भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सोमवार की शाम को फोन पर बातचीत हुई. दोनों ने एक दूसरे को नये साल की बधाई दी. व्हाइट हाउस के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच भारत के साथ अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने और अफगानिस्तान में सहयोग बढ़ाने पर बात हुई. इसे लेकर व्हाइट हाउस ने एक बयान भी जारी किया है.
बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने 2018 में भारत-अमेरिकी संबंधों की प्रगति, नयी दिल्ली-वाशिंगटन के बीच 2+2 वार्ता की शुरुआत और जापान के साथ त्रिस्तरीय वार्ता पर भी संतोष जताया.
दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका के बीच रक्षा, ऊर्जा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और क्षेत्रीय-वैश्विक मुद्दों पर बनी सहमति पर एक-दूसरे का ध्यान खींचा. 2018 की तरह 2019 में भी दोनों देशों के बीच संबंधों में मजबूती लाने के लिए पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रतिबद्धता जतायी.
मालूम हो कि अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ लगारखा है. ट्रंप ने ऐसा अमेरिका के व्यापार घाटे में कमी लाने और अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए किया है. भारत ने जवाबी कार्रवाई करने की धमकी दी है लेकिन उसका कहना है कि वह इस महीने के आखिर तक कोई कदम नहीं उठाएगा.
इस बीच अफगानिस्तान से ट्रंप 14,000 तैनात अमेरिकी सौनिकों में से 5,000 को वापस बुलाने पर विचार कर रहे हैं. अफगानिस्तान में तैनात कुछ सैनिकों को वापस बुलाने से अमेरिका का खर्च बचेगा जिसका इस्तेमाल वह अपनी परियोजनाओं को पूरा करने में लगायेगा.
बतातेचलें कि पिछले दिनों ट्रंप ने पीएम मोदी पर अफगानिस्तान को फंड देने पर तंज कसा था. ट्रंप ने कहा था, मोदी लगातार मुझे बता रहे थे कि उन्होंने अफगानिस्तान में एक लाइब्रेरी का निर्माण करवाया है. आप जानते हैं यह क्या है? यह ऐसा था जैसे हमने पांच घंटे बेकार कर दिये हों और हमें आपसे कहना चाहिए कि लाइब्रेरी के लिए धन्यवाद. मुझे नहीं पता अफगानिस्तान में उसका इस्तेमाल कौन कर रहा है.
प्रधानमंत्री पर किये गये इस तंज पर विपक्ष ने मोदी का साथ देते हुए ट्रंप को करारा जवाब दिया था. कांग्रेस ने ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा था कि अफगानिस्तान में विकास कार्यों के संदर्भ में भारत को अमेरिका से उपदेश की जरूरत नहीं है. रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि प्रिय ट्रंप, भारत के प्रधानमंत्री का मजाक बनाना बंद कीजिए. अफगानिस्तान पर भारत को अमेरिका के उपदेश की जरूरत नहीं है.
मालूम हो कि पिछले साल सितंबर में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम के दौरान एक दूसरे का हाल-चाल पूछा था. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ड्रग्स की तस्करी रोकने के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की. कार्यक्रम समाप्त होने के संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को गले लगाया और राष्ट्रपति ट्रंप से उन्हें मिलाया.