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असम के ‘एनआरसी’ के बारे में कितना जानते हैं आप?

<figure> <img alt="एनआरसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/3748/production/_108525141_12332.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>असम में 31 अगस्त को प्रकाशित होने वाले नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस यानी एनआरसी लिस्ट पर पूरे देश की निगाहें टिकीं हुईं हैं. </p><p>राज्य के तक़रीबन 41 लाख लोग फ़िलहाल अधर में लटकी अपनी नगरिकता का भविष्य जानने के लिए इस लिस्ट के इंतज़ार में हैं. </p><p>लेकिन […]

<figure> <img alt="एनआरसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/3748/production/_108525141_12332.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>असम में 31 अगस्त को प्रकाशित होने वाले नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस यानी एनआरसी लिस्ट पर पूरे देश की निगाहें टिकीं हुईं हैं. </p><p>राज्य के तक़रीबन 41 लाख लोग फ़िलहाल अधर में लटकी अपनी नगरिकता का भविष्य जानने के लिए इस लिस्ट के इंतज़ार में हैं. </p><p>लेकिन आख़िर ये एनआरसी लिस्ट है क्या? </p><p>आसान भाषा में हम एनआरसी को असम में रह रहे भारतीय नागरिकों की एक लिस्ट के तौर पर समझ सकते हैं. </p><p>ये प्रक्रिया दरअसल राज्य में अवैध तरीक़े से घुस आए तथाकथित बंगलादेशियों के ख़िलाफ़ असम में हुए छह साल लंबे जनांदोलन का नतीजा है. </p><p>इस जन आंदोलन के बाद असम समझौते पर दस्तख़त हुए थे और साल 1986 में सिटिज़नशिप ऐक्ट में संशोधन कर उसमें असम के लिए विशेष प्रावधान बनया गया. </p><h1>सिटिज़नशिप ऐक्ट</h1><p>सिटिज़नशिप ऐक्ट के धारा 6ए के तहत अगर आप एक जनवरी 1966 से पहले से असम में रहते आए हैं तो आप भारतीय नागरिक हैं. </p><p>अगर आप जनवरी 1966 और 25 मार्च 1971 के बीच असम में रहने आए हैं तो आपके आने के तारीख़ के कुल 10 साल बाद आपको भारतीय नागरिक के तौर पर रजिस्टर किया जाएगा. </p><p>साथ ही वोटिंग के अधिकार भी दे दिए जाएंगे. और अगर आप 25 मार्च 1971 के बाद भारत में दाख़िल हुए हैं- जो कि बांग्लादेश लिबेरेशन वॉर की शुरुआत की भी तारीख है- तो फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल द्वारा अवैध प्रवासी के तौर पर आपकी पहचान कर, आपको डिपोर्ट यानी वापस भेज दिया जाएगा. इसी क़ानून के हिसाब से एनआरसी तैयार की जा रही है. </p><p>लेकिन यहां ये जानना भी ज़रूरी है कि ये असम में हो रही यह पहली एनआरसी नहीं है और न ही इसकी शुरुआत भाजपा सरकार ने की है. राज्य में पहली बार एनआरसी 1951 में तैयार करवाया गया था. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49202642?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">एनआरसी: क्या एक बड़ी मानवीय त्रासदी की कगार पर है असम? – बीबीसी विशेष</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49185265?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">एनआरसी से जुड़ा तनाव असम में लोगों को आत्महत्या के लिए मज़बूर कर रहा है?- बीबीसी विशेष</a></li> </ul><h1>सुप्रीम कोर्ट की निगरानी</h1><p>2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में असम सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन यानी आसू के साथ-साथ केंद्र ने भी हिस्सा लिया था. </p><p>इस बैठक में तय हुआ कि असम में एनआरसी को अपडेट किया जाना चाहिए. </p><p>इसी साल एक दूसरे बड़े फेरबदल में इलीगल मायग्रेंट डिटर्मिनेशन ऐक्ट की वैधता ख़त्म करते हुए कोर्ट ने एनआरसी लिस्ट में ख़ुद को नागरिक साबित करने की ज़िम्मेदारी स्टेट से हटाकर आम लोगों पर डाल दी. </p><p>पहली बार सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया में 2009 में शामिल हुआ और 2014 में असम सरकार को एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया. </p><p>इस तरह 2015 से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में यह पूरी प्रक्रिया एक बार फिर शुरू हुई. </p><h1>कौन है असम का नागरिक </h1><p>अब इस लंबी चौड़ी और दुरूह प्रक्रिया के तहत 03 करोड़ 29 लाख लोगों ने ख़ुद को असम का नागरिक बताते हुए आवेदन दाख़िल किए. </p><p>लेकिन 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित हुई एनआरसी के ड्राफ़्ट में 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं थे. </p><p>फिर इसी साल की 26 जून को प्रकाशित हुई एक नई अतिरिक्त लिस्ट में तक़रीबन एक लाख नए नामों को सूची से बाहर किया गया. </p><p>इस तरह 31 अगस्त को कुल 41 लाख लोगों को अपनी नागरिकता के भविष्य पता चलेगा. इन सभी लोगों को एनआरसी में ख़ुद को नागरिक साबित करने का मौक़े दिए गए हैं. </p><p>इसके लिए उन्हें अपनी ‘लेगेसी’ और ‘लिंकेज’ को साबित करने वाले काग़ज़ एनआरसी के दफ्तर में जमा करने थे. </p><p>इस काग़ज़ों में 1951 की एनआरसी में आया उनका नाम, 1971 तक की वोटिंग लिस्ट में आए नाम, ज़मीन के काग़ज़, स्कूल और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के सबूत, जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता के वोटर कार्ड, राशन कार्ड, एलआईसी पॉलिसी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, रेफ़्यूजी रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट जैसी चीज़ें शामिल हैं. </p><p>अब ये काग़ज़ जमा करने और उनको वेरिफ़ाई करने की प्रक्रिया लगभग पूरी होने के कगार पर है. </p><h1>क्या होगा 31 अगस्त के बाद ?</h1><p>अब सवाल यह है कि 31 अगस्त को प्रकाशित होने वाली लिस्ट में जिन लोगों का नाम नहीं आएगा, उनका भविष्य क्या होगा. </p><p>सिर्फ़ एनआरसी में नाम ना आने से कोई विदेशी नागरिक घोषित नहीं हो जाता. </p><p>जिनके नाम शामिल नहीं हैं, उन्हें इसके बाद फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल या एफटी के सामने काग़ज़ों के साथ पेश होना होगा, जिसके लिए उन्हें 120 दिन का समय दिया गया है. </p><p>प्रार्थी के भारतीय नागरिक होने या न होने का निर्णय एफटी करेगी. इस निर्णय से असंतुष्ट होने पर प्रार्थी के पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प मौजूद है. </p><p>विदेशी नागरिक घोषित होने पर पर क्या होगा, इस पर फ़िलहाल सरकार की ओर से कोई अधिकारिक बयान नहीं दिया गया है लेकिन क़ानूनन उन्हें डिटेन करके निर्वासित करने प्रावधान है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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