<figure> <img alt="अमरीका के तेल भंडार" src="https://c.files.bbci.co.uk/12A5F/production/_108838367_20786bae-169c-4d73-89a1-0f3578a8ac4d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अमरीका में टेक्सस और लुईज़ियाना के तटों पर सतह से क़रीब एक किलोमीटर नीचे नमक की गुफ़ाएं हैं, जिनमें वो अपने बुरे वक़्त के लिए ढेर सारा ख़ज़ाना रखते हैं – यानी लाखों बैरल तेल. </p><p>कच्चा तेल यहां ले जाया जाता है और उसे साल दर साल सतर्कतापूर्वक संरक्षित करके रखा जाता है. </p><p>ये अमरीका का रणनीतिक पेट्रोलियम रिज़र्व है, जिसे आपातकालिन स्थितियों के लिए बनाया गया है. दुनिया में इससे बड़ा तेल भंडार कहीं नहीं है. इस भंडार की अहमियत इन दिनों एक बार फिर से दिखने लगी है. </p><p>बीते रविवार को राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा कि सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हुए हमले के बाद पैदा हुए तेल संकट को टालने के लिए इस तेल भंडार का इस्तेमाल किया जाएगा. ये इतिहास में चौथी बार होगा जब अमरीका ने इस तेल भंडार को इस्तेमाल करने की स्वीकृति दी है. </p><p>उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, "सऊदी अरब पर हुए हमले के बाद तेल की क़ीमतों पर जो असर हो रहा है, उसे देखते हुए मैंने ज़रूरत पड़ने पर रणनीतिक भंडार से तेल निकालने का आदेश दिया है. यहां से उतना तेल निकाला जा सकता है, जिससे बाज़ारों का सप्लाई ठीक रखा जा सके." </p><p>पिछले शनिवार को दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको के तेल संयंत्रों पर ड्रोन हमला किया गया था. जिसके असर से वहां का उत्पादन आधे से ज़्यादा कम हो गया है. </p><p>सऊदी अरब अकेले विश्व की कुल तेल खपत का 5 प्रतिशत निर्यात करता है. और इसके तेल उत्पादन पर असर से दुनिया भर में तेल की क़ीमतें 10 प्रतिशत से भी ज़्यादा बढ़ गई हैं. </p><p>इससे उपजी अनिश्चितता की वजह से डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल इंडेक्स में 165 अंकों से ज़्यादा की गिरावट दर्ज की गई. इससे ये डर बढ़ गया है कि ओपेक और रूस के उत्पादन बढ़ाने के वादे के बावजूद क़ीमतें कम नहीं होंगी. </p><figure> <img alt="अमरीका का तेल भंडार" src="https://c.files.bbci.co.uk/1787F/production/_108838369_9cb8a0d7-457e-4bcf-9924-645141839d9b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>ऐसे में ट्रंप का ये फ़ैसला कि मैक्सिको की खाड़ी के तट पर जमा करके रखा गया तेल ज़रूरत पड़ने पर इस्तेमाल में लाया जाएगा, ये ना सिर्फ़ तेल के संकंट को कम करने की रणनीति है, बल्कि इससे वो बाज़ार में भी स्थिरता लाना चाहते हैं. </p><p>लेकिन ये तेल भंडार अमरीका के लिए इतना अहम क्यों है? </p><h1>एक देश और उसका तेल </h1><p>ये तेल भंडार क्यों बनाए गए, इसका जवाब एक दूसरे संकट में छिपा है, जिसके तार भी अरब की खाड़ी से ही जुड़े हैं. </p><p>हालांकि 1973 में अमरीका में जो तेल संकट आया था, वो किसी हमले की वजह से नहीं था. </p><p>यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सस में लातिन अमरीकी और कैरिबियाई एनर्जी प्रोग्राम के निदेशक जॉर्ज पिनॉन ने बीबीसी मुंडो को बताया, "हुआ ये था कि अरब देशों ने पश्चिम में तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि अमरीका और दूसरे देश इसराइल को समर्थन दे रहे थे. इस तेल प्रतिबंध से स्थितियां काफ़ी बिगड़ गई थीं. इससे अमरीका पर भी असर पड़ा था." </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49705541?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">यमन में बुरी तरह घिरता जा रहा है सऊदी अरब?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49700600?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अरामको पर ड्रोन हमले से सऊदी के तेल उत्पादन में भारी कटौती </a></li> </ul><figure> <img alt="अमरीका का तेल भंडार" src="https://c.files.bbci.co.uk/39C9/production/_108839741_294be1f7-bf89-480c-adce-79aed18d4e67.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अक्तूबर 1973 में सीरिया और मिस्र, इसराइल के ख़िलाफ़ एक परोक्ष युद्ध लड़ रहे थे. जिसमें इसराइल को अमरीका और नीदरलैंड्स जैसे दूसरे देशों का समर्थन मिला. </p><p>अरब देशों ने इसके जवाब में पश्चिम में तेल निर्यात में कटौती करने का फ़ैसला किया. </p><p>ये युद्ध तो सिर्फ़ तीन हफ्ते चला, लेकिन प्रतिबंध मार्च 1974 तक जारी रहे, जिसकी वजह से दुनियाभर में तेल की क़ीमतें चौगुनी हो गईं. क़ीमत प्रति बैरल 3 अमरीकी डॉलर से क़रीब 12 अमरीकी डॉलर तक पहुंच गई. इतिहासकारों के मुताबिक़, ये दुनिया का पहला तेल संकट था. </p><p>वैश्विक अर्थव्यवस्था इससे बुरी तरह प्रभावित हुई और अमरीका भी इससे अछूता नहीं रहा. </p><p>द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जो शहर बने थे और अभी भी विकसित हो रहे थे, वहां जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था: लाखों लोग गैस स्टेशनों के बाहर लाइनों में लगे नज़र आते थे और अमरीका के ज़्यादातर उद्योग जो सस्ते ईंधन पर निर्भर थे, वो ख़तरे में आने लगे थे. </p><p>बाद के सालों में भी इसका असर दिखता रहा और 1975 में क्रिसमस से तीन दिन पहले, तबके राष्ट्रपति जेरल्ड फ़ोर्ड ने एक क़ानून पर हस्ताक्षर किया, जिसके तहत अमरीका के कच्चे तेल के संचय के लिए पहला आपातकालीन भंडार बनाने का फ़ैसला लिया गया.</p><p>उसके बाद ये रणनीतिक भंडार बनाए गए, जिनका महत्व ये है कि सिर्फ़ अमरीका के राष्ट्रपति के पास ही इसमें जमा तेल का इस्तेमाल करने की इजाज़त देने का अधिकार है. </p><p><strong>मैक्सिको </strong><strong>की खाड़ी</strong></p><p>पिनॉन के मुताबिक़, "ये भंडार मैक्सिको की खाड़ी में चार जगहों पर हैं. हर भंडार एक महत्वपूर्ण पेट्रोकैमिकल रिफ़ाइनिंग और प्रोसेसिंग सेंटर के पास है. </p><figure> <img alt="अमरीका का तेल भंडार" src="https://c.files.bbci.co.uk/D609/production/_108839745_04e72cca-f5ab-4a5a-9725-bfc1d147f530.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p>टैक्सस में ये फ्रीपोर्ट और विनी के नज़दीक हैं और लुईज़ियाना में बाहरी लेक चार्ल्स और बेटन रूज में है. </p><p>उन्होंने कहा, "ये कृत्रिम गुफ़ाएं होती हैं, जिन्हें सतह के नीचे बनाया जाता है."</p><p>गुफ़ाओं वाला ये विशाल भंडार समुद्री सतह से 500 से एक हज़ार मीटर नीचे है. यहां तेल जमा करना सस्ता पड़ता है और सुरक्षित भी होता है: नमक और प्रेशर की रासायनिक संरचना तेल को लीक होने से बचाती हैं. </p><p>हर गुफ़ा की चौड़ाई औसतन 60 मीटर होती है और हर गुफ़ा में 60 लाख से 3.7 करोड़ बैरल तेल जमा किया जा सकता है. </p><p>अमरीका के ऊर्जा विभाग की ओर से जारी डेटा के मुताबिक़, इन भंडारों में इस वक़्त 64.5 करोड़ बैरल तेल है. हालांकि इन भंडारों की क्षमता इससे कहीं ज़्यादा है, यहां 71.35 करोड़ बैरल तेल रखा जा सकता है. </p><p>आधिकारिक डेटा के मुताबिक़, 2018 में अमरीकियों ने हर दिन औसतन 2.05 करोड़ बैरल तेल इस्तेमाल किया. इसका मतलब इस भंडार से देश को क़रीब 31 दिन चलाया जा सकता है. </p><p>हालांकि, राष्ट्रपति की इजाज़त के बाद इस तेल को बाज़ार तक पहुंचने में 13 हफ्ते लग जाएंगे. </p><p>अबतक अमरीका के राष्ट्रपतियों ने कुछ ख़ास मौक़ों पर ही इस सुरक्षित तेल भंडार को इस्तेमाल करने की इजाज़त दी है. </p><p>पिछली बार ऐसा 2011 में हुआ था, जब अरब क्रांति की वजह से अंतरराष्ट्रीय एनर्जी एजेंसी के सदस्य देशों ने मिलकर दुनिया की तेल आपूर्ति बनाए रखने के लिए 6.0 करोड़ बैरल तेल सप्लाई करने का फ़ैसला किया था. </p><p>इससे पहले 2005 में कटरीना तूफान के समय अमरीकी तेल के बुनियादी ढांचे को नुक़सान पहुंचा था, तब भी इस सुरक्षित भंडार के इस्तेमाल के आदेश दिए गए थे. </p><p>सबसे पहले इसका इस्तेमाल 1991 में किया गया था, जब अमरीका ने ऑपरेशन डेसर्ट स्ट्रोम के तहत इराक़ पर हमला किया था. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49679015?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सऊदी अरब और रूस को कैसे दोस्त बनाया तेल ने</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49723206?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ईरान पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है: नैटो</a></li> </ul><figure> <img alt="अमरीका का तेल भंडार" src="https://c.files.bbci.co.uk/87E9/production/_108839743_6e6c1314-49f6-418c-b0fe-3b0b429a72a1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>हालांकि अमरीका का ऊर्जा उत्पादन इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है, ऐसे वक़्त में इस तरह के तेल भंडारों को बनाए रखना सवालों के घेरे में है. </p><p>पिनॉन कहते हैं, "फ़िलहाल अमरीका दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है. हम प्रति दिन 1.2 करोड़ बैरल तेल का उत्पादन कर रहे हैं. जबकि रूस 1.1 करोड़ और सऊदी 1 करोड़ बैरल तेल का उत्पादन कर रहा है. ऐसे में कई लोग ये सवाल पूछ रहे हैं कि सुरक्षित भंडारों को बनाए रखने की क्यों ज़रूरत है." </p><p>2014 की एक सरकारी रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि तेल की क़ीमतों को कम करने के लिए इस तेल का इस्तेमाल करना चाहिए और 2017 में ट्रंप प्रशासन ने संघीय घाटे से निपटने के लिए आधे तेल भंडार को बेचने के बारे में सोचा था. </p><p>हालांकि एक वजह, जिसने इस बारे में सोचने पर मजबूर किया, वो थी कि अमरीका अब भी कच्चे तेल का आयात करता है: प्रति दिन औसतन 90 लाख बैरल तेल. </p><p>पिनॉन कहते हैं, "मसला ये है कि जिनते तेल की वो खपत करता है, उतने का वो ख़ुद उत्पादन कर लेता है, फिर भी वो कच्चे तेल का आयात करता है और उसपर ख़तरा मंडरा रहा है. और कोई सोच भी नहीं सकता था कि तेल भंडारों पर अब ड्रोन हमले होंगे. ये बिल्कुल नए तरह का ख़तरा है."</p><p><strong>बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a 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सऊदी अरब पर हमला: अमरीका ने अपना तेल भंडार ज़मीन के नीचे क्यों रखा है
<figure> <img alt="अमरीका के तेल भंडार" src="https://c.files.bbci.co.uk/12A5F/production/_108838367_20786bae-169c-4d73-89a1-0f3578a8ac4d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अमरीका में टेक्सस और लुईज़ियाना के तटों पर सतह से क़रीब एक किलोमीटर नीचे नमक की गुफ़ाएं हैं, जिनमें वो अपने बुरे वक़्त के लिए ढेर सारा ख़ज़ाना रखते हैं – यानी लाखों बैरल तेल. </p><p>कच्चा तेल यहां ले जाया जाता है और […]
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