न्यू यॉर्क : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व के साथ यहां अलग-अलग बैठकों में कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की तथा परमाणु हथियारों से लैस दोनों देशों को बस इसका समाधान करना है. हाल के हफ्तों में यह चौथा मौका है जब ट्रंप ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है.
यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के सत्र से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति के इस हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करने और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के बाद ट्रंप की यह टिप्पणी आयी है. ट्रंप ने महासभा सत्र में शामिल होने के बाद बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में अपनी शुरुआती टिप्प्णी में कहा, मेरा कहना है इसका समाधान करिये, बस समाधान करिये. भारत यह कहता रहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है और किसी तीसरे पक्ष की इसमें कोई भूमिका नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की किसी गुंजाइश को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है. मोदी ने पिछले महीने फ्रांस के समुद्र तटीय शहर बिआरित्ज में जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर ट्रंप के साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक में कहा था, भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे द्विपक्षीय प्रकृति के हैं और हम किसी तीसरे देश को परेशान नहीं करना चाहते. हम इन मुद्दों पर द्विपक्षीय चर्चा कर सकते हैं और उनका हल कर सकते हैं.
मोदी और ट्रंप की इस हफ्ते की बैठक में पाकिस्तान से होने वाले आतंकवाद और भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार से जुड़े मुद्दों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया था. जबकि इमरान और ट्रंप ने अपनी बैठक में अफगान शांति प्रक्रिया और कश्मीर को लेकर भारत-पाक तनावों पर चर्चा की. ट्रंप ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान और भारत के नेताओं के साथ उनकी बहुत सार्थक बातचीत हुई. उन्होंने कहा, पाकिस्तान और भारत की बात की जाये, तो हमने कश्मीर के बारे में चर्चा की. और मैंने कहा कि मैं जो कुछ भी मदद कर सकता हूं, मैंने पेशकश की, चाहे वह मध्यस्थता हो या जो कुछ और करना हो.
ट्रंप ने भारत-पाक तनावों के बीच हाल के हफ्तों में कश्मीर मुद्दे पर चौथी बार मध्यस्थता की पेशकश करते हुए कहा, मैं जो कुछ कर सकता हूं करूंगा. क्योंकि वे (भारत और पाक) अभी एक बहुत नाजुक मोड़ पर हैं और उम्मीद है कि स्थिति बेहतर हो जायेंगी. ट्रंप ने कहा, आप इन दोनों देशों का नेतृत्व कर रहे दो भद्र पुरुषों (मोदी और खान) को देख कर रहे हैं, वे मेरे मित्र हैं. मैंने कहा कि आप इसका समाधान निकालिये. वे परमाणु शक्ति से संपन्न देश हैं, उन्हें समाधान निकालना होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत का रुख बिल्कुल स्पष्ट है. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री पहले ही यह बता चुके हैं. विदेश सचिव ने भी (मंगलवार को) यही बात कही है.
विदेश सचिव विजय गोखले ने मोदी-ट्रंप की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा था, प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि हम पाकिस्तान के साथ वार्ता करने से संकोच नहीं कर रहे हैं पर ऐसा होने के लिए हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान कुछ ठोस कदम उठाये, लेकिन हमें पाकिस्तान की तरफ से ऐसी कोई कोशिश नहीं दिख रही. व्हाइट हाउस ने बुधवार को कहा कि ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ संबंधों में सुधार और कश्मीरी लोगों के जीवन को बेहतर करने के वादे को पूरा करने के लिए मोदी को प्रोत्साहित किया. गोखले ने कहा था कि मोदी ने ट्रंप को विस्तार से बताया कि भारत को विशेष कर जम्मू- कश्मीर में आतंकवाद के कारण कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
आतंकवाद के चलते जम्मू-कश्मीर में पिछले 30 वर्षों में 42,000 से अधिक लोगों की जानें गयी है. मोदी और खान संयुक्त राष्ट्र महासभा को शुक्रवार को संबोधित करेंगे. भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को पांच अगस्त को समाप्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला किया. तभी से पाकिस्तान इस मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश कर रहा है. भारत का स्पष्ट रूप से कहना है कि यह भारत का आंतरिक मामला है.