर सरकारी संगठन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ नॉन अलाइंड स्टडीज़ ने उठाया है. </p><p>सांसदों का ये दौरा भी निजी हैसियत में था.</p><p>अब सवाल उठ रहा है कि यूरोपीय सांसदों को भारत लाने वाली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात करवाने वाली मधु शर्मा या माडी शर्मा कौन हैं?</p><h1>कौन हैं माडी शर्मा?</h1><p>माडी शर्मा का असली नाम मधु शर्मा है. वो भारतीय मूल की ब्रितानी नागरिक हैं. माडी शर्मा यूरोपीय संघ की आर्थिक और सामाजिक समिति (<a href="https://memberspage.eesc.europa.eu/Search/Details/Person/2014544?onlyActiveMandate=True&isMinimal=False">ईईएससी</a>) की सदस्य भी हैं.</p><p>ईईएससी यूरोपीय संघ की सलाहकार संस्था है जिसमें सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र से जुड़े लोग होते हैं. </p><p>सदस्य के तौर पर ईईएससी में दिए हलफ़नामे में अपना परिचय देते हुए माडी शर्मा ने ख़ुद को माडी ग्रुप की संस्थापक, आंत्रेप्रेन्योर, अंतरराष्ट्रीय वक्ता, लेखक, सलाहकार, बिज़नेस ब्रोकर, ट्रेनर और विशेषज्ञ बताया है.</p><p>हलफ़नामे के मुताबिक, इस समिति में उन्हें ब्रितानी सरकार के कैबिनेट कार्यालय की महिला इकाई की ओर से नामित किया गया है. </p><p>अपने एक <a href="https://www.youtube.com/watch?v=YP64uJIoKWo">पुराने भाषण</a> में अपना परिचय देते हुए माडी शर्मा ने कहा था, "मेरे पास कोई योग्यता नहीं थी, कोई दक्षता नहीं थी, कोई प्रशिक्षण नहीं था, कोई पैसा नहीं था. मैं एक अकेली मां थी, मैं घरेलू हिंसा की पीड़ित थी. मेरे अंदर कोई विश्वास नहीं था, मैं क्या कर सकती थी. मैं सिर्फ़ एक ही चीज़ कर सकती थी, एक उद्यमी बन सकती थी. मैंने अपने घर में, अपने किचन से कारोबार शुरू किया. मैंने घर में समोसे बनाकर बेचे और मुनाफ़ा कमाया. आगे चलकर मैंने दो फ़ैक्ट्रियां लगाईं और उन लोगों को रोज़गार दिया जिनके पास कोई काम नहीं था."</p><p>माडी का एनजीओ <a href="http://westt.eu/">विमेंस इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक</a> ही यूरोपीय सांसदों को भारत लेकर आया है. यूरोपीय संघ के <a href="http://ec.europa.eu/transparencyregister/public/consultation/displaylobbyist.do?id=012122811913-69">पारदर्शिता कार्यालय में दर्ज दस्तावेज़ों</a> के मुताबिक इस एनजीओ की स्थापना सितंबर 2013 में हुई थी. </p><p>माडी शर्मा इसकी संस्थापक और निदेशक हैं और दस्तावेज़ों के मुताबिक इसमें पूर्णकालिक तौर पर सिर्फ़ एक कर्मचारी है और अंशकालिक तौर पर 2 कर्मचारी हैं. यानी सिर्फ़ तीन लोग इस थिंक टैंक को चला रहे हैं.</p><p>काग़ज़ों में ये संगठन दुनियाभर में महिलाओं और बच्चों के लिए काम करने का दावा करता है लेकिन इसकी वेबसाइट पर इसके सबूत नज़र नहीं आते. ना ही ज़मीन पर किए गए कार्यों का कोई ब्यौरा दिया गया है.</p><p>संगठन से जुड़े लोगों का ब्यौरा भी इसकी वेबसाइट पर मौजूद नहीं है. ये संगठन 14 देशों में अपने सदस्य या प्रतिनिधि होने का दावा भी करता है. </p><p>यूरोपीय संघ के ट्रांसपेरेंसी रजिस्टर से हासिल दस्तावेज़ बताते हैं कि पिछले वित्तीय वर्ष में इस संगठन का वार्षिक बजट 24 हज़ार यूरो यानी लगभग 19 लाख भारतीय रुपए था. </p><p>माडी शर्मा का अधिकारिक प्रोफ़ाइल ये भी बताता है कि वो दक्षिण अफ्रीका, यूरोपीय देशों और भारत में सरकारों के साथ मिलकर काम करती हैं. </p><p>संस्था के दस्तावेज़ों के मुताबिक इसमें कुल पांच लोग काम करते हैं जिनमें एक ही पूर्णकालिक कर्मचारी हैं. </p><h1>भारत से संबंध</h1><p>माडी शर्मा ने सांसदों को भेजे अपने निमंत्रण में कहा था कि आने जाने का ख़र्च भारत स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नॉन अलाइड स्टडीज़ (<a href="https://iins.org/">आईआईएनएस</a>) उठाएगा.</p><p>आईआईएनएस एक ग़ैर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1980 में की गई थी. हालांकि संगठन की वेबसाइट पर इसके संचालकों या सदस्यों के बारे में जानकारी नहीं है. संगठन के संस्थापक पत्रकार गोविंद नारायण श्रीवास्तव थे.</p><p>ये समूह ‘न्यू डेल्ही टाइम्स’ नाम का एक साप्ताहिक अख़बार और ‘न्यू डेल्ही टाइम्स डॉट कॉम’ नाम से एक वेबसाइट भी संचालित करता है. माडी शर्मा इस अख़बार में यूरोपीय संघ संवाददाता की पहचान के साथ लेख लिखती रही हैं.</p><p>हमने इस संगठन के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए इसके दफ़्तर में कई फ़ोन किए लेकिन कोई भी व्यक्ति वहां बात करने के लिए उपलब्ध नहीं था. फ़ोन उठाने वाले व्यक्ति ने ये तो कहा कि ये संगठन यहां से चलता है लेकिन इसमें कौन-कौन और कितने लोग काम करते हैं ये नहीं बताया. </p><p>इन सभी संगठनों के पीछे श्रीवास्तव परिवार का <a href="https://srivastavagroup.com/">श्रीवास्तव ग्रुप</a> है. इसके बारे में भी बहुत ठोस जानकारियां उपलब्ध नहीं है.</p><h1>सवालों में रहा मालदीव दौरा</h1><p>बीते साल मालदीव में हुए चुनावों के दौरान यूरोपीय संघ के सांसदों के एक छोटे समूह ने मालदीव का दौरा किया था. </p><p>कथित तौर पर ‘चुनावों के पर्यवेक्षण’ के लिए गए प्रतिनिधिमंडल में यूरोपीय संघ के सांसद टॉमस ज़ेचॉस्की, मारिया गैब्रिएल जोआना और रिज़्सार्ड ज़ारनेकी के अलावा यूरोपीय यूनियन सोशल कमेटी (ईईएससी) के अध्यक्ष हेनरी मालोसी के अलावा माडी शर्मा भी शामिल थीं. </p><p>माडी शर्मा के समूह ने यूरोपीय संघ की मासिक पत्रिका ईपी टुडे पर मालदीव यात्रा से जुड़ा एक <a href="https://eptoday.com/the-edge-of-the-chasm-threats-to-maldivian-democracy/">लेख </a>भी प्रकाशित किया था जिसमें वहां की सरकार की आलोचना की गई थी. लेख में कहा गया था, एक देश जिसे अधिकतर यूरोपीय नागरिक जन्नत की तरह देखते हैं उस पर "एक तानाशाह का क़ब्ज़ा है." </p><p>मालदीव ने अधिकारिक तौर पर इस लेख का विरोध दर्ज कराया था. प्रतिनिधिमंडल की मालदीव यात्रा पर विवाद होने के बाद यूरोपीय संघ ने <a href="https://eeas.europa.eu/delegations/sri-lanka/49624/eu-delegation-response-media-coverage-ep-today-article_en">स्पष्टीकरण </a>दिया था कि ये दौरा अधिकारिक नहीं था और सांसदों ने अपनी निजी हैसियत से किया था. मालदीव दौरे पर गए दो सांसद भारत दौरे पर भी आए हैं. </p><p>अब कश्मीर के दौरे पर भी ईयू ने कहा है कि ये दौरा अधिकारिक नहीं है. </p><p>माडी शर्मा और उनके कार्यों के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए हमने उनसे संपर्क करने की कई बार कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिल सका.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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