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पाक मीडिया: कराची हमले में भारतीय हथियारों पर बहस

अशोक कुमार बीबीसी संवाददाता पाकिस्तान के उर्दू अखबारों में भारतीय साज़िशों, और नरेंद्र मोदी से सावधान रहने की बात कही गई है. वहीं भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के मामले लगातार सुर्ख़ियों में बने हैं. कराची एयरपोर्ट पर हमले के बाद जंग लिखता है कि भारत और अफ़ग़ानिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियां मिल कर पाकिस्तान […]

पाकिस्तान के उर्दू अखबारों में भारतीय साज़िशों, और नरेंद्र मोदी से सावधान रहने की बात कही गई है. वहीं भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के मामले लगातार सुर्ख़ियों में बने हैं.

कराची एयरपोर्ट पर हमले के बाद जंग लिखता है कि भारत और अफ़ग़ानिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियां मिल कर पाकिस्तान में दहशतगर्दी बढ़ा रही हैं. अख़बार यह भी लिखता है कि पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के दस्तावेजों के अनुसार लगभग 60 गुट हैं जो इस वक्त तोड़फोड़ की कार्रवाइयों में लगे हैं.

अख़बार के मुताबिक ऐसे में सरकार पर राजनीतिक दबाव भी बढ़ रहा है कि तालिबान से शांति वार्ता खत्म कर ऑपरेशन की तरफ क़दम बढ़ाए. लेकिन अख़बार की हिदायत है कि जो भी क़दम उठाया जाए, उसमें सियासी और सैन्य नेतृत्व एक साथ हो.

दैनिक वक्त ने अपने पहले पन्ने पर बड़ी सी तस्वीर छापी है जिसमें एक पुल पर बहुत सी गाड़ियां और लोग जमा हैं. नीचे कैप्शन है उत्तरी वजीरिस्तान में संभावित सैन्य ऑपरेशन के खौफ़ से कबायली लोग बड़ी तादाद में पलायन कर रहे हैं.

भारत को प्यार भरा ख़त क्यों?

नवाए वक्त ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की तरफ़ से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र को लिखे उस पत्र पर एतराज है.

अख़बार कहता है कि भारत के खुद करोड़ों लोग ग़रीबी रेखा से नीचे जिंदगी गुज़ार रहे हैं लेकिन नवाज़ शरीफ़ अपने करोड़ों ग़रीबों की ज़िंदगी बेहतर करने के लिए मोदी से मदद मांग रहे हैं.

दक्षिण पंथी अख़बार नवाए वक्त लिखता है कि कराची में हुए हालिया हमले में जब भारतीय हथियारों के इस्तेमाल होने के ठोस सबूत मिले हैं तो फिर भारत को ये शांति और प्रेम वाला ख़त क्यों लिखा गया.

जंग के ही पहले पन्ने पर पाकिस्तान विदेश मंत्रालय का ये बयान है कि कराची एयरपोर्ट भारतीय हथियारों से इस्तेमाल से जुड़े आरोपों की जांच से पहले किसी पर आरोप न लगाया जाए.

रोज़नामा दुनिया ने नवाज़ शरीफ़ के पत्र को अच्छा बताते हुए लिखा है कि प्रधानमंत्री शरीफ़ ने नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेकर जिस काम का आगाज किया था, ये ताज़ा पत्र उस काम को आगे बढाने की एक गंभीर कोशिश है.

उम्मीद है कि मोदी सरकार इस हक़ीक़त को समझने की कोशिश करेगी कि दोनों देशों के अच्छे संबंध दक्षिण एशिया के डेढ़ अरब लोगों के लिए कितना महत्व रखते हैं.

‘भारत की साज़िश’

दैनिक एक्सप्रेस ने तीन सौ भारतीय सिखों को एक मेले में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान नहीं जाने देने पर संपादकीय लिखा है.

अख़बार कहता है कि भारतीय सिखों को लेने पाकिस्तान से स्पेशल ट्रेन गई, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने ये कहते हुए उन्हें नहीं आने दिया कि पाकिस्तान असुरक्षित है.

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पाकिस्तान में सिखों के कई पवित्र स्थल हैं

अख़बार कहता है कि पाकिस्तान में सिख यात्रियों के लिए कभी कोई समस्या नहीं रही, इसलिए भारत ने पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए क़दम उठाया. वो दुनिया को दिखाना चाहता है कि पाकिस्तान एक असुरक्षित देश है.

अख़बार लिखता है कि मोदी सरकार आने के बाद पाकिस्तान को चौकन्ना रहना होगा क्योंकि उसका इसी तरह का रवैया भविष्य में भी पाकिस्तान के लिए मुश्किल पैदा करता रहेगा. अख़बार के शब्दों में अभी तो मोदी सरकार आई है, आगे आगे देखिए होता है क्या?

भारत के अख़बार

हिंदोस्तान एक्सप्रेस ने लिखा है कि एक के बाद एक यौन हिंसा

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पाकिस्तान में लगातार सुरक्षा एक चुनौती बनी हुई है

के मामलों से उत्तर प्रदेश की पुलिस और सरकार की साख को बुरी तरह धक्का लगा है.

अख़बार लिखता है कि होना तो ये चाहिए कि सरकार और प्रशासन दोषियों को सज़ा दिलाए, दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हो ताकि लोगों के बीच अच्छा संदेश जाए, लेकिन हो रहा है इसका उल्टा.

राष्ट्रीय सहारा ने नए वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस बयान की आलोचन है जिसमें उन्होंने कहा कि पिछली यूपीए सरकार ने अर्थव्यवस्था तहस नहस कर दिया.

अख़बार कहता है कि ये लोग ये नहीं सुनना चाहते हैं कि पिछली सरकार ने क्या किया, लोग ये देखना चाहते हैं कि नई सरकार क्या करेगी.

पूर्व सेना प्रमुख और मौजूदा केंद्रीय मंत्री वीके सिंह की तरफ़ से दलबीर सिंह सुहाग को नया सेना प्रमुख बनाए जाने पर एतराज किए जाने पर सहाफ़त का संपादकीय है- वीके सिंह की बचकाना सियासत.

अख़बार कहता है कि केंद्र में मोदी सरकार बने कुछ ही दिन हुए हैं और इसी बीच वीके सिंह की वजह से उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है.

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