पाकिस्तान की सेना ने अफ़ग़ानिस्तान सीमा से सटे उत्तरी वज़ीरिस्तान में चरमपंथियों के ख़िलाफ़ ‘व्यापक अभियान’ छेड़ दिया है. यह जानकारी पाकिस्तानी सेना ने दी.
‘व्यापक अभियान’ की ये ख़बर इलाक़े में पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों के चरमपंथियों के ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के बाद सामने आई है.
सेना की ‘व्यापक सैन्य कार्रवाई’ की घोषणा के बारे में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ बताते हैं, "सात-आठ महीनों से तालिबान से चल रही बातचीत की नाकामी के बाद ये फ़ैसला लिया गया है. सैन्य कार्रवाई का आग़ाज़ पाकिस्तान का कोना-कोना महफ़ूज़ करने के इरादे से किया गया है. यह अभियान पाकिस्तान की शांति और सुरक्षा को चुनौती देने वाले हर ग्रुप और व्यक्ति के ख़िलाफ़ है."
रक्षा मंत्री ने आगे कहा, "पाकिस्तान की सरज़मीं को दहशतगर्दी के लिए इस्तेमाल करने वालों और पाकिस्तान की क़ानून-व्यवस्था के ख़िलाफ़ काम करने वालों के प्रति किसी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी."
उधर इस्लामाबाद में मौजूद बीबीसी उर्दू संवाददाता शुजा मलिक का कहना है, "पहले से ही बहुत सारी ख़बरें आ रही थीं कि फ़ौज ऑपरेशन की तैयारी कर रही है. तालिबान और सरकार के बीच चल रही बातचीत का काफ़ी अरसे से कोई नतीजा नहीं निकल रहा था."
उन्होंने आगे कहा, "कराची हमला इन मामलों का अहम तात्कालिक प्रभाव है. ऐसा कहा जा सकता है कि शायद कराची हमले के कारण फ़ौज ने अब तुरंत सैन्य कार्रवाई करने की ज़रूरत समझी."
देश के भीतर सैन्य कार्रवाई के कारण अक्सर हज़ारों लाखों की संख्या में विस्थापित होने वाले शहरियों का मामला सरकार के लिए एक चुनौती बनती रही है.
संयुक्त राष्ट्र की भूमिका
पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई से शहरियों को होने वाली क्षति से निपटने के लिए सरकार की तैयारियों के बारे में बीबीसी उर्दू संवाददाता बताते हैं, "इस मामले में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका बेहद अहम है. यूएन की कई संस्था पाकिस्तान में पहले से मौजूद है. चूंकि फ़ौजी कार्रवाई की बात अरसे से चल रही थी इसलिए एक बहुत बड़े आईडीपी (आंतरिक विस्थापित) कैंप की तैयारी भी पहले से की गई है."
शुजा मलिक ने बताया, "जहां तक सियासी मसले की बात है आईडीपी का मामला हुकूमत के लिए जितना नुक़सान देह साबित हो सकता है उससे ज़्यादा बड़ा मसला सरकार के लिए सुरक्षा का है. ऐसा इसलिए क्योंकि देश भर में हमले हो रहे हैं."
इससे पहले रविवार की सुबह पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों के चरमपंथियों के ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों में कराची हवाई अड्डे पर हुए हमले के मास्टरमाइंड समेत कम के कम 80 चरमपंथी मारे गए हैं.
ये हमले उत्तरी वज़ीरिस्तान के क़बायली ज़िले में देहगान पहाड़ी क्षेत्र में हुए. इस इलाक़े को तालिबान और अल-क़ायदा से जुड़े चरमपंथियों का गढ़ माना जाता है.
उत्तरी वज़ीरिस्तान में अभियान छेड़ने के लिए अमरीका लंबे समय से पाकिस्तान पर दबाव बनाए हुए था. उत्तरी वज़ीरिस्तान अशांत उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र का अंतिम इलाक़ा माना जाता रहा है, जहां विद्रोहियों के ख़िलाफ़ अब तक कोई सघन कार्रवाई नहीं की गई थी.
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