<figure> <img alt="Rama Devi" src="https://c.files.bbci.co.uk/4344/production/_108102271_ramadevi.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>देश की सभी महिला सांसदों को, महिला संगठनों को, आम महिलाओं को, आपको, मुझे, हम सबको बधाई हो कि समाजवादी पार्टी सांसद आज़म ख़ान ने माफ़ी मांग ली है!</p><p>संसद के भीतर डिप्टी स्पीकर के ओहदे पर बैठी रमा देवी से बेहद घटिया तरीके से बात कर आज़म खान तो लोक सभा छोड़ चले गए थे. </p><p>भला हो महिला सांसदों का, कि उन्होंने खूब आपत्ति ज़ाहिर की, शोर मचाया, और आज कुछ दस सेकेंड में दी गई माफ़ी तक तो बात पहुंची.</p><p>वरना एक बार फिर एक महिला राजनेता को एक पुरुष की भद्दी बात को मज़ाक मानकर नज़रअंदाज़ करना पड़ता.</p><p>वो पुरुष उन्हें उनके पद की वजह से नहीं बल्कि उनके चेहरे, ख़ूबसूरती की वजह से इज़्ज़त देने की बात कर बस मुस्कुरा देता.</p><p>जैसे कि उनके संवैधानिक पद पर होने का कोई महत्व ही ना हो. बात बस सिकुड़ कर इतनी सी रह जाए कि वो एक महिला हैं. उनकी क़ाबिलियत जो उन्हें इस वरिष्ठ पद तक लेकर आई, उसके कोई मायने नहीं.</p><p>माफ़ कीजिए ये मज़ाक नहीं है, ये बद्तमीज़ी है. ऐसा बर्ताव जो मर्द ख़ास औरतों के साथ करते हैं. </p><p>उन्हें नीचा दिखाने के लिए. ये बताने के लिए कि वो औरत हैं इसलिए उनके आगे बढ़ने में उनके रूप का हाथ होगा. उनके महिला होने की वजह से उन्हें ख़ास तवज्जो दी जाएगी. और उनकी बात एक वरिष्ठ होने की वजह से नहीं बल्कि उनकी शारीरिक सुंदरता की वजह से नहीं टाली जाएगी.</p><p>क्या किसी पुरुष राजनेता से इस तरह बात करते किसी को सुना है आपने?</p><p>सोच भी सकते हैं कि कोई पुरुष प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या स्पीकर के पद पर हो और कोई सांसद उन्हें ये कहे कि उनकी ख़ूबसूरती उन्हें इतनी पसंद है, वो इतने प्यारे हैं कि वो उनकी तरफ़ हर व़क्त देख सकते हैं, आजीवन देख सकते हैं!</p><figure> <img alt="Azam Khan" src="https://c.files.bbci.co.uk/DF84/production/_108102275_azamkhan.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कितना घटिया है ये. लेकिन ये घटियापन चलता है. इसीलिए बार-बार होता है.</p><p>कभी संसद के अंदर तो कभी बाहर. फिर ख़ूब शोर मचता है. भर्त्सना होती है. टीवी चैनल पर बहस होती है, लेख लिखे जाते हैं.</p><p>व़क्त के साथ आया सैलाब चला जाता है. किस्मत अच्छी हो तो दस सेंकंड की एक माफ़ी मिल जाती है. </p><p>ऐसी माफ़ी जिसमें कहा जाता है कि, "ऐसी नज़र से कोई सांसद स्पीकर की कुर्सी को देख ही नहीं सकता, फिर भी अगर ऐसा अहसास है तो मैं माफ़ी चाहता हूं".</p><p>मतलब ग़लती तो महिला की ही है, जिन्हें मज़ाक समझ ही नहीं आया. बेकार ही बेइज़्ज़त महसूस कर गईं वो.</p><p>माफ़ी सुनकर रमा देवी बोलने के लिए उठती हैं, कहती हैं कि उन्हें "माफ़ी नहीं चाहिए, बल्कि बर्ताव में सुधार के लिए कोई कदम चाहिए".</p><p>पर संसद सर्व-सम्मति से माफ़ी को क़बूल लेता है. सब अपनी-अपनी भूमिका निभाकर आगे बढ़ जाते हैं. अगले विधेयक पर चर्चा शुरू हो जाती है.</p><p>अनुशासनात्मक कार्रवाई की रमा देवी की मांग कहीं खो जाती है. </p><p>औरतों के समान अधिकार की कथनी को संसद अपनी करनी से मानो झूठा कर देता है.</p><figure> <img alt="Indian Parliament" src="https://c.files.bbci.co.uk/9164/production/_108102273_parliament.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>क्योंकि ये सबको मंज़ूर है. ये बर्ताव किसी पार्टी या व्यक्ति विशेष का नहीं बल्कि आम बर्ताव का हिस्सा है.</p><p>महिला सांसदों के शरीर पर टिप्पणी करना, लड़कों के लड़कियों का यौन शोषण करने को महज़ ‘ग़लती’ बता देना, महिलाओं के काम को दिखावा बताना, उनकी क़ाबिलियत को ख़ूबसूरती के सहारे मिली कामयाबी कह देना, ये सब बार-बार किया जाता है.</p><p>पुरुष राजनेताओं के बीच इस बर्ताव को लेकर एक सहमति है. </p><p>एक आकलन है कि ये किस श्रेणी का अपराध है, इससे क्या नुक़सान होता है और इसके लिए कैसी सज़ा काफ़ी है.</p><p>आम जनता में भी सहमति है. </p><p>औरतों पर किए कैसे मज़ाक जायज़ हैं, उनकी क़ाबिलियत में उनकी ख़ूबसूरती या उनके महिला होने का कितना पुट है, उन्हें कितना बर्दाश्त कर लेना चाहिए, उन्हें कितना बोलना चाहिए, और उनके साथ भद्दगी करनेवाले का क्या होना चाहिए.</p><p>ये विरोध के शोर और सहमति की चुप्पी की राजनीति है. जिसे औरतें बर्दाश्त भी करती आई हैं और जिसकी हदों को चुनौती भी दे रही हैं.</p><p>इस उम्मीद में कि शोर कभी तो चुप्पी को तोड़ेगा. दस सेकेंड की बे-दिल माफ़ी ही सही, शोर के बाद ये पहला कदम है.</p><figure> <img alt="आजम खान" src="https://c.files.bbci.co.uk/14DF0/production/_108088458_gettyimages-1152294950.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>इसमें सार्वजनिक तौर पर शर्मिंदगी का थोड़ा अहसास है. एक कदम है उस सूरत की ओर जब वोट डालने से पहले आप-हम नेता के आचरण के बारे में भी सोचें.</p><p>या कम से कम ऐसी घटना फिर कभी हो तो इतना शोर मचाएं की संसद के अंदर तक गूंजे और माफ़ी से कहीं ज़्यादा की गुंजाइश बने.</p><p>और हर महिला सांसद को ये विश्वास हो कि जब वो कार्रवाई की मांग करें तो उनकी बात छोटी ना पड़ जाए. </p><p>उन्हें सबका साथ मिले. संसद के अंदर उनकी शिकायत को वो अहमियत मिले जिससे मिसाल क़ायम हो. </p><p>जिससे संसद के बाहर, सड़कों पर औरतों के साथ भद्दे मज़ाक करनेवाले, दफ़्तरों में उनकी क़ाबिलियत को ख़ारिज करनेवाले और आपस में उनके शरीर पर घटिया फ़ब्तियां कसनेवाले शर्मिंदा हों.</p><p>सच मानिए ये जो सत्ता के गलियारे में हुआ, उससे ना सिर्फ़ हमारा सरोकार है बल्कि उसे देख कर अनदेखा करने पर हम भी ऐसे घटियापन का हिस्सा बन रहे हैं.</p><p>और अगर शोर सच्ची नीयत से बिना थके मचाएं तो बदलाव की आंधी का एक पत्ता तो हिला ही सकते हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
ब्लॉग: महिलाओं पर भद्दी टिप्पणियों के बाद भी राजनेताओं को क्यों मिल जाती है माफ़ी?
<figure> <img alt="Rama Devi" src="https://c.files.bbci.co.uk/4344/production/_108102271_ramadevi.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>देश की सभी महिला सांसदों को, महिला संगठनों को, आम महिलाओं को, आपको, मुझे, हम सबको बधाई हो कि समाजवादी पार्टी सांसद आज़म ख़ान ने माफ़ी मांग ली है!</p><p>संसद के भीतर डिप्टी स्पीकर के ओहदे पर बैठी रमा देवी से बेहद घटिया तरीके से बात […]
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