<figure> <img alt="प्रतीकात्मक तस्वीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/47A7/production/_108934381_e2811648-2364-40cc-bbcb-f48c1c9c6105.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>प्रतीकात्मक तस्वीर</figcaption> </figure><p>उत्तर प्रदेश में बहराइच की रहने वाली एक मुस्लिम लड़की की शादी का मामला इसलिए क़ानूनी दांव-पेंच में उलझ गया है क्योंकि क़ानून के मुताबिक़ लड़की नाबालिग़ है जबकि मुस्लिम शरीयत क़ानून के मुताबिक़, उसे शादी करने और पति के साथ रहने का पूरा अधिकार है. </p><p>निचली अदालत से होते हुए ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है और लड़की फ़िलहाल बाल सुधार गृह में है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख़ एक अक्तूबर तय की है.</p><p>सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को सुधार गृह में रखी गई नाबालिग़ लड़की को पेश करने का आदेश दिया है. </p><p>जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने राज्य सरकार को लड़की का पूरा ख्याल रखने और अगली तारीख़ पर लड़की के अलावा उनके पिता और पति को भी उपस्थित रहने का आदेश दिया है.</p><p>बहराइच का रहने वाला यह युवक गांव के पास की ही अपने समुदाय की एक लड़की से शादी करना चाहता था लेकिन इस बात का पता लगने पर लड़की के पिता ने अपनी बेटी की शादी अपने मित्र के बेटे के साथ तय कर दी. </p><p>इस बात का पता लगने पर लड़की युवक के पास आई और अगले ही दिन यानी 22 जून को दोनों ने निकाह कर लिया. </p><p>तेईस वर्षीय युवक के मुताबिक़, "हमारे निकाह करने के बाद लड़की के पिता ने मेरे ख़िलाफ़ नाबालिग़ लड़की के अपहरण की एफ़आईआर दर्ज कराई. लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए अपने बयान में कहा कि उसने अपनी मर्ज़ी से शादी की है और वो मेरे साथ ही रहना चाहती है. अपने बयान में लड़की ने ये भी कहा कि वो अपने मां-बाप के घर नहीं जाना चाहती क्योंकि उसे ख़तरा है."</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2009/08/090810_four_wives_muslim_awa?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">एक से अधिक शादी और इस्लाम</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-47945175?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मस्जिदों में औरतों के दाख़िले पर नोटिस</a></li> </ul><p><a href="https://www.youtube.com/embed/edTK7O-Rsts">https://www.youtube.com/embed/edTK7O-Rsts</a></p><p>बहराइच की ज़िला अदालत ने 24 जून को इस मामले में अपने फ़ैसले में कहा कि लड़की की शादी की उम्र नहीं हुई है, इसलिए वो बालिग़ होने तक संरक्षण गृह में रहेगी. युवक ने अदालत के इस फ़ैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी लेकिन हाईकोर्ट ने इसे ये कहकर ख़ारिज कर दिया और शादी को अमान्य क़रार दिया कि ‘जूवेनाइल जस्टिस (केयर ऐंड प्रोटेक्शन) ऐक्ट के तहत लड़की को नाबालिग़ ही माना जाएगा.'</p><p>इस फ़ैसले के बाद लड़की को अयोध्या के नारी संरक्षण गृह भेज दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर को सुनवाई के दौरान इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि क़ानूनी तौर पर नाबालिग़ लड़की को बाल संरक्षण गृह की बजाय, नारी संरक्षण गृह क्यों भेजा गया. हालांकि राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि अब लड़की को बाल संरक्षण गृह भेजा जा रहा है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49560257?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: ग़ैर-मुस्लिम आबादी बसाने के सवाल पर बोले एस. जयशंकर</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49711467?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">इमरान ख़ान चीन के वीगर मुसलमानों पर क्या बोले </a></li> </ul><figure> <img alt="इलाहाबाद हाई कोर्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/9437/production/_108934973_c53d3dc1-262f-40d8-9e42-1b41722e0601.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> <figcaption>इलाहाबाद हाई कोर्ट</figcaption> </figure><p>पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट के फ़ैसले को ये कहते हुए चुनौती दी कि उन्होंने मुस्लिम शरीयत क़ानून के तहत शादी की है और उस हिसाब से उनकी शादी वैध है. </p><p>पीड़ित पक्ष के वकील दुष्यंत पराशर ने बीबीसी को बताया, "लड़की ने मुस्लिम क़ानून के तहत निकाह किया है जिसमें पंद्रह साल की लड़की को शादी के लिए सक्षम बताया गया है और इस उम्र में वो अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी कर सकती है. रेडियोलॉजी और तमाम अन्य जाँच में लड़की की उम्र सोलह साल है. इसलिए इस शादी को अवैध नहीं क़रार दिया जा सकता. याचिका में हमने यही कहा है कि निचली अदालतों के फ़ैसले ग़लत हैं और लड़की को अपने तरीक़े से जीने और स्वतंत्रता का अधिकार मिलना चाहिए."</p><p>दुष्यंत पराशर का कहना था कि दरअसल, हाईकोर्ट में ये बहस की ही नहीं गई कि शरीयत क़ानून के मुताबिक़ लड़की की शादी को अवैध क़रार नहीं दिया जा सकता. उनके मुताबिक़, यदि ऐसा हुआ होता तो शायद हाईकोर्ट शादी को अवैध न बताता. इस मामले में जयमाला बनाम सचिव, जम्मू-कश्मीर राज्य को भी नज़ीर के तौर पेश किया गया है. दुष्यंत पराशर बताते हैं, "1982 में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब शारीरिक वृद्धि हो रही हो तो बालिग़ होने में दो साल कम या ज़्यादा होना मायने नहीं रखता और इस पर विचार किया जा सकता है."</p><figure> <img alt="मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना ख़ालिद रशीद फ़िरंगीमहली" src="https://c.files.bbci.co.uk/E257/production/_108934975_b91f2217-bed9-4603-b790-7b9c4b1ac6bb.jpg" height="549" width="976" /> <footer>ANI</footer> <figcaption>मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना ख़ालिद रशीद फ़िरंगीमहली</figcaption> </figure><p>वहीं मुस्लिम धर्मगुरु भी ऐसी शादी को विधि-सम्मत बताते हैं. लखनऊ में मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना ख़ालिद रशीद फ़िरंगीमहली कहते हैं कि जब धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार संविधान में दिया गया है तो इस शादी को भी क़ानूनी तौर पर जायज़ माना जाएगा. </p><p>उनके मुताबिक़, "मुस्लिम धर्म में बालिग़ होने की उम्र ये है कि लड़की या लड़का वैज्ञानिक तरीक़े से बालिग़ हो जाएं. यदि लड़की बालिग़ है, वह अपनी मर्ज़ी से किसी के साथ रहना चाहती है और उसे धार्मिक स्वतंत्रता मिली है तो फिर क़ानूनी बंदिश नहीं होनी चाहिए. एक बात और है, मुस्लिम धर्म में बाल विवाह जैसी घटनाएं बहुत कम हैं, न के बराबर हैं. वहां शादी 15-16 साल की उम्र के बाद ही आमतौर पर होती हैं और इस उम्र की लड़की को बालिग़ माना जाता है. लेकिन ऐसे मामलों में मेरी राय यही है कि लड़की की मर्ज़ी को देखकर फ़ैसला होना चाहिए."</p><figure> <img alt="मुसलमान महिलाएं" src="https://c.files.bbci.co.uk/13077/production/_108934977_0a9a623b-5a06-4482-beb4-3fcfe20a73b9.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>फ़िरंगीमहली कहते हैं कि ये मामला तो एफ़आईआर की वजह से कोर्ट में चला गया और उम्र का सवाल आ गया लेकिन आमतौर पर मुस्लिम धर्म में इस उम्र में शादियां होती हैं, यदि दोनों पक्षों को ऐतराज़ न हो. दरअसल, ये मामला भी कोर्ट के संज्ञान में तभी आया जब लड़की के परिजनों ने इस शादी पर आपत्ति जताई.</p><p>बहराइच में स्थानीय पत्रकार अज़ीम मिर्ज़ा कहते हैं, "लड़का और लड़की एक ही गांव के हैं. दोनों के परिजन हालांकि किसान ही हैं लेकिन दोनों की आर्थिक स्थिति में काफ़ी अंतर है. लड़का सिर्फ़ नवीं कक्षा तक पढ़ा है. यही वजह है कि लड़की के परिजनों ने लड़की के शादी के फ़ैसले को नामंज़ूर कर दिया और लड़की के अड़े रहने पर क़ानून की शरण में चले गए."</p><p>इस मामले में लड़की के परिजनों से कोई बात नहीं हो सकी है लेकिन धर्म और क़ानून के द्वंद्व में फँसे इस मामले में उनकी नज़र भी अब सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर टिकी है.</p><p><a href="https://www.youtube.com/embed/4UAvhM-7oY4">https://www.youtube.com/embed/4UAvhM-7oY4</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.) </strong></p>
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धर्म और क़ानून के बीच फँसी एक शादी
<figure> <img alt="प्रतीकात्मक तस्वीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/47A7/production/_108934381_e2811648-2364-40cc-bbcb-f48c1c9c6105.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>प्रतीकात्मक तस्वीर</figcaption> </figure><p>उत्तर प्रदेश में बहराइच की रहने वाली एक मुस्लिम लड़की की शादी का मामला इसलिए क़ानूनी दांव-पेंच में उलझ गया है क्योंकि क़ानून के मुताबिक़ लड़की नाबालिग़ है जबकि मुस्लिम शरीयत क़ानून के मुताबिक़, उसे शादी करने और पति के साथ रहने का […]
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