नयी दिल्ली: हाल ही में बीते 14 सितंबर हो पूरे भारत में हिन्दी दिवस मनाया गया जिसकी शुरुआत पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 सितंबर 1953 को किया था ताकि हिन्दी को स्वीकार्य बनाया जा सके. कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि हिन्दी ना केवल भारत बल्कि दुनिया के अलग-अलग 92 देशों में बोली और समझी जाती है. हमेशा से ये बात चर्चा में रही है कि हिन्दी व्यवसायिक जगत की भाषा क्यों नहीं बन पायी है..
हालांकि ये सच नहीं है. हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा काफी समय पहले से प्राप्त है. कई देशों में इसका अध्ययन और अध्यापन किया जाता है. दक्षिण भारत जहां प्रारंभिक दिनों में इसका विरोध किया गया, वहां भी लोग अब तत्परता से इसको सीख रहे हैं. विदेशों से भी बड़ी संख्या में छात्र यहां हिन्दी सीखने आ रहे हैं. इसका कारण ये है कि हिन्दी आज व्यवसायिक तौर पर काफी उपयोगी हो गयी है. इसमें कोई शक नहीं है कि आने वाले समय में हिन्दी और भी ज्यादा रोजगारपरक होगी.
कम नहीं हुई है हिन्दी भाषा की लोकप्रियता
देश में विदेशी चैनलों का आगमन हुआ तो लगा कि हिन्दी की लोकप्रियता में कमी आयेगी क्योंकि वैसे भी अंग्रेजी को एक भाषा की बजाय स्किल और सामाजिक प्रतिष्ठा के तौर पर ज्यादा देखा जाता है. हालांकि इस आशंका में कोई दम नहीं था क्योंकि हिन्दी पुरानी प्रतिष्ठा के साथ वहीं खड़ी है. चाहे वो हिन्दी सिनेमा और टेलीविजन में दर्शकों की बड़ी संख्या की दिलचस्पी हो अथवा सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले हिन्दी अखबार हों. सभी जगह हिन्दी की धाक दिखती है.
कहां मिलेगा हिन्दी में करियर बनाने का मौका
हिन्दी का बढ़ता दायरा अब लोगों को रोजगार दिला रहा है. अगर किसी की हिन्दी भाषा पर बेहतर पकड़ है. उसके बाद बेहतरीन शब्दकोश है और लिखने की कला आती है तो रोजगार के ढेर सारे अवसर मिलेंगे. आज के समय में विभिन्न समाचार चैनलों में पत्रकारों की अच्छी खासी मांग है. कई सारे ऐसे वेबसाइट हैं जो फिल्म, राजनीति, क्रिकेट, पर्यटन, खेल, समाज आदि विषयों से जुड़े हैं. इन वेबसाइटों में बड़ी संख्या में अच्छे कंटेंट राइटरों की जरूरत होती है.
अगर आपकी लेखन शैली कमाल की है और आप सभी स्टाइल में लिख सकते हैं खासतौर पर फीचर राइटिंग तो, आपको कई सारे मौके मिलेंगे. या तो आप किसी बेवसाइट के साथ जुड़ जायें अथवा फ्रीलांस रायटर के तौर पर अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर लिख सकते हैं. आज के समय में काफी संख्या में शॉर्ट फिल्में, वेब सीरिज, और सिनेमाई टैबू को चुनौती देती फिल्में बन रही हैं. आप इनमें स्क्रीनप्ले रायटर, गीतकार या संवाद लेखक के तौर पर जुड़ सकते हैं. आप किताबें लिख सकते हैं या फिर समाचार पत्रों में विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर लेख लिख कर पैसे कमा सकते हैं.
हिन्दी भाषा में कौन से पाठ्यक्रम हैं
हिन्दी भाषा से संबंधित दो तरह के कोर्स मौजूद हैं- परंपरागत और प्रोफेशनल. परंपरागत बैचलर कोर्स में बारहवीं के बाद प्रवेश मिलता है, जबकि मास्टर डिग्री में स्नातक के बाद कदम रख सकते हैं. इसके बाद एमफिल व पीएचडी की राह आसान हो जाती है, जबकि प्रोफेशनल्स कोर्स में स्नातक के बाद ही मौका मिलता है.
हिन्दी में बीए, एमए, बीएड, एमएड, एमफिल व पीएचडी, एमए इन फंक्शनल हिन्दी, सर्टिफिकेट कोर्स इन क्रिएटिव राइटिंग’ पीजी डिप्लोमा इन हिन्दी जर्नलिज्म’पीजी डिप्लोमा इन क्रिएटिव राइटिंग इन हिन्दी ’पीजी डिप्लोमा इन ट्रांसलेशन (हिन्दी)’ पीजी सर्टिफिकेट इन हिन्दी जर्नलिज्म. इन कोर्स के जरिये यदि कोई पठन-पाठन के व्यवसाय से जुड़ना चाहता है तो वहां भी जुड़ सकता है या फिर क्रियेटिव राइटिंग के फिल्ड में करियर बना सकता है.
उज्जवल है हिन्दी की आने वाली दुनिया
हिन्दी को लेकर जो पुरानी मानसिकता है, वह टूट जानी चाहिए. हिन्दी में भरपूर ताकत है, जो लोगों को रोजगार तक ले जा सकती है. हिन्दी की लोकप्रियता बढ़ती देख अंग्रेजी के लोग भी हिन्दी मीडिया की ओर आकर्षित हो रहे हैं. निश्चित तौर पर यह हिन्दी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.
इस चुनौती से निपटने के लिए हिन्दी वालों को भी द्विभाषी बनना होगा. हिन्दी में पकड़ बनाने के लिए भाषा दक्षता की जरूरत होती है. विदेशी कंपनियां भारत में कारोबार करने की इच्छुक हैं तो उन्हें भी हिन्दी प्रोफेशनल्स चाहिए. आजकल हिन्दी में ब्लॉग, वेबसाइट और मोबाइल एप्स की भरमार है. इसके लिए हिन्दी के जानकारों की मांग है. विदेशों में भी इनकी भारी मांग है.
हिन्दी पढ़ने के लिए प्रमुख संस्थान
- दिल्ली विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली
- इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), दिल्ली
- भारतीय जनसंचार संस्थान नयी दिल्ली
- जामिया मिल्लिया इस्लामिया नयी दिल्ली
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़
- बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
- केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा