<p>मुजफ्फरपुर का श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल जहां महामारी का रूप ले रहे एक्यूट इंसेफ़िलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित सैकड़ों बच्चों का इलाज चल रहा है और जहां 150 से अधिक बच्चों की मौत इस बीमारी से हो चुकी है, वहां के अस्पताल परिसर में रविवार को नरकंकाल मिलने से हड़कंप मच गया.</p><p>प्लास्टिक की बोरी में भर कर रखे गए नरकंकाल एसकेसीएचएम के वन क्षेत्र में मिले. मीडिया में ख़बर आने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी कौशल किशोर ने अस्पताल प्रशासन को तलब कर रिपोर्ट मांगी.</p><p>परिसर की जांच डीएम आलोक रंजन घोष के नेतृत्व में मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस ने की. यहां कई बोरियों में भरकर रखे नरकंकाल बरामद किए गए. </p><p>इसके बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से भी एक विशेष जांच दल का गठन किया है. अस्पताल अधीक्षक डॉ एसके शाही और प्राचार्य की संयुक्त टीम जांच में लग गई है.</p><p>मुजफ़्फ़रपुर के डीएम आलोक रंजन घोष ने बीबीसी को बताया. "प्रथम दृष्टया जांच और अस्पताल प्रबंधन से पूछताछ में यह निकल कर आया है कि नरकंकाल लावारिस शवों के थे. इसी महीने की 17 तारीख को अस्पताल प्रबंधन ने 19 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया था. प्रबंधन का कहना है कि ये नरकंकाल उन्हीं शवों के हैं."</p><p>तीन साल पहले भी इसी तरह अस्पताल परिसर में भारी संख्या में नरकंकाल मिले थे. अस्पताल प्रबंधन ने उस समय भी यही कहा था कि नरकंकाल लावारिस शवों के हैं. </p><p>अब जब दोबारा ऐसी घटना प्रकाश में आई है तो सवाल उठता है कि क्या अस्पताल परिसर में शव जलाए जा रहे थे? </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48684891?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बिहार में हो रही मौतों पर क्यों ख़ामोश है विपक्ष?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48734212?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">केंद्रीय योजनाओं के दम पर नीतीश बने ‘सुशासन बाबू’?</a></li> </ul><p><strong>शव दाह </strong><strong>के लिए बजट</strong></p><p>डीएम आलोक रंजन घोष कहते हैं, "लावारिस लाशों की अंत्येष्टि कॉलेज प्रशासन के रोगी कल्याण समिति द्वारा जाती है. हालांकि उसमें कोई स्पष्ट नियम नहीं है कि शवों को कहां जलाया जाएगा. यदि उनका कोई परिजन सामने नहीं आता तो अंत्येष्टि संबंधित धार्मिक रीति रिवाज से कर दी जाती है. लेकिन जिनका कोई पता नहीं होता उन्हें सामूहिक रूप से जलाने का प्रावधान है."</p><p>घोष ये भी कहते हैं, "शवों को अस्पताल परिसर में नहीं जलाया जाना चाहिए. इसके लिए अस्पताल प्रबंधन से जवाब तलब किया गया है. अंत्येष्टि के लिए रोगी कल्याण समिति के मद से प्रति शव दो हज़ार रुपए ख़र्च के लिए दिए जाते हैं."</p><p>फिलहाल एसकेसीएचएम में लावारिस शवों को जलाने की ज़िम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की ही है. लेकिन पुलिस की मौजूदगी अनिवार्य है. </p><p>अस्पताल अधीक्षक डॉ एसके शाही ने स्थानीय मीडिया को कहा है कि, "17 जून को अहियापुर पुलिस की उपस्थिति में एफएमटी विभाग ने 19 शवों को रिसीव किया. नियम के अनुसार वारिस के इंतजार में 72 घंटे तक शव को रखा जाता है. उसके बाद भी कोई पहचान नहीं होती है तो दाह संस्कार कर दिया जाता है."</p><p>शाही का कहना है, "कई बार लावारिस शवों को श्मशान घाट पर जलाने से स्थानीय लोगों का विरोध सहना पड़ता है. इससे बचने के लिए कर्मचारियों ने परिसर में ही जला दिए हों."</p><p>वैसे तो अस्पताल प्रबंधन कहता है कि नरकंकाल केवल 19 शवों के हैं. उसके पास उतने का ही रिकॉर्ड है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48723989?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मुज़फ़्फ़रपुर: इंसेफिलाइटिस या ‘कुशासन’ कौन लील रहा है मासूमों को?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48676235?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी के आयुष्मान भारत से क्यों नहीं बच रही बच्चों की जान</a></li> </ul><h1>नर कंकालों की तस्करी</h1><p>लेकिन वहां रिपोर्ट कर रहे एक स्थानीय न्यूज़ चैनल के वरिष्ठ पत्रकार चंद्रमोहन का कहना है, "परिसर के पिछले हिस्से के जंगली इलाके में, कई जगहों पर नरकंकाल मिल जाएंगे. बोरियों में भरकर रखे हुए. हालांकि हमने सारी बोरियों को खोलकर नहीं देखा, लेकिन जितनी भी बोरियां थीं, सबमें नरकंकाल ही थे."</p><p>चंद्रमोहन आगे कहते हैं, "किसी भी सूरत में परिसर के अंदर नरकंकाल नहीं जलाए जाने चाहिए. इसका कारण भी है कि शहर में कोई विद्युत शवदाह गृह नहीं है. अब ये लोग शवों को जलाते भी हैं या नहीं, तय रूप से कैसे कहा जा सकता है. क्योंकि ऐसा होता तो कंकाल कैसे मिलते."</p><p>वो कहते हैं," जिस तरह कंकाल दिख रहे थे, नहीं लगता कि ये लोग जलाते भी हैं. नहीं जलाते हैं, इसका मतलब पैसा खा जाते हैं."</p><p>ऐसा नहीं है कि बिहार में पहली बार नरकंकाल बरामद हुए हैं. बहुत साल पहले वैशाली जिले में गंगा के किनारे से भारी मात्रा में बोरियों में नरमुंड और नरकंकाल बरामद हुए थे. पिछले साल नवंबर में छपरा रेलवे स्टेशन पर खड़ी बलिया सियालदह एक्सप्रेस से 34 नरमुंड और कंकाल बरामद किया गया था.</p><h1>100 से अधिक कंकाल मिलने का दावा</h1><p>पुलिस इस मामले की जांच उस इंटरनेशनल गिरोह से भी जोड़कर करेगी जिसको स्थानीय लोग नरकंकाल जमा करके देते हैं. पोस्टमार्टम हाउस में काम करने वाले एक अधिकारी से पुलिस पूछताछ कर रही है.</p><p>मुजफ्फरपुर के सिटी एसपी नीरज कुमार सिंह ने बीबीसी से कहा कि इस संबंध में अहियापुर पुलिस से जवाब मांगा गया है. उनका जवाब मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी.</p><p>मुजफ्फरपुर के एसकेसीएचएम अस्पताल में अभी भी अभी एक्यूट इंसेफ़िलाइटिस सिंड्रोम के करीब तीन सौ शिशु अस्पताल में भर्ती हैं. हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तमाम नेता अस्पताल का दौरा कर चुके हैं.</p><p>जो तारीख शवों को जलाने की बताई गई हैं उसी समय मुख्यमंत्री समेत सारे बड़े नेताओं ने मरीजों का हाल देखने लिए अस्पताल का दौरा किया था.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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बिहारः मुज़फ़्फ़रपुर में मिला नर कंकालों का ढेर
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