<figure> <img alt="पाश" src="https://c.files.bbci.co.uk/BFDD/production/_108671194_be4177e8-ef5d-4025-a490-12842d133eec.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AMARJEET CHANDAN</footer> </figure><p>9 सितंबर 1950 में पाश का जन्म पंजाब के जालंधर में हुआ था. बीसवीं सदी के सबसे प्रभावी पंजाबी कवि माने जाने वाले पाश की कविताओं में विद्रोह के स्वर साफ सुनाई पड़ते हैं. </p><p>अपनी पहली कविता संग्रह के बाद से ही उन्हें क्रांतिकारी कवि के नाम से जाना जाने लगा था. </p><p>23 मार्च यानी भगत सिंह की मौत के दिन ही ख़ालिस्तानी उग्रवादियों ने उन्हें गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी. </p><p>पाश की उनहत्तरवें जन्मदिन पर उनके करीबी मित्र रहे <strong>अमरजीत चंदन</strong> से ख़ास बातचीत की <strong>बीबीसी रेडियो संपादक राजेश जोशी</strong> ने</p><figure> <img alt="Short presentational grey line" src="https://c.files.bbci.co.uk/1123E/production/_107860207_short_grey_line_new-nc.png" height="50" width="1333" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>अमरजीत चंदन की यादों में पाश</h1><p>मेरे और पाश के बीच ख़ास क़िस्म का रिश्ता रहा है. वो हमारे बेहद घनिष्ठ मित्र थे. हम आसपास ही रहते थे.</p><p>मैं तो रोज़ उन्हें किसी न किसी बहाने याद करता हूं.</p><p>मैंने कहीं लिखा भी है कि जो बड़े लोग होते हैं, जिनको बड़ी संख्या में लोग प्यार करते हैं, उनका जन्मदिन तो होता है पर मरन दिन नहीं होता.</p><p>मेरे लिए भी वो आज भी ज़िंदा हैं.</p><figure> <img alt="पाश" src="https://c.files.bbci.co.uk/15C1D/production/_108671198_2.png" height="549" width="976" /> <footer>AMARJEET CHANDAN</footer> <figcaption>चंदन के साथ पाश</figcaption> </figure><p>पाश की हत्या 1988 में की गई थी और उनकी वो कविता बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध है कि "सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना…"</p><p>इस कविता की पृष्ठभूमि बहुत कम लोगों को पता है.</p><p>ये कविता पाश ने तब लिखी थी जब वो अमरीका से वापस आकर पेट्रोल पंप पर काम करने लगे थे, तब उन्हें ऐसा लग रहा था कि कहीं उनके अपने सपने मर तो नहीं रहे हैं.</p><p>जिस वक़्त हमलोगों ने लिखना शुरू किया था, वो बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल का दौर था, ना सिर्फ़ पंजाब बल्कि पूरे हिंदुस्तान में.</p><p>यह छठे दशक की बात है, जब नक्सलबाड़ी की लहर चली थी. पूरे यूरोप, पेरिस और वियतनाम जंग ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्साह का माहौल बनाया था.</p><p>हम उस वक़्त में पले-बढ़े थे. क्रांति हमारे दिलो-दिमाग़ पर थी.</p><p>मैं मज़ाक़ में कहा करता हूं कि हर प्रगतिशील कवि को कम से कम दो महीने मेहनत वाला काम करवाना चाहिए, चाहे वो पेट्रोल पंप पर हो या फिर रेस्टोरेंट में.</p><p>जो क्रांति वो मन में लिए चलते हैं, समाज को बदलने का जज़्बा लिए घूमते हैं, कठिन काम करने के बाद उनके पांव ज़मीन पर पड़ते हैं.</p><figure> <img alt="पाश" src="https://c.files.bbci.co.uk/10DFD/production/_108671196_1.jpg" height="1280" width="952" /> <footer>AMARJEET CHANDAN</footer> </figure><p>इस समय जो राजनैतिक और साहित्यिक स्थिति है, वो पहले से संकटग्रस्त है लेकिन मेरी नज़र में कम से कम पंजाब में कोई ऐसा कवि नहीं है जो पाश की परंपरा को आगे बढ़ा रहा हो.</p><p>पाश के देहांत के बाद मैंने उनकी याद मे एक कविता लिखी थीः</p><p>सूरज ऊंचा हो गया शिखर दोपहरे</p><p>जल विच रोवन मछियां शिखर दोपहरे</p><p>एक तारा टूंटा अंबरों शिखर दोपहरे</p><p>रात गमां दी छा गई शिखर दोपहरे</p><p>टूंटी रांझे दी रांझिनी शिखर दोपहरे…</p><p>मैं कई बार सोचा करता हूं जॉन लेनन एक महान गीतकार थे, जिनके हत्यारे के बड़े प्रशंसक थे, कौन जानता है कि पाश के हत्यारे के भी प्रशंसक रहे होंगे.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
पाश ने ‘सबसे ख़तरनाक होता है…’ कविता क्यों लिखी
<figure> <img alt="पाश" src="https://c.files.bbci.co.uk/BFDD/production/_108671194_be4177e8-ef5d-4025-a490-12842d133eec.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AMARJEET CHANDAN</footer> </figure><p>9 सितंबर 1950 में पाश का जन्म पंजाब के जालंधर में हुआ था. बीसवीं सदी के सबसे प्रभावी पंजाबी कवि माने जाने वाले पाश की कविताओं में विद्रोह के स्वर साफ सुनाई पड़ते हैं. </p><p>अपनी पहली कविता संग्रह के बाद से ही उन्हें क्रांतिकारी कवि के […]
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