काठमांडू/बीजिंग : दुनिया भी अजीबो-गरीब है. अजीबो-गरीब इस मायने में कि कहीं बात को लेकर उत्सव मनाया जाता है, तो कहीं उसी पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है. पूरी दुनिया में आदमी के साथ घुल-मिलकर जीने वाला जानवर कुत्ता है, लेकिन इस प्रजाति को लेकर दुनिया के दो देशों से अजीबो-गरीब खबरें सुनने-पढ़ने को मिल रही हैं.
People in Nepal celebrate 'Kukkur Tihar' as a part of their 5-day long #Diwali celebrations. Visuals from Kathmandu. pic.twitter.com/V944usyVg6
— ANI (@ANI) November 6, 2018
भारत के दो पड़ोसी देश नेपाल और चीन हैं. इन दोनों पड़ोसियों से कुकुर यानी कुत्ता को लेकर चौंकाने वाली खबर आ रही है. पड़ोसी देश नेपाल में दिवाली के दौरान कुकर पूजा का उत्सव मनाया जा रहा है, तो चीन में कुत्ते को टहलाने पर रोक लगा दी गयी है. समाचार एजेंसी एएनआई के एक ट्वीट के मुताबिक, इन दिनों नेपाल के लोग ‘कुकुर तिहार’ का उत्सव मना रहे हैं. इस कुकुर तिहार के दौरान पूरे नेपाल में पांच दिनों तक कुत्तों की पूजा की जाती है.
नेपाल में दिवाली के दौरान पांच दिनों तक होती है जानवरों की पूजा
दरअसल, पड़ोसी देश नेपाल में भी दीपावली का त्योहार भारत ही की तरह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. यहां दीपावली के त्योहार को दिवाली तिहार कहा जाता है, जो पूरे पांच दिनों तक मनाया जाता है. यहां की मान्यताओं और परंपराओं के मुताबिक, दिवाली के पांचों दिन विभिन्न प्रजाति के पांच जानवरों की पूजा की जाती है. तिहार के पहले दिन काग तिहार यानी कौओं की पूजा की जाती है. यहां पर इसके निराशा और दुख का प्रतीक मानना जाता है. काग तिहार में लोग अपने-अपने घरों की खिड़कियों और दरवाजों पर मिठाइयां और पकवान रख देते हैं, ताकि कौवे उसे चुग लें और प्रसन्न होकर आशीर्वाद दें.
दिवाली के दूसरे दिन होती है कुकुरों की पूजा
इसके दूसरे दिन कुत्तों की पूजा यानी कुकुर तिहार मनाया जाता है. इस दिन नेपाल में घरों के पालतू और आसपास के कुत्तों की पूजा की जाती है. उन्हें खूब सजाया जाता है और सम्मान के साथ आव-भगत किया जाता है. राजा-महाराजाओं की तरह इन कुत्तों का सम्मान किया जाता है और फिर मनपसंद भोज्य पदार्थ खिलाया जाता है. यहां कुत्तों को यमराज का दूत माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यमराज के दो कुत्ते श्याम और सदल थे, जो उनके महल के द्वारपाल हैं. यहां ऐसा भी माना जाता है कि कुत्ते मौत के बाद सीधे स्वर्ग प्रयाण करते हैं. इसलिए दिवाली के दूसरे दिन कुकुरों की पूजा की जाती है.
चीन के वेनशान शहर में लगा कुत्तों के टहलाने पर प्रतिबंध
भारत के सबसे नजदीकी पड़ोसी के बाद अब जरा हम आंख तरेरू पड़ोसी चीन की तरफ रुख कर लें. यहां से खबर यह आ रही है कि दक्षिण पश्चिम चीन में वेनशान शहर में प्रशासन ने दिन में कुत्तों को बाहर टहलाने पर रोक लगा दी है. साथ ही पार्कों, शॉपिंग सेंटर, खेलने की जगहों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर कुत्तों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है. युन्नान प्रांत में वेनशान शहर में 29 अक्टूबर को जारी इस अध्यादेश को देश में सबसे कठोर कहा जा रहा है.
वेनशान शहर में सुबह सात बजे के पहले और 10 बजे के बाद कुत्ते टहलाने पर छूट
इसमें कहा गया है कि कुत्तों को सुबह सात बजे से पहले और रात 10 बजे के बाद ही बाहर टहलाया जा सकता है. इसमें यह भी कहा गया है कि कुत्तों की चेन एक मीटर (तीन फीट) से अधिक नहीं हो सकती है और उन्हें केवल वयस्क लोग ही टहला सकते हैं. चीन में कुत्ते पालने पर कड़े नियम लागू हैं. कम्युनिस्ट चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग के कार्यकाल में पालतू जानवरों को पालने की प्रवृत्ति को बुर्जुआ शौक के तौर पर माना जाता था.
हाल के कुछ दशकों में संपन्नता के बढ़ने के साथ चीनी परिवारों में कुत्ते पालने का शौक बढ़ रहा है. कई शहर अब भी उन नियमों का पालन करते हैं कि किस इलाके में किस आकार के कुत्तों को पालना है. राजधानी बीजिंग में भी शहर के केंद्र से बड़े आकार वाले कुत्तों पर प्रतिबंध है.