लाहौर : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को मंगलवार को लाहौर की कोट लखपत जेल भेज दिया गया. एक दिन पहले ही देश की भ्रष्टाचार विरोधी अदालत ने उन्हें बहुचर्चित पनामा पेपर्स कांड से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में सात साल जेल की सजा सुनायी थी.
अदालत ने सोमवार को 69 वर्षीय शरीफ को अल-अजीजिया स्टील मिल्स भ्रष्टाचार मामले में सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनायी, जबकि ‘फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट्स’ भ्रष्टाचार मामले में बरी कर दिया था. इस्लामाबाद स्थित जवाबदेही अदालत ने फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट्स भ्रष्टाचार मामले में सुनवाई शुरू की थी. फैसले के बाद अदालत में ही शरीफ को गिरफ्तार कर लिया गया और रावलपिंडी की अडियाला जेल भेज दिया गया. अदालत ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए उन्हें लाहौर में कोट लखपत जेल स्थानांतरित कर दिया. शरीफ ने अपनी अर्जी में अदालत से अनुरोध किया था कि वह कोट लखपत जेल में अपनी सजा पूरी करना चाहते हैं क्योंकि उनके परिजन और उनके निजी डॉक्टर लाहौर में ही रहते हैं.
अपने नेता की एक झलक पाने के लिये पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के समर्थक बड़ी संख्या में जेल के बाहर जमा हो गये. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण उन्हें जेल के करीब नहीं जाने दिया गया. पुलिस ने जेल पहुंचने की कोशिश कर रहे कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज भी किया. जेल प्रशासन के अनुसार, शरीफ को ऊंचे दर्जेवाली सुविधा दी जा रही है. उन्होंने कहा, ऊंचे दर्जे के कैदियों को बिस्तर, पढ़ने के लिए मेज, दो कुर्सियां, एक टीवी सेट और अखबार दिया जाता है. शरीफ को उस बैरक में भेजा गया है जहां 1990 के दशक में भ्रष्टाचार के मामले में सजायाफ्ता पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को रखा गया था.
कोट लखपत जेल पहुंचने पर डॉक्टरों ने शरीफ की जांच की और उन्हें शारीरिक रूप से स्वस्थ पाया. सोमवार के फैसले पर टिप्पणी करते हुए शरीफ ने कहा कि उनकी सोच स्पष्ट है क्योंकि वह कभी भ्रष्टाचार के किसी मामले में शामिल नहीं रहे. उन्होंने कहा, मैं कभी भी अधिकार के दुरुपयोग या भ्रष्टाचार में शामिल नहीं रहा हूं. शरीफ के वकीलों ने कहा कि जवाबदेही अदालत के फैसले को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी जायेगी.