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वैज्ञानिकों ने तेल पीने वाले एक नये जीवाणु का पता लगाया

लंदन : वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के महासागरों के सबसे गहरे हिस्से मारियाना ट्रेंच में तेल पीने वाले जीवाणु का पता लगाया है. इससे पानी में फैले हुए तेल को स्थायी तरीके से हटाने में मदद मिल सकती है. मारियाना ट्रेंच पश्चिमी प्रशांत महासागर में करीब 11,000 मीटर की गहराई पर स्थित है. अध्ययन का नेतृत्व […]

लंदन : वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के महासागरों के सबसे गहरे हिस्से मारियाना ट्रेंच में तेल पीने वाले जीवाणु का पता लगाया है. इससे पानी में फैले हुए तेल को स्थायी तरीके से हटाने में मदद मिल सकती है. मारियाना ट्रेंच पश्चिमी प्रशांत महासागर में करीब 11,000 मीटर की गहराई पर स्थित है.

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले चीन के ‘ओशन विश्वविद्यालय’ के शियो हुआ झांग ने कहा, ‘हमें महासागर के सबसे गहरे हिस्से की बजाय मंगल ग्रह के बारे में अधिक पता है.’ अभी तक कुछ ही लोगों ने इस पारिस्थितिकी तंत्र में रहने वाले जीवों के बारे में अध्ययन किया है.

ब्रिटेन के ‘ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय’ के जोनाथन टोड ने कहा, ‘हमारा दल मारियाना ट्रेंच के सबसे गहरे हिस्से में लगभग 11,000 मीटर नीचे माइक्रोबियल जीवाणु के नमूने लेने गया. हमने लाये गये नमूनों का अध्ययन किया और हाइड्रोकार्बन डिग्रेडिंग बैक्टीरिया के एक नये समूह का पता लगाया.’

टोड ने एक बयान में कहा, ‘हाइड्रोकार्बन कार्बनिक यौगिक हैं, जो हाइड्रोजन और कार्बन परमाणु के बने होते हैं. ये कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस सहित कई स्थानों पर पाये जाते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘इस तरह के सूक्ष्म जीव तेल में मौजूद यौगिकों को खा जाते हैं और फिर ईंधन के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं. इस तरह के सूक्ष्म जीव प्राकृतिक आपदा से हुए तेल रिसाव को समाप्त करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं.’

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