नयी दिल्ली: द्वितीय विश्व युद्ध का वक्त था. 9 अगस्त 1945 की सुबह जापान के लोग सामान्य तरीके से उठे और अपने काम में मशगुल हो गए थे. हालांकि युद्ध की वजह से आर्थिक मंदी जैसे हालात थे और मूलभूत संसाधनों की कमी सी हो गयी थी. वाहनों के लिए पेट्रोल नहीं मिल पा रहा था.
उस दिन जापानी सैनिकों को आसमान में कुछ युद्धक विमान दिखाई पड़ा. हिरोशिमा शहर के ऊपर ये विमान मंडरा रहे थे. जापानी सैनिकों ने तुरंत संदेश जारी कर सारे रडार को अलर्ट कर दिया और रेडियो कार्यक्रम रद्द कर दिए. हालांकि कुछ समय बाद विमान आसमान से गायब हो गए. कहते हैं कि पेट्रोल की कमी की वजह से किसी भी जापानी विमान ने उन विमानों को रोकने के लिए उड़ान नहीं भरी. कुछ समय बाद सबकुछ सामान्य हो गया.
सेकेंडों में बरबाद हो गया हिरोशिमा शहर
कुछ घंटों बाद एक जापानी नौसैनिक ने देखा कि आसमान से एक काली सी कोई चीज तेजी से नीचे की तरफ आ रही है. जैसे ही वो काली चीज जमीन से टकराई तेज धमाका हुआ. जमीन जोर से कांपी और आग का एक बड़ा सा गुब्बार उठा और इतनी तेज रोशनी हुई कि कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया. जब रोशनी छंटी तो सबकुछ तबाह हो चुका था. सेकेंड्स में खंडहर बन चुकी इमारतों को को छोड़ दें तो ऐसा लगता था कि बाकी सभी चीजों को किसी ने निगल लिया था. ये तबाही अमेरिका ने मचाई थी जापान के शहर हिरोशिमा में.
टॉप सीक्रेट मिशन के तहत हुआ हमला
उस दिन जापानी नौसैनिक ने आसमान से जो काली चीज गिरती देखी थी उसका नाम थी ‘लिटिल ब्वॉय’. 3.5 मीटर लंबा और 4 टन वजनी एक परमाणु बम. मानवीय इतिहास में पहली बार था जब किसी देश ने युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल किया था. जानकारी के मुताबिक इस बम को टॉप सीक्रेट मैनहटन प्रोजेक्ट के तहत लॉस अलामोस, न्यू मैक्सिको की प्रयोगशालाओं में बनाया गया था.
कहा जाता है कि इस मिशन को इतना सीक्रेट रखा गया था कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति रहे ‘हेनरी ट्रूमैन’ को तभी पता चल सका जब राष्ट्रपति रूजवेल्ट की मौत के बाद वो अमेरिका के राष्ट्रपति बने. हालांकि जापान में परमाणु हमले की मंजूरी हैरी ट्रूमैन ने ही दी थी क्योंकि इस समय वे राष्ट्रपति थे.
एनिला गे नामक विमान से गिराया था बम
गौरतलब है कि जिस विमान से लिटिल ब्वॉय नाम के परमाणु बम को गिराया गया था उसका नाम एनिला गे था जिसको अमेरिकी वायुसेना के कर्नल पॉल टिबेट्स उड़ा रहे थे. इस विमान में बमबार्डिंग की जिम्मेदारी थी मेजर टॉमस फेरेबी के नाम. इस दिन एनिला गे के साथ एक और अमेरिकी विमान हवा में था जिसका नाम था द ग्रेट आर्टिस्ट. इसके पायलट थे मेजर चार्ल्स स्वीनी. इनका काम हमले के बाद इलाके की तस्वीरों को कैमरे को कैद करना था.
मानवीय त्रासदी का काला उदाहरण
जानकारी के मुताबिक लिटिल ब्वॉय गिराये जाने से चंद मिनटों में ही हिरोशिमा शहर में तत्काल 80 हजार लोग मारे गए. कंक्रीट की इमारतों को छोड़ दें तो हर जीवित चीज जैसे शहर से गायब हो गयी. बम का असर इतना खतरनाक था कि लोगों की खालों ने शरीर का साथ जोड़ दिया. लोगों को झाग भरी खून की उल्टियां होने लगी. गला सूख रहा था लेकिन गले में इतनी जलन थी कि पानी नहीं पीया जा सकता था. हमले के तुंरत बाद दिन चार दिनों तक लोगों की मौत होती रही. मौत की संख्या लाखों में पहुंच चुकी थी.
मानव त्रासदी का इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिल सकता जब युद्ध के उन्माद में किसी देश ने दूसरे देश के लाखों निर्दोष लोगों को इस तरह से मार डाला हो. आज भी हिरोशिमा शहर की एक बड़ी आबादी उस हमले की त्रासदी को झेल रही है. पीढ़ियों तक इसके रेडियेशन का असर साफ देखा जा सकता है.
पर्ल-हार्बर पर हमले का लिया था बदला
बता दें कि पहले विश्व युद्ध के दौरान जहां अमेरिका और जापान एक पक्ष में थे वहीं दूसरे विश्व युद्ध तक दक्षिण-पूर्व एशिया के द्विपीय देशों में उपनिवेशवाद के मसले पर दोनों आमने सामने आ गये. अमेरिका जहां मित्र देशों की तरफ से लड़ रहा था वहीं जापान शत्रु पक्ष की तरफ से. इसी युद्ध के दौरान जापानी वायुसेना ने अमेरिका के महत्वपूर्ण बंदरगाह ‘पर्ल-हार्बर’ पर हमला कर दिया था जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी. अमेरिका के कई सारे यात्री और जंगी जहाजों को काफी नुकसान पहुंचा था. अमेरिका इसका बदला लेना चाहता था और इसी का प्रत्युत्तर था हिरोशिमा में परमाणु बम लिटिल ब्वॉय का गिराया जाना.