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शाओमी स्मार्टफ़ोन का वर्चस्व भारत में क्यों बढ़ रहा

<figure> <img alt="शाओमी: भारत के स्मार्टफोन बाज़ार में छाया चीनी ब्रांड" src="https://c.files.bbci.co.uk/17C53/production/_109336379_7ac552ce-37fb-4968-a98a-45dcd00cedcc.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>शाओमी भारतीय बाज़ार में 2015 में आया था.</figcaption> </figure><p>चीनी टेक कंपनी शाओमी ने कुछ सालों के अंदर ही भारत में कम क़ीमतों के स्मार्टफ़ोन बज़ार पर कब्ज़ा कर लिया है. लेकिन ये कैसे हुआ? ये समझने के लिए […]

<figure> <img alt="शाओमी: भारत के स्मार्टफोन बाज़ार में छाया चीनी ब्रांड" src="https://c.files.bbci.co.uk/17C53/production/_109336379_7ac552ce-37fb-4968-a98a-45dcd00cedcc.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>शाओमी भारतीय बाज़ार में 2015 में आया था.</figcaption> </figure><p>चीनी टेक कंपनी शाओमी ने कुछ सालों के अंदर ही भारत में कम क़ीमतों के स्मार्टफ़ोन बज़ार पर कब्ज़ा कर लिया है. लेकिन ये कैसे हुआ? ये समझने के लिए बीबीसी की क्रुतिका पाथी ने टेक विशेषज्ञों से बात की. </p><p>15 मिनट – इतना ही वक़्त लगा शाओमी के नए स्मार्टफ़ोन, रेडमी नोट 8 को बिकने में, जब सोमवार को उसे ऑनलाइन ‘फ्लेश सेल’ के लिए डाला गया. </p><p>कंपनी के लिए ये कोई नई बात नहीं है बल्कि ये कंपनी की इंडिया स्ट्रैटिजी का अहम हिस्सा है. </p><p>टेक्नोलॉजी मामलों की पत्रकार माला भार्गव ने बीबीसी से कहा, &quot;आपको पहले ऑनलाइन रजिस्टर करना होता है और फिर इन फ्लेश सेल्स पर नज़र रखनी होती है. जैसे ही ये शुरू हो आप ख़रीददारी कर सकते हैं.&quot;</p><p>हालांकि शाओमी के मोबाइल ऑफ़लाइन स्टोर्स में भी मिलते हैं. ज़्यादातर नए मॉडल पहले ऑनलाइन बिकते हैं जो कंपनी की सेल का आधे से ज़्यादा होता है. </p><p>शाओमी 2015 में भारतीय बाज़ार में आया था. टेलिकॉम रिसर्च फ़र्म कन्वर्जेंस कैटेलिस्ट के पार्टनर जयंत कोला के मुताबिक़ कंपनी ने भारत में स्टोर बनाने पर निवेश नहीं किया. </p><p>इसके बजाय उन्होंने अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचने पर फोकस किया. इससे डिस्ट्रिब्यूशन कॉस्ट कम हो गई, जिसकी वजह से फ़ोन सस्ते हो गए. </p><p>जयंत कोला कहते हैं कि &quot;उनकी ऑनलाइन मौजूदगी से भारत में उन्हें पसंद करने वालों की तादाद बढ़ी. इससे शाओमी देश के स्मार्टफ़ोन मार्केट में एक बड़ा प्लेयर बनकर उभरा.&quot;</p><p>भारत के बढ़ते स्मार्टफ़ोन मार्केट पर आधे से ज़्यादा नियंत्रण चीनी कंपनियों का है. उनके यहां 45 करोड़ से ज़्यादा ग्राहक हैं. मतलब भारत में शाओमी का आठ अरब डॉलर का बाज़ार है. </p><p>शाओमी, जिसके मोबाइल ब्रैंड को अक्सर &quot;ग़रीबों का आईफ़ोन&quot; भी कहा जाता है. वो भारत के बाज़ार में 28% हिस्सेदारी रखता है. 2016 में कंपनी की ये हिस्सेदारी महज़ 3% तक सीमित थी. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-cap-49343862?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">खुले दफ्तरों में क्यों पसंद किए जा रहे हैं फोन बूथ</a></li> </ul><figure> <img alt="शाओमी: भारत के स्मार्टफोन बाज़ार में छाया चीनी ब्रांड" src="https://c.files.bbci.co.uk/47BB/production/_109336381_56c1aa97-5d72-40c3-a2d2-5d612d6eda6d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>आईफ़ोन </strong><strong>की तरह दिखने वाले </strong><strong>फ़ोन</strong></p><p>भार्गव कहती हैं, &quot;कपंनी ऐसे फ़ोन लेकर आई जो आईफ़ोन की तरह दिखते थे. उनके उत्पादों की पहली खेप की ऐपल के उत्पादों से तुलना की गई और कंपनी की इसके लिए आलोचना भी हुई.&quot;</p><p>लेकिन बात सिर्फ़ इतनी नहीं थी कि शाओमी के फ़ोन आईफ़ोन की तरह दिखते थे. इन फ़ोन्स में ढेर सारे फीचर और हार्डवेयर थे, जिससे भारतीयों को लगा कि उनके पैसे वसूल हो गए हैं. </p><p>मिसाल के तौर पर उन्हें रेडमी के फ़ोन में 64 मेगापिक्सल कैमरा मिला. इन फ़ोन्स की शुरुआत 9,999 रुपए से होकर 17,999 रुपए तक थी. </p><p>भारतीय ग्राहक इन फ़ोन की तरफ़ खिंचते चले गए, जो दिखते आईफ़ोन की तरह थे. लेकिन उनकी क़ीमत उससे एक तिहाई थी. </p><p>कोला कहते हैं, &quot;सभी को आईफ़ोन चाहिए लेकिन जब तक वो आईफ़ोन अफोर्ड नहीं कर सकते, तब तक उसकी तरह दिखने वाले फ़ोन से काम चलाते हैं.&quot;</p><p>वो बताते हैं कि &quot;उनकी कंपनी ने एक रिसर्च में पाया कि जब किसी व्यक्ति की आय बढ़ती है तो वो ‘बेहतर स्मार्टफ़ोन’ ख़रीदता है. वो या तो ऐपल होता है या सैमसंग.&quot; </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49868474?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कौन-कौन सुनते हैं राष्ट्रपति के फ़ोन कॉल्स</a></li> </ul><figure> <img alt="शाओमी: भारत के स्मार्टफोन बाज़ार में छाया चीनी ब्रांड" src="https://c.files.bbci.co.uk/95DB/production/_109336383_47d986ca-5391-465d-b2fa-a87d60075f0d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कोला कहते हैं, &quot;भारत में उनकी लोकप्रियता का कारण क़ीमतों में कमी ही है. ग्राहकों को पहले से कम क़ीमतों पर, पहले से बेहतर फीचर मिल रहे हैं.&quot;</p><p>टेक्नोलॉजी मामलों के विश्लेषक नील शाह कहते हैं, &quot;एक वक्त था जब माइक्रोमैक्स जैसा भारत का ब्रैंड बाज़ार में सबसे आगे था. लेकिन भारत में 4G आने के बाद 2016 और 2017 के आसपास सब कुछ बदल गया.&quot; </p><p>जब तक 4जी भारत में आया तब तक चीन की कंपनियों ने स्वदेश में 4जी टेक्नोलॉजी के सस्ते फ़ोन बेचकर सफलता हासिल कर ली थी. </p><p>शाह के मुताबिक, &quot;इसलिए उनके लिए भारत में रातोरात 3जी से 4जी फ़ोनसेट पर आना बहुत आसान हो गया. इसने भारतीय ब्रैंड को आख़िरकार ख़त्म कर दिया.&quot; </p><p>लेकिन भारतीय बाज़ार में अब भी ज़बरदस्त प्रतिस्पर्धा बनी हुई है और कोई एक कंपनी इस पर ज़्यादा वक़्त तक दबदबा नहीं रख पाती है. </p><p>पिछले साल से अब तक शाओमी के मार्केट शेयर बढ़कर 28 फ़ीसदी हो गए हैं. कोरियाई टेक कंपनी सैमसंग इससे थोड़ा पीछे 25 फ़ीसदी पर है. रीयलमी जैसे चीनी ब्रैंड्स भी भारतीय ग्राहकों में काफ़ी लोकप्रिय हो रहे हैं. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50090780?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारत की डिजिटल दौड़, जिसमें लाखों पीछे छूट रहे हैं </a></li> </ul><figure> <img alt="शाओमी: भारत के स्मार्टफोन बाज़ार में छाया चीनी ब्रांड" src="https://c.files.bbci.co.uk/E3FB/production/_109336385_ab0e5cab-eb1d-4914-8601-716a31f7f97f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>इस साल की शुरुआत में जब ‘के-20’ फ़ोन की नई सिरीज़ आई तो शाओमी लुढ़क गया था. </p><p>जुलाई में द हिंदू अख़बार को दिए इंटरव्यू में शाओमी के भारतीय डायरेक्टर मनु जैन कहते हैं, &quot;कुछ साल पहले भारत के स्मार्ट फ़ोन बाज़ार में कंपनी का हिस्सा तीन से चार प्रतिशत था. जो अब बढ़ गया है.&quot; </p><p>हालांकि कोला का कहना है कि शाओमी को अगर ऐपल और सैमसंग के बराबर पहुंचना है तो कंपनी को और कोशिश करनी होगी. </p><p>वो कहते हैं, &quot;अगर वो नई तकनीक और नए उत्पाद नहीं लाएंगे, तो सस्ते फ़ोन ही बेचते रह जाएंगे.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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