।। दक्षा वैदकर ।।
‘कुछ न कुछ तो लाइफ में छूटेगा ही. इसलिए जहां हो वहीं का मजा लो.’ फिल्म ‘ये जवानी है दिवानी’ का यह डायलॉग मुङो बहुत पसंद है. बीते रविवार यह फिल्म दोबारा देखी. जब नैना ने बन्नी को यह कहा, तो लगा कि कितना सुंदर डायलॉग है. हम सभी को इस पर विचार करना चाहिए.
दरअसल, फिल्म के बन्नी यानी रणबीर कपूर की तरह हम सभी किसी चीज को पाने के लिए भाग रहे हैं. हम हर चीज पा लेना चाहते हैं. हमारा मन इतना चंचल हो गया है कि हम संतुष्ट ही नहीं होते. हम छोटी-छोटी बातों से ले कर बड़े-बड़े फैसले लेने तक में कन्फ्यूज हो जाते हैं. यदि ले भी लेते हैं, तो बाद में पछताते हुए कहते हैं, ‘अरे यार, मुङो वो चीज लेनी चाहिए थी.’ हम ड्रेस ले लेने का बाद सोचते हैं कि ये वाली इतनी सुंदर नहीं, काश वो वाली ड्रेस मैंने पसंद की होती. हम शादी कर लेने के कई सालों बाद सोचते हैं कि काश उस लड़की को हां कह दिया होता. हम जॉब छोड़ देने के बाद सोचते हैं कि काश वो जॉब गुस्से में नहीं छोड़ होती, वरना आज मैं वहां मैनेजर की पोस्ट पर होता.
पिछले दिनों मेरे ऑफिस के एक साथी ने पार्टी दी. पार्टी में सभी ने खूब मजे किये. फोटो खीचे और फेसबुक पर डाले. इस पार्टी में शामिल होने से एक दोस्त वंचित रह गया, क्योंकि उसने किसी की शादी में जाने के लिए छुट्टी मांगी थी. जब दूसरे दिन वह ऑफिस आया, तो पार्टी के फोटो देख कर पछताते हुए बोला, ‘काश मैंने छुट्टी नहीं ली होती. शादी से ज्यादा मजा मुङो यहां आता.’
दोस्तों, हम जहां हैं, जिस व्यक्ति के साथ हैं, जो ड्रेस खरीद चुके हैं, जिससे शादी की है, उसके साथ खुश क्यों नहीं रह सकते? हम क्यों दूसरा पक्ष बार-बार सोचते हैं और अपने ही किये पर पछताते हैं. नैना का डायलॉग बिल्कुल सही है. जिंदगी में कोई न कोई चीज छूटेगी ही. वह अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी. यह भी हो सकता है कि जो छूटी हुई चीज आपको अच्छी लग रही है, वह असल में अच्छी न हो. उसे पा लेने के बाद भी आप पछतायें. बेहतर है कि जो मिला है, उसमें खुश रहें.
बात पते की..
– जो बीत गया है, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है, जो समय वापस लाया नहीं जा सकता है, उसके बारे में सोचना, पछताना बहुत बड़ी बेवकूफी है.
– संतुष्ट होना सीखें. यह मान कर चलें कि आपने जो चीज चुन ली है, वह बेस्ट है. यदि ऐसा नहीं सोचेंगे, तो आप कभी भी खुश नहीं रहेंगे.