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‘निष्क्रिय’ हो गया नासा का ऑपर्च्यूनिटी रोवर

वाशिंगटन : मंगल की सतह पर हाल में 15 वर्ष पूरे करने वाला नासा का ऑपर्च्यूनिटी रोवर सात महीने पहले लाल ग्रह पर आये तूफान के कारण संभवत: ‘निष्क्रिय’ हो गया है. मंगल ग्रह पर परसेवरेंस वैली में सौर संचालित ऑपर्च्यूनिटी रोवर के ठहराव स्थल के ऊपर धूल छाने के कारण रोवर को सूर्य की […]

वाशिंगटन : मंगल की सतह पर हाल में 15 वर्ष पूरे करने वाला नासा का ऑपर्च्यूनिटी रोवर सात महीने पहले लाल ग्रह पर आये तूफान के कारण संभवत: ‘निष्क्रिय’ हो गया है. मंगल ग्रह पर परसेवरेंस वैली में सौर संचालित ऑपर्च्यूनिटी रोवर के ठहराव स्थल के ऊपर धूल छाने के कारण रोवर को सूर्य की रोशनी नहीं मिल सकी थी, जिसके कारण उसकी बैटरियां चार्ज नहीं हो पायी थीं. 10 जून, 2018 से रोवर से संपर्क नहीं हो पा रहा है.

हालांकि, तूफान समाप्त होने और आसमान साफ होने के बाद मिशन की टीम ने रोवर से बार-बार संपर्क स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन रोवर शांत रहा. ‘मार्स एक्प्लोरेशन रोवर मिशन’ के मुख्य जांचकर्ता स्टीवन डब्ल्यू स्क्युआरेस ने कहा, ‘हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है.’

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने स्टीवन के हवाले से कहा, ‘वह संभवत: निष्क्रिय हो गया है.’ उन्होंने कहा कि एक बार आसमान साफ हो जाने के बाद इसकी बैटरी रीचार्ज होगी और स्पेसक्राफ्ट फिर से काम करना शुरू कर देगा. कहा कि धरती पर मौजूद एंटीना हर दिन ऑपर्च्यूनिटी से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है.

शुक्रवार को नासा ने घोषणा की थी कि रोवर ने फिर से संदेश भेजना शुरू कर दिया है, लेकिन वह संवाद नहीं कर पा रहा है, क्योंकि उसके इंटर्नल क्लॉक या इसके रेडियो में कोई गड़बड़ी आ गयी है. नासा ने कहा कि वह कई सप्ताह तक यह कोशिश जारी रखेगा.

ज्ञात हो कि जनवरी, 2004 में रोवर और स्पिरिट दोनों को मंगल की सतह पर सुरक्षित उतारा गया था. दोनों को मंगल ग्रह पर एक दूसरे के विपरीत उतारा गया था. रोवर ने पहली बार संकेत दिये थे कि इस लाल ग्रह पर कभी पानी बहता था. दोनों स्पेसक्राफ्ट का जीवनकाल महज तीन महीने का था. इसके 1,000 गज से कुछ ज्यादा यात्रा करने की उम्मीद थी, लेकिन नासा के इन दोनों उपकरणों ने करीब 15 साल तक अपनी सेवा दी.

10 साल पहले भी आयी थी समस्या

यह पहला मौका नहीं है, जब मार्स रोवर ने काम करना बंद किया है. वर्ष 2009 में मंगल की सतह की मिट्टी में फंस गया. इसके बाद वहां की सर्दी को सहन नहीं कर पाया और मार्च, 2010 में इसने काम करना बंद कर दिया. हालांकि, मंगल की सतह पर ऑपर्च्यूनिटी की गतिविधियां जारी रही और उसने 28 मील से अधिक की दूरी तय की. सिर्फ 90 दिन के लिए बने इस अंतरिक्ष यान ने 5,111 दिन (जब तक रोवर काम कर रहा था) तक काम किया. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि मंगल पर दिन की लंबाई धरती के एक दिन से 40 मिनट ज्यादा होता है.

प्रोजेक्ट मैनेजर जॉन एल कलास कहते हैं कि रोवर पर पहले भी धूल की परत जम गयी थी, लेकिन इस बार शायद यह परत कुछ ज्यादा ही मोटी हो गयी है. धूल की यह परत हवा के झोंके से साफ नहीं हो पा रही है या रोवर के ऊपर कुछ गिर गया है. इसलिए उम्मीदें धीरे-धीरे धूमिल होती जा रही हैं. उन्होंने कहा कि अब जनवरी का मौसम खत्म हो रहा है. इसलिए मिट्टी की परत स्वत: समाप्त हो जायेगी, ऐसी उम्मीद नहीं रह गयी है.

डॉ कलास ने कहा कि अमेरिका में आंशिक बंदी की वजह से आधिकारिक रूप से नासा से दिशा-निर्देश भी नहीं लिया जा सकता है, जिसकी वजह से समस्या और जटिल हो गयी है. ज्ञात हो कि मैक्सिको से लगती अमेरिका की सीमा पर दीवार बनाने के मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप की विरोधी दलों के साथ ठन गयी है. फलस्वरूप अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप पड़ गया है.

बंद हो जायेगा प्रोजेक्ट!

डॉ कलास ने कहा कि नासा के विज्ञान निदेशालय के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर थॉमस जुरबुचेन को तय करना है कि इस प्रोजेक्ट को बंद करना है या नहीं. जब तक आधिकारिक रूप से निर्देश नहीं मिलता, वह प्रोजेक्ट पर काम करते रहेंगे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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