सुनने में यह थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन है पूरी तरह सच. भारत में जहां इन दिनों बुजुर्ग होते राजनेताओं को कुछ राजनीतिक दल हाशिये परछोड़देते हैं, तो वहीं जर्मनी में एक महिला 100 साल की उम्र में अपने शहर की नगर पार्षद चुनी गयी है.
लिजेल हीज जर्मनी के छोटे से शहर किर्शहाइमबोलांडेन से ताल्लुक रखती हैं, जिसकी आबादी 8000 की है. इस उम्र में उनके राजनीति में उतरने की कहानी भी रोचक है.
दरअसल, लिजेल हीज को स्विमिंग (तैराकी) का काफी शौक है. जब स्थानीय सरकारी स्विमिंग पूल को बंद कर दिया गया, तो उसे दोबारा खुलवाने के इरादे से लिजेल ने चुनाव लड़नेका फैसला किया.
बुजुर्ग महिला के दृढ़ निश्चय को देखते हुए शहर के लोगों ने उन्हें बढ़-चढ़ कर वोट दिया. लिजेल शहर के एक संगठन ‘वियर फ्यूर कीबो’ यानी ‘किर्शहाइमबोलांडेन के लिए हम’ के साथ जुड़ी हुईं हैं.
अब वे नगरपालिका में इस संगठनकी प्रवक्ता के तौर पर अपना पक्ष रखेंगी. अपनी जीत के बाद उन्होंने कहा कि राजनीति में बदलाव की पैरवी करने का उम्र से कोई लेना-देना नहीं होता है.
बहरहाल, नगर पार्षद बन जाने के बाद लिजेल सबसे पहले स्विमिंग पूल का मुद्दा उठानेवाली हैं. लिजेल बताती हैं कि उनके लिए तैराकी जीवन के मूलमंत्र जैसी है.
एकजुट यूरोप में विश्वास रखनेवाली लिजेल ब्रेक्जिट का समर्थन नहीं करती हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों की बड़ी प्रशंसक हैं.
राजनीति में हो रहे बदलावों के बारे में उनका मानना है किइनदिनों राजनीति मानवतावाद से पूंजीवाद की ओर बढ़ चुकी है.