<figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/6CD8/production/_108246872_63473b78-5007-4cbd-a61b-0e355eabcd34.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>दक्षिण कश्मीर में बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की कुछ स्थानीय कश्मीरी लोगों से मुलाक़ात को भी इस तरह से देखा जा रहा है कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 के सरकारी फ़ैसले से प्रतिक्रियाएँ नकारात्मक नहीं हैं.</p><p>तो क्या सरकार ने हिंसा भड़कने का अंदाज़ा ग़लत लगाया था? क्या इतने बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों की तैनाती की ज़रूरत नहीं थी?</p><p>सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो हिस्सों में विभाजित करने के फ़ैसले के ऐलान से पहले केंद्र सरकार ने जिस तरह घाटी को बाहर की दुनिया से अलग-थलग करना शुरू किया था उससे ऐसे संकेत मिल रहे थे कि बड़े पैमाने पर हिंसा हो सकती है. </p><p>लेकिन ऐसा हुआ नहीं. क्या इसलिए कि कश्मीर घाटी आज चौथे दिन भी एक विशाल फ़ौजी छावनी में तब्दील थी? </p><p>हर सड़क और गली में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. संचार की दृष्टि से कश्मीर घाटी पिछले चार दिनों से बाहरी दुनिया से कटी हुई है. </p><p>टेलिफ़ोन, मोबाइल, इंटरनेट, केबल टीवी की सुविधाएँ बंद हैं. स्कूल और बाज़ार भी बंद हैं और सड़कें ख़ाली हैं. </p><p>क्या यहाँ शांति इसलिए है कि लोगों ने सही में भारत सरकार के फ़ैसले से अपनी सहमति जताई है? या फिर इसलिए कि इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ने वाले तमाम बड़े और छोटे नेता नज़रबंद हैं?</p><p>या फिर इसलिए कि यहाँ अब भी कर्फ़्यू जारी है. </p><figure> <img alt="सुरक्षाबल" src="https://c.files.bbci.co.uk/BAF8/production/_108246874_75afa3c8-130b-43cd-a169-851da81b9afe.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49243095?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’अच्छे भविष्य के लिए है फ़ैसला तो हमें बंद क्यों किया?’ – सना मुफ़्ती</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49247914?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: अनुच्छेद 370 पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया क्या बोला?</a></li> </ul><h1>लोगों में नाराज़गी</h1><p>कर्फ़्यू, सुरक्षा बलों की मौजूदगी और टेलिफ़ोन पर पाबंदी आदि कश्मीर में शांति बने रहने के पीछे एक कारण ज़रूर हैं. </p><p>भारतीय मीडिया के एक बड़े तबके में यही तस्वीर पेश की जा रही है. लेकिन सच बहुत सीधा है और इसे समझना ज़रूरी है. </p><p>पहले ये कि भारत सरकार का फ़ैसला यहाँ के लोगों के लिए एक अचानक आने वाले झटके की तरह है जिससे वो अब भी संभल नहीं पाए हैं. </p><p>आम नागरिक इस फ़ैसले से नाराज़ हैं लेकिन इस नाराज़गी को प्रकट कैसे करें इसका फ़ैसला वो नहीं कर पा रहे हैं. </p><p>दूसरा ये कि लोग अभी समझ नहीं पा रहे हैं कि इस फ़ैसले से उनका क्या नुक़सान हुआ है. हां, यहां लोगों को इतना तो समझ में आ रहा है कि जम्मू-कश्मीर के बाहर के भारतीय अब यहाँ आकर बस सकते हैं, जायदाद ख़रीद सकते हैं और फ़ैक्ट्री लगा सकते हैं लेकिन वो कहते हैं, ‘हम ऐसा होने नहीं देंगे.’ </p><p>कुछ का कहना था मिलिटेन्सी के कारण दूसरे राज्य के लोग यहाँ आने और व्यापार करने से कतराएँगे. </p><p>तीसरा ये कि वो कश्मीरी जो आज़ादी के पक्ष में हैं और जिनका यहाँ बहुमत है, उनका कहना है कि भारत सरकार के इस फ़ैसले से उनकी माँग में कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा. </p><p>आज़ादी की माँग करने आले एक शख़्स ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से उन्हें परेशानी है जो भारत के अंदर रह कर दिए गए विशेष अधिकारों से संतुष्ट थे. </p><p>वो इस बात से संतुष्ट थे कि उन्हें काफ़ी हद तक स्वायत्तता मिली हुई है. भारत सरकार के फ़ैसले से वो नाराज़ ज़रूर हैं लेकिन उनकी नाराज़गी हिंसात्मक रुख़ लेगी ऐसी उम्मीद कम ही लोगों को है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49245764?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर पर पाकिस्तान के कंधे पर तुर्की ने रखा हाथ</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49235776?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीरः भारत ने जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया है- महबूबा मुफ़्ती</a></li> </ul><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/E208/production/_108246875_9c695fcc-e9b6-4209-b153-85715f0409c6.jpg" height="3137" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>कश्मीरी पंडितों का भी विरोध</h1><p>शांति बने रहने का चौथा कारण ये है कि यहाँ फ़िलहाल लोग काफ़ी डरे हुए हैं. हमने अपनी रिपोर्ट में वही आवाज़ें आप तक पहुँचाई हैं जिन्होंने हमसे बात करने का साहस किया. </p><p>हमसे अधिकतर लोगों ने ऑन रिकॉर्ड बात करने से मना कर दिया. एक युवा ने कहा कि अगर उसने हमसे या किसी भी मीडिया से बात की तो अगले दिन गिरफ़्तार किया जा सकता है. </p><p>गिरफ़्तारी का ख़ौफ़ यहाँ मुट्ठी भर कश्मीरी पंडित समुदाय को भी है. कुछ कश्मीरी पंडित भी भारत सरकार के फ़ैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं. </p><p>एक ने कहा कि वो इस फ़ैसले से बहुत दुखी हैं. उनका कहना था कि अब धीरे-धीरे कश्मीर की जुदा संस्कृति में मिलावट आ जाएगी. </p><p>वो ये सोच कर परेशान हैं. एक 30 वर्षीय कश्मीरी पंडित ने कहा कि उसे उसकी आने वाली संतानों की फ़िक्र है जिनसे उनकी कशमीरियत छीन ली जा सकती है. </p><p>यहाँ अब तक आई जानकारी पर ख़ूब चर्चा हो रही है और विश्लेषण किए जा रहे हैं. सहमति इस बात पर बनती नज़र आती है कि ये एक बड़े तूफ़ान से पहले आने वाली ख़ामोशी है.</p><p>कश्मीर घाटी में अधिकारी इस बात पर कुछ हैरान हैं कि इक्का-दुक्का छोटी घटनाओं को छोड़ कर यहाँ अमन और शांति है. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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कश्मीर: अनुच्छेद 370 पर हुए फ़ैसले से कन्फ़्यूज़ हैं आम कश्मीरी!- कश्मीर डायरी
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