<figure> <img alt="व्लादिमीर पुतिन, रचेप तैय्यप अर्दोआन" src="https://c.files.bbci.co.uk/16CBD/production/_109337339_31e0d049-70a9-4b68-bb37-e790c980c234.jpg" height="700" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>सीरिया से सटी तुर्की की सीमा से कुर्दबलों को दूर रखने के लिए रूस और तुर्की के बीच मंगलवार देर रात को एक अहम समझौता हुआ.</p><p>काले सागर के नज़दीक रूस के सोची शहर में घंटों तक चली इस बातचीत के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति रचेप तैय्यप अर्दोआन के बीच <a href="https://twitter.com/trpresidency/status/1186731335882362880">10-सूत्री समझौते</a> पर हस्ताक्षर किए गए.</p><p>दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति बनी है कि सीरिया के उत्तरी इलाक़े में रास अल-एन से तेल अब्याद तक तुर्की सेफ़ ज़ोन बनाएगा. कुर्द बलों को उनके हथियारों समेत इस इलाक़े से पीछे जाने के लिए 150 घंटे का वक़्त दिया गया है. </p><p>पीस स्प्रिंग नाम का ये अभियान 23 अक्तूबर दोपहर 12.00 बजे से शुरु होगा जिसे पूरा करने में रूसी सैन्य पुलिस और सीरियाई सीमाबल मदद करेंगे.</p><p>इसके साथ मानबिज और तल रफ़ात से भी कुर्द बल हटाने और इस इलाक़े से चरमपंथियों की घुसपैठ को रोकने पर भी दोनों पक्षों में सहमति बन गई है.</p><p>रूस के अनुसार दोनों पक्षों का मानना है कि सीरिया में स्थायित्व के लिए यहां से <a href="http://en.kremlin.ru/events/president/news/61876">विदेशी सैन्य बलों</a> का हटना ज़रूरी है.</p><p><a href="https://twitter.com/trpresidency/status/1186731335882362880">https://twitter.com/trpresidency/status/1186731335882362880</a></p><p>बैठक के बाद पुतिन ने फ़ोन पर सारिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद से बात की और उन्हें अर्दोआन के साथ हुए समझौते के बारे में जानकारी दी. </p><p><a href="https://www.nytimes.com/reuters/2019/10/22/world/middleeast/22reuters-syria-security-putin-assad-call.html">बशर अल-असद</a> ने इस समझौते का स्वागत किया है और पुतिन को अहम भूमिका निभाने के लिए शुक्रिया अदा किया है. उन्होंने तुर्की-सीरिया सीमा पर रूसी सैन्य पुलिस के साथ सीरियाई सुरक्षाबलों की तैनाती के लिए भी हामी भर दी है.</p><hr /><h3>दो अलग-अलग खेमे में थे तुर्की और रूस</h3><p>लेकिन इस बात को अधिक वक़्त नहीं हुआ है जब तुर्की और रूस एक दूसरे के आमने सामने थे. <a href="https://www.bbc.com/hindi/international/2015/11/151128_jet_downing_erdogan_saddened_cj?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">2015 में तुर्की सेना</a> ने सीरिया की सीमा के पास रूस का एक लड़ाकू विमान मार गिराया था. उस वक़्त अर्दोआन ने कहा था कि रूस <a href="http://www.bbc.com/hindi/international/2015/11/151127_turkey_warns_russia_ps?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’आग से खेल'</a> रहा है.</p><p>मामला बढ़ा और रूस ने तुर्की के साथ अपने वीज़ा मुक्त संबंधों को निलंबित किया और तुर्की पर <a href="http://www.bbc.com/hindi/international/2015/11/151126_russia_plans_bans_on_turkey_hk?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आर्थिक प्रतिबंध</a> लगाने की योजना तक बना डाली.</p><p>लेकिन 2018 आते-आते मध्यपूर्व में <a href="https://www.bbc.com/hindi/international-43768480?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">समीकरण बदलने</a> लगे. कथित इस्लामिक स्टेट को पीछे धकेलने के लिए ब्रिटेन, फ्रांस और अमरीका की सेनाओं ने सीरिया में हमले किए तो रूस सीरियाई सरकार के साथ खड़ा हो गया. </p><p>इस दौरान सीरिया में इस्लामिक स्टेट से लड़ रहे <a href="https://www.bbc.com/hindi/international-46714223?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कुर्दबलों का समर्थन अमरीका</a> ने किया जो सीरियाई सरकार के विरोधी थे. अमरीका ने उन्हें काफ़ी मात्रा में हथियार दिए जिनसे तुर्की परेशान हुआ क्योंकि तुर्की कुर्दों को चरमपंथी मानता है. </p><p>2019 आते-आते अमरीका ने कहा कि वो अपने <a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50035148?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सैनिक सीरिया से बाहर निकालेगा</a> और उसके बाद उनसे कुर्द बलों को समर्थन देना बंद किया. </p><p>दूसरी तरफ़ सीरिया में एक सेफ़ ज़ोन बनाने के उद्देश्य से कुर्दबलों के ख़िलाफ़ तुर्की ने अभियान शुरु किया. ऐसे में अकेले पड़े कुर्दबलों को <a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50048971?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सीरियाई सरकार से मदद</a> मांगनी पड़ी.</p><figure> <img alt="रचेप तैय्यप अर्दोआन" src="https://c.files.bbci.co.uk/3825/production/_109337341_1d6d98b7-4b5e-4e7a-8945-f860a54d9acd.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>इसली साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में रचेप तैय्यप अर्दोआन ने सीरिया में सेफ़ ज़ोन बनाने के ख़ाका पेश किया था.</figcaption> </figure><hr /><p><strong>रूस के हित में काम कर रहे हैं पुतिन</strong><strong>?</strong></p><p>तेज़ी से बदलते इस परिदृश्य में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भूमिका काफ़ी अहम रही है जो कभी सीरिया के साथ नज़र आए तो कभी तुर्की के साथ.</p><p>एक दूसरे के ख़िलाफ़ खड़े दोनों पक्षों की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ा कर और बातचीत कर के आख़िर पुतिन मध्यपूर्व में क्या साबित करना चाहते हैं?</p><p><strong>दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर एके पाशा</strong> कहते हैं कि "पुतिन ने एक राजनीतिक क़दम उठा कर सीरिया में हो रहे सैन्य मुहिम को एक तरह से रोक दिया है. इसके बाद हो सकता है कि सीरियाई सरकार चला रही बाथ पार्टी अब एक दूसरे गुटों को लेकर नई सरकार बनाए."</p><p>वो कहते हैं कि "बशर अल-असद इसके लिए तैयार नहीं होंगे लेकिन वो फ़िलहाल इस स्थिति में नहीं हैं कि वो रूस को इनकार कर सकें. बीते आठ साल से सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध के कारण हुई तबाही को देखते हुए वो इसके लिए राज़ी हो सकते हैं."</p><p><strong>मध्यपूर्व मामलों के जानकार क़मर आग़ा </strong>कहते हैं कि "रूस और तुर्की के बीच लव-हेट रिश्ता है जिसमें तुर्की केंद्र में है." </p><p>वो बताते हैं कि मध्यपूर्व में अमरीका की बनाई जगह अब ख़ाली हो रही है, जिसे रूस भरना चाहता है. तुर्की के साथ रूस की बातचीत को इसी नज़रिए से देखने की ज़रूरत है.</p><p>वो कहते हैं, "मुद्दे की बात ये है कि अमरीकी ताक़त अब पतन की ओर है. तो ऐसे में ख़ालीपन तैयार होगा और रूस मध्यपूर्व में बड़ी भूमिका लेने के लिए आगे आ रहा है."</p><p>वो कहते हैं कि रूस, चीन, ईरान और अन्य ताक़तें भी इस ख़ाली जगह को भरने की कोशिश कर रही हैं. वो कहते हैं, "और समय के साथ स्थानीय ताक़तें और ताक़तवर होती जाएंगी."</p><p>प्रोफ़ेसर एके पाशा कहते हैं, "अमरीका ख़ुद मध्यपूर्व से बाहर निकलना चाहता है तो अब ये इलाक़ा राजनीतिक और रक्षा में मदद के लिए रूस की तरफ़ देख रहा हैं. हाल में सऊदी शाह किंग सलमान भी मॉस्को गए थे. स्पष्ट ज़ाहिर होता है कि अमरीका अब मध्यपूर्व में नहीं रहना चाहता और उन्हें रूस, भारत और चीन से संबंध बनाना होगा."</p><p>क़मर आग़ा कहते हैं कि अमरीकी का सत्ता परिवर्तन कर गणतंत्र लाने की नीति नाकाम हो चुकी है. "अमरीका ने इराक़, अफ़ग़ानिस्तान में नई सरकार बनाने की कोशिश तो की लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद अरब दुनिया में अमरीका का समर्थन भी लगातार कम होता गया है."</p><figure> <img alt="सरियाई सेना" src="https://c.files.bbci.co.uk/8645/production/_109337343_ffa9ea56-e6da-4f32-83ed-99c483207b2d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANA/AFP</footer> </figure><h3>बदल रहा है वर्ल्ड ऑर्डर</h3><p>प्रोफ़ेसर पाशा कहते हैं कि आज की दुनिया यूनिपोलर से मल्टीपोलर (एक ध्रुव से अनेक ध्रुव) दुनिया की तरफ़ बढ़ रही है. </p><p>1991 में सोवियत संघ ख़त्म हुआ और एक ध्रुव वाली दुनिया नज़र आने लगी जिसमें अमरीका सबसे बड़ी ताक़त है. </p><p>वो कहते हैं, "लेकिन अब दुनिया अनेक ध्रुवों वाली दुनिया में कई देश ताक़तवर होंगे जिसमें बड़ी ताक़तें होंगे – अमरीका, रूस और चीन. दूसरे स्तर पर ताक़तवर देशों में यूरोपीय संघ, भारत, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, जापान, ब्राज़ील, इरान होंगे."</p><p>क़मर आग़ा कहते हैं, "इन सबके बीच तुर्की इस्लामिक दुनिया में बड़ी भूमिका निभाने के बारे में सोच रहा है और वो रूस का समर्थन चाहता है. वो कभी रूस से हथियार लेते हैं और अमरीका पर दवाब बनाते हैं."</p><p>"अन्य देश ताक़तवर ज़रूर होते जा रहे हैं लेकिन अमरीका बड़ी ताक़त है और वो भी वैसी ही रहेगी और वो नंबर वन ही रहेगी."</p><figure> <img alt="व्लादिमीर पुतिन" src="https://c.files.bbci.co.uk/D465/production/_109337345_77b05ae9-19f7-4145-bf49-c147f66878c7.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p>क़मर आग़ा कहते हैं, "ये मानना ग़लत है कि रूस में पुतिन का नेतृत्व न रहा तो वो कमज़ोर होगा. रूस के नेता पुतिन हों या न हों, रूस अनेक-ध्रुवों वाली दुनिया में अहम खिलाड़ी रहेगा. शीत युद्ध के बाद वो एक बार फिर बड़ी ताक़त के रूप में उभरना चाहता है."</p><p>क़मर आग़ा कहते हैं, इस बात को देखने की ज़रूरत है कि कभी तकनीक में सबसे आगे रहने वाला अमरीका या पश्चिमी देश अब इस क्षेत्र में लीडर नहीं रह गए हैं.</p><p>इस क्षेत्र में भी चीन और रूस अपनी ताक़त बढ़ा रहे हैं और अमरीका के लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहें.</p><p>प्रोफ़ेसर एक के पाशा कहते हैं कि रूस के पास परमाणु हथियारों के साथ-साथ तेल के बड़े भंडार भी हैं और यूरेशिया के देशों के साथ वो अच्छे संबंध बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, अपने आप में अमरीका के लिए वो भी बड़ी चुनौति पेश कर रहा है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
तुर्की या सीरिया: किसका साथ दे रहे हैं पुतिन
<figure> <img alt="व्लादिमीर पुतिन, रचेप तैय्यप अर्दोआन" src="https://c.files.bbci.co.uk/16CBD/production/_109337339_31e0d049-70a9-4b68-bb37-e790c980c234.jpg" height="700" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>सीरिया से सटी तुर्की की सीमा से कुर्दबलों को दूर रखने के लिए रूस और तुर्की के बीच मंगलवार देर रात को एक अहम समझौता हुआ.</p><p>काले सागर के नज़दीक रूस के सोची शहर में घंटों तक चली इस बातचीत के बाद रूसी राष्ट्रपति […]
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