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आरे जंगल का मामला कैसे पहुंचा सुप्रीम कोर्ट में?

<p>मोटर से चल रही आरी ने चंद सेकंड में ही भारी-भरकम हरे-भरे पेड़ को धराशाई कर दिया. </p><p>अब लोग सोशल मीडिया पर इस पेड़ के काटे जाने का वीडियो देख रहे हैं और पर्यावरण के प्रति चिंता ज़ाहिर कर रहे हैं.</p><p>कल तक मुंबई की आरे कॉलोनी में खड़े ऐसे ही लगभग दो हज़ार पेड़ अब […]

<p>मोटर से चल रही आरी ने चंद सेकंड में ही भारी-भरकम हरे-भरे पेड़ को धराशाई कर दिया. </p><p>अब लोग सोशल मीडिया पर इस पेड़ के काटे जाने का वीडियो देख रहे हैं और पर्यावरण के प्रति चिंता ज़ाहिर कर रहे हैं.</p><p>कल तक मुंबई की आरे कॉलोनी में खड़े ऐसे ही लगभग दो हज़ार पेड़ अब काटे जा चुके हैं.</p><p>इन पेड़ों को बचाने के लिए दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई.</p><p>दशहरे की छुट्टी के बावजूद अदालत लगी और सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 21 अक्तूबर तक पेड़ न काटे जाएं और यथास्थिति बरक़रार रखी जाए.</p><p>लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने अदालत में बताया है कि मेट्रो रेल परियोजना के लिए जितनी ज़रूरत थी उतने पेड़ काटे जा चुके हैं.</p><p><a href="https://twitter.com/thakur_shivangi/status/1180411266025828353">https://twitter.com/thakur_shivangi/status/1180411266025828353</a></p><h1>सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई</h1><p>सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील निशांत काटेश्वरकर ने बीबीसी से कहा, &quot;कितने पेड़ काटे गए हैं इसकी सटीक संख्या तो मैं नहीं बता सकूंगा लेकिन 33 हेक्टेयर ज़मीन पर जितने पेड़ थे सभी काटे जा चुके हैं.&quot;</p><p>सुप्रीम कोर्ट ने क़ानून के छात्र ऋषभ रंजन के पत्र का स्वतः संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका मानकर सुनवाई की. </p><p>ऋषभ रंजन मूलरूप से झारखंड के जमशेदपुर के रहने वाले हैं. </p><p>ऋषभ ने बीबीसी को बताया, &quot;मैं दुर्गा पूजा की छुट्टियों में अपने घर गया हुआ था. मुंबई में रहने वाले मेरे कुछ दोस्त आरे के पेड़ों को बचाने की लड़ाई लड़ रहे थे. मैं लगातार उनसे अपडेट ले रहा था. बंबई हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद जब शुक्रवार की शाम पेड़ों की कटाई शुरू हुई तो मेरे दोस्तों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया. उन्हें हिरासत में ले लिया गया. अगले दिन सुबह उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया.&quot;</p><p><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/561986711213770/">https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/561986711213770/</a></p><h1>यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी</h1><p>ऋषभ रंजन बताते हैं, &quot;गिरफ़्तार होने से पहले मेरे दोस्त कपिल ने मुझसे कहा था कि मैं पेड़ों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाऊं. मैं तुरंत जमशेदपुर से दिल्ली लौटा और दिल्ली आकर मैंने मुख्य न्यायाधीश के घर और महामहिम राष्ट्रपति के समक्ष ज्ञापन सौंपा. रविवार रात आठ बजे हमें पता चला कि हमारे पत्र को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया गया है और इस पर सुनवाई होगी.&quot; </p><p>सोमवार को आए अदालत के आदेश के बारे में बताते हुए ऋषभ रंजन ने बीबीसी से कहा, &quot;सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पेड़ कटाई रुकनी चाहिए और यथास्थिति बनी रहनी चाहिए. यथास्थिति के कई मायने हैं. वहां जो भी कुछ हो रहा है, सरकार को सब तुरंत रोकना चाहिए और अपने वकील के ज़रिए अदालत को बताना चाहिए कि वहां क्या किया जा रहा है.&quot; </p><p>वहीं महाराष्ट्र सरकार के वकील का कहना है कि ये आदेश सिर्फ़ पेड़ों की कटाई रोकने के लिए ही है और बाकी काम जारी रहेगा. </p><p>निशांत काटेश्वरकर ने बीबीसी से कहा, &quot;ये स्टे नहीं है बल्कि स्टेटस क्वो यानी यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश है जो सिर्फ़ आगे की पेड़ों की कटाई रोकने के लिए है. यानी आगे पेड़ नहीं काट जाएंगे, लेकिन अन्य काम करने पर किसी को बाधा या रोक नहीं है.&quot;</p><p><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/396454461044318/">https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/396454461044318/</a></p><h1>जंगल की परिभाषा</h1><p>ऋषभ रंजन फिलहाल 21 अक्तूबर की तैयारी कर रहे हैं जब मामले पर अगली सुनवाई होगी. </p><p>वो कहते हैं, &quot;अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं को डिस्टर्ब न करते हुए हम आगे क्या कर सकते हैं इसकी तैयारी कर रहे हैं. हम अन्य याचिका कर्ताओं के साथ मिलकर एक और याचिका दायर करेंगे. हम देख रहे हैं कि उसके क्या-क्या आधार हो सकते हैं.&quot;</p><p>सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि आरे कॉलोनी इलाक़ा सरकारी परिभाषा के तहत जंगल है या नहीं. </p><p>यदि अदालत ने इसे जंगल माना तो इसका असर मुंबई मेट्रो रेल परियोजना पर भी पड़ सकता है.</p><p>अधिवक्ता निशांत काटेश्वरकर बताते हैं, &quot;21 अक्तूबर को बड़े मुद्दे पर बहस होगी और फ़ैसला आएगा कि आरे जंगल है या नहीं. आगे का काम अदालत के फ़ैसले पर निर्भर करेगा. अगर अदालत को लगता है कि ये जंगल की ज़मीन है तो कार शेड हटाना पड़ेगा, आदेश को मानना पड़ेगा.&quot;</p><h1>प्रकाश जावड़ेकर का जवाब</h1><p>वहीं सुप्रीम कोर्ट के आज के फ़ैसले से ख़ुश ऋषभ रंजन और उनके साथियों को उम्मीद है कि वो आरे इलाक़े के बाकी पेड़ों को बचा लेंगे. </p><p>ऋषभ रंजन कहते हैं, &quot;हम अदालत के आदेश से बहुत ख़ुश हैं और हमें उम्मीद है कि हम आरे के जंगल को बचा लेंगे.&quot;</p><p>वो कहते हैं, &quot;प्रकृति ये नहीं देखेगी कि आरे जंगल है या नहीं है. वो सरकार के तकनीकी दांवपेच को नहीं देखेगी. मीठी नदी ये नहीं देखेगी कि सरकार ने इसे जंगल माना है या नहीं माना है, पर्यावरण के लिए संवेदनशील इलाक़ा माना है या नहीं माना है, वो बाढ़ लेकर आएगी. वो तबाही लेकर आएगी. उसे रोकने के लिए, सुप्रीम कोर्ट को अगर अप्रत्याशित फ़ैसला लेना पड़े तो लेना होगा, नया रास्ता चुनना पड़े तो चुनना होगा. हम 21 अक्तूबर को लेकर बहुत आशावान हैं.&quot;</p><p>इसी बीच दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से जब आरे के पेड़ों के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने अनसुना करते हुए कहा, &quot;आपने सवाल पूछा नहीं मैंने सुना नहीं, मैं आरे पर किसी सवाल का जवाब नहीं दूंगा क्योंकि इस पर सुप्रीम कोर्ट आदेश दे चुका है.&quot;</p><h1>सरकार की नीति</h1><p>हालांकि उन्होंने ये ज़रूर कहा कि सरकार की नीति है काटे गए हर एक पेड़ के बदले पांच पेड़ लगाना. उन्होंने कहा, &quot;हमारी नीति है कि अगर हम एक पेड़ काटते हैं तो पांच पेड़ लगाते हैं और उनका बढ़ना सुनिश्चित करते हैं.&quot;</p><p>मुंबई मेट्रो रेल परियोजना के लिए जितने ज़रूरी थे उतने पेड़ काटे जा चुके हैं. मुंबई मेट्रो रेल कार्पोरेशन का कहना है कि बीते दो साल में उसने चौबीस हज़ार से अधिक पेड़ लगाए हैं और अपने निर्माण कार्यों में प्रकृति के साथ संतुलन बनाया है.</p><p>लेकिन आरे के पेड़ काटे जाने का विरोध करने वाले पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि जो क़दम उठाए गए हैं वो नाकाफ़ी हैं और हरे-भरे पेड़ों को किसी भी हालत में नहीं काटा जाना चाहिए.</p><p>आरे के पेड़ काटे जाने का विवाद फिलहाल इस तकनीकी पहलू में फंस गया है कि आरे की ज़मीन जंगल है या नहीं. </p><p>आगे क्या होगा अब ये सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर निर्भर करेगा. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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