<figure> <img alt="अयोध्या" src="https://c.files.bbci.co.uk/12587/production/_109234157_mrx1im3o.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Samiratmaj Mishra /BBC</footer> </figure><p>सोमवार से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की अंतिम दौर की सुनवाई शुरू हुई. </p><p>उसी दिन अयोध्या ज़िला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर अगले दो महीने तक शहर में धारा 144 लगा दी, शहर के चारों ओर और शहर के भीतर जगह-जगह पुलिस और पैरा मिलिट्री के जवान मुस्तैद दिख रहे हैं, लेकिन अयोध्या शहर का मिजाज़ वैसा का वैसा ही था.</p><p>सरयू नदी की ओर से शहर के भीतर प्रवेश करने वाले मार्ग पर ट्रैफ़िक रोक दिया गया है क्योंकि बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य हो रहे हैं. </p><p>बताया गया कि राम की पैड़ी पर अब सरयू नदी का पानी सीधे आएगा जिससे लोगों को स्नान में दिक़्क़त न हो और मुख्य घाटों पर श्रद्धालुओं का दबाव भी कम हो सके.</p><p>कुछ समय पहले तक सड़क के किनारे दिखने वाली झुग्गी-झोंपड़ियों के अब निशान तक मौजूद नहीं हैं. स्थानीय निवासी और गाइड का काम करने वाले दयाराम दुबे बताते हैं कि उन लोगों को हटाकर कहीं और शिफ़्ट कर दिया गया है क्योंकि बिना उनके हटे शहर का सौंदर्यीकरण संभव नहीं था. </p><p>दयाराम दुबे कहते हैं, "शहर में इस बार दीपोत्सव कार्यक्रम पिछले दो बार की तुलना में और भव्य होगा. इस बार सिर्फ़ रामघाट ही नहीं बल्कि पूरा शहर दीपों से रोशन होगा."</p><p>शहर के भीतर प्रवेश करने के लिए कारसेवकपुरम वाले रास्ते से ही होकर जाना पड़ रहा है. कारसेवकपुरम में पत्थर तराशने का काम उसी गति से चल रहा है, जैसा पिछले कई सालों से हो रहा है. </p><figure> <img alt="अयोध्या" src="https://c.files.bbci.co.uk/D767/production/_109234155_a5gllgh4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Samiratmaj Mishra /BBC</footer> </figure><p>महाराष्ट्र के सतारा ज़िले से आए एक बुज़ुर्ग श्रद्धालु शारदानाथ बोले, "लगता है जल्दी ही इन शिलाओं का उपयोग होने वाला है."</p><p>हनुमानगढ़ी चौराहे पर कुछ लोगों से जिज्ञासावश हमने सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पर बात की. बर्तन की दुकान के मालिक शैलेंद्र कुमार बोले, "सुप्रीम कोर्ट इस महीने फ़ैसला दे देगा और अगले महीने से शायद मंदिर निर्माण शुरू हो जाए."</p><p>"लेकिन क्या फ़ैसला मंदिर के लिए ही आएगा, ये तो मस्जिद के लिए भी आ सकता है?" इस सवाल का जवाब उन्होंने कुछ ऐसी मुस्कराहट के साथ दिया जैसे फ़ैसले के बारे में उन्हें सब कुछ पहले से ही पता हो. </p><p>हालांकि वहीं मौजूद कुछ लोग ऐसे भी थे जो अब भी मंदिर को लेकर हो रही कथित राजनीति पर ख़फ़ा हैं. उन्हीं में से बीकॉम कर रहे एक युवक धर्मेंद्र सोनकर बेहद निराशा के साथ कहते हैं, "मंदिर जब बन जाए तभी जानिए. हमें तो कोई उम्मीद नहीं दिख रही है." </p><figure> <img alt="अयोध्या का राम मंदिर" src="https://c.files.bbci.co.uk/8947/production/_109234153_dt4hj8jh.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Samiratmaj Mishra /BBC</footer> </figure><p>वहीं रामजन्म भूमि की ओर जाने वाले मार्ग पर भी लोगों की आवाजाही अमूमन वैसी ही थी जैसी कि अक़्सर होती है. बाज़ार से लेकर हनुमानगढ़ी होते हुए रामजन्मभूमि मार्ग तक ऐसा कुछ भी नहीं दिखा जिससे पता चले कि शहर में निषेधाज्ञा लगी है और लोग झुंड में नहीं जा सकते हैं. </p><p>शहर में जगह-जगह ट्रैफ़िक जाम की स्थिति अन्य दिनों की तुलना में कुछ ज़्यादा ही ख़राब दिखी क्योंकि निर्माण कार्यों की वजह से कुछ रास्ते पूरी तरह से बंद किए गए हैं.</p><p>अयोध्या में लंबे समय से चल रहे मंदिर मस्जिद मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अंतिम दौर में चल रही है. </p><p>आगामी 17 अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी. माना जा रहा है कि अगले महीने की 17 तारीख़ से पहले शायद कोई फ़ैसला आ जाए. वहीं फ़ैसले की आहट से पहले शहर में दस दिसंबर तक के लिए धारा 144 लगा दी गई है.</p><figure> <img alt="अयोध्या" src="https://c.files.bbci.co.uk/17F5F/production/_109234189_z36t2x6d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Samiratmaj Mishra /BBC</footer> </figure><p>अयोध्या के ज़िलाधिकारी अनुज कुमार झा के मुताबिक़, "दीपावली से पहले होने वाला दीपोत्सव कार्यक्रम इससे प्रभावित नहीं होगा और न ही मंदिरों में लोगों की आवाजाही पर इसका कोई असर होगा. ज़िलाधिकारी के मुताबिक़, आने वाले दिनों में कई त्योहार हैं, जिसकी वजह से ये क़दम उठाया गया है."</p><p>वहीं फ़ैसले से पहले अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद की गर्माहट भी दिखने लगी है. विश्व हिन्दू परिषद ने इस बार दीपोत्सव कार्यक्रम के दौरान राम लला विराजमान परिसर में भी प्रशासन से दीप जलाने की अनुमति मांगी है तो दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष के कुछ लोगों ने इसका विरोध किया है. </p><p>वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि "शहर में धारा 144 लगाने के पीछे इस तरह के विवाद भी हैं, सिर्फ़ फ़ैसले की आहट ही नहीं."</p><figure> <img alt="अयोध्या" src="https://c.files.bbci.co.uk/4AC7/production/_109234191_ccd3a5db-9307-4165-a242-322e933c7167.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>1992 में अयोध्या के विवादित ढांचे की ली गई तस्वीर</figcaption> </figure><p>विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं, "राम लला अँधेरे में हैं. दीपावली के मौक़े पर पूरा शहर दीपों से जगमगाएगा, ऐसे में भगवान राम अँधेरे में रहें तो ठीक नहीं है. हमने प्रशासन से इसकी अनुमति मांगी है और हमें उम्मीद है कि अनुमति मिल जाएगी."</p><p>अयोध्या मंडल के आयुक्त मनोज मिश्र ने इस अनुमति के लिए फ़िलहाल साफ़तौर पर मना कर दिया है. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, "यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और पारंपरिक तरीक़े से वहां जो भी पूजा-अर्चना होती है, वही होगी. उससे हटकर कोई पक्ष कुछ करना चाहे तो उसे इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से ही अनुमति लेनी पड़ेगी, प्रशासन से नहीं."</p><p>लेकिन, मामले में एक पक्षकार हाजी महबूब के नेतृत्व में अयोध्या के स्थानीय मुसलमानों ने विश्व हिन्दू परिषद की इस कोशिश का तीखा विरोध किया है. </p><p>हाजी महबूब कहते हैं, "दिया जलाने की इजाज़ज सुप्रीम कोर्ट ने वहां नहीं दे रखी है. यदि प्रशासन उन्हें ऐसी इजाज़त देता है तो हम वहां नमाज़ पढ़ने की मांग करेंगे और फिर हमें नमाज़ पढ़ने की भी इजाज़त प्रशासन को देनी पड़ेगी."</p><figure> <img alt="अयोध्या का राम मंदिर" src="https://c.files.bbci.co.uk/98E7/production/_109234193_36da855f-30da-424b-9d6b-fa1664a7dd98.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>कई हिंदू संगठन अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर बनाने का वादा करते रहे हैं. मंदिर के लिए पत्थरों पर कारीगरी का काम कई सालों से चल रहा है.</figcaption> </figure><p>मुस्लिम समाज के लोग इस बात को लेकर ज़रूर आशंकित हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद कहीं साल 1992 जैसे हालात दोबारा न बन जाएं. </p><p>स्टेशन रोड पर रहने वाले अली गुफ़रान कहते हैं कि अयोध्या के मुसलमानों को इसका विश्वास दिलाना होगा कि ज़िले में क़ानून-व्यवस्था के मुद्दे पर प्रशासन पूरी तरह से सख़्त है. वो कहते हैं, "प्रशासन ने एहतियातन जो क़दम उठाए हैं, वो इसीलिए उठाए हैं ताकि सभी लोगों में विश्वास पैदा हो सके."</p><p>लेकिन बाबरी मस्जिद के एक अन्य पक्षकार इक़बाल अंसारी लोगों से इन सब विवादों से दूर रहने की अपील करते हैं. इक़बाल अंसारी कहते हैं कि अब लोगों को कोर्ट के फ़ैसले का ही इंतज़ार ही करना चाहिए और कुछ नहीं. </p><p>इक़बाल अंसारी कहते हैं कि कोर्ट का फ़ैसला चाहे जो आए, वो मानेंगे. उन्होंने कहा, "हमारे ख़िलाफ़ भी आता है तो भी मानेंगे क्योंकि अब और कहीं अपील करने का कोई मतलब नहीं है. बहुत लंबा खिंच चुका है ये मामला. अब यह विवाद ख़त्म होना चाहिए."</p><p>इस बीच, अयोध्या में एक ओर जहां दीपोत्सव कार्यक्रम के पहले शहर के सुंदरीकरण के लिए तमाम निर्माण कार्य हो रहे हैं वहीं सुरक्षा के लिए भारी संख्या में पुलिस बलों की भी जगह-जगह तैनाती की गई है. </p><p>सुप्रीम कोर्ट में जारी अंतिम दौर की सुनवाई के बीच ऐसे क़यास भी लगाए जा रहे हैं कि इस दौरान बातचीत के ज़रिए भी विवाद का हल निकालने की कोई अंतिम कोशिश की जा सकती है. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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अयोध्या: सब कुछ सामान्य है फिर धारा 144 क्यों
<figure> <img alt="अयोध्या" src="https://c.files.bbci.co.uk/12587/production/_109234157_mrx1im3o.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Samiratmaj Mishra /BBC</footer> </figure><p>सोमवार से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की अंतिम दौर की सुनवाई शुरू हुई. </p><p>उसी दिन अयोध्या ज़िला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर अगले दो महीने तक शहर में धारा 144 लगा दी, शहर के चारों ओर और शहर के भीतर जगह-जगह पुलिस और […]
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