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फ़िल्म रिव्यू: हॉलीडे में कितना दम?

कोमल नाहटा वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक रेटिंग: ***1/2 ‘हॉलीडे’ कहानी है एक सैनिक विराट (अक्षय कुमार) की जो छुट्टियां मनाने अपने घर आता है लेकिन एक चरमपंथी घटना की गुत्थी सुलझाने में उलझ जाता है. विराट बक्शी (अक्षय कुमार) छुट्टी मनाने जब घर आता है तो उसके पिता (प्रेमनाथ गुलाटी) उसकी शादी तय करने का सोचते […]

रेटिंग: ***1/2

‘हॉलीडे’ कहानी है एक सैनिक विराट (अक्षय कुमार) की जो छुट्टियां मनाने अपने घर आता है लेकिन एक चरमपंथी घटना की गुत्थी सुलझाने में उलझ जाता है.

विराट बक्शी (अक्षय कुमार) छुट्टी मनाने जब घर आता है तो उसके पिता (प्रेमनाथ गुलाटी) उसकी शादी तय करने का सोचते हैं और वो उसकी मुलाक़ात लड़की साइबा (सोनाक्षी सिन्हा) से कराते हैं.

(सेक्स कॉमेडी से परहेज़ नहीं: अक्षय कुमार)

पहले तो वो शादी से इनकार कर देता है लेकिन बाद में जब वो साइबा को दूसरी बार देखता है तो उससे प्यार कर बैठता है.

दोनों की प्रेम कहानी शुरू ही हुई होती है कि विराट, एक चरमपंथी गुट की गतिविधियों को सुलझाने में व्यस्त हो जाता है.

इस गुट से पूरे देश को ख़तरा है. एक बस को एक चरमपंथी (निशांक) बम से उड़ा देता है.

(सोनाक्षी सिन्हा के सामने क्यों हुए नर्वस रजनीकांत ?)

विराट उसे पकड़ लेता है और पुलिस को सौंप देता है. इस चरमपंथी को जब अस्पताल में भर्ती कराया जाता है तो वो वहां से फ़रार हो जाता है.

विराट को पता चलता है कि पूरे देश में इस चरमपंथी गुट की स्लीपर सेल फैली हुई हैं. जहां पर ऐसे लोग भर्ती किए जाते हैं जो आसानी से आम लोगों के बीच घुल मिल जाते हैं और पता ही नहीं चलता कि ये इस गुट के सदस्य हैं.

(रिव्यू: ‘सिटीलाइट्स’)

यहां से विराट की जंग शुरू होती है देश भर में फैले इन स्लीपर सेल के नेटवर्क का पता लगाने की और इस चरमपंथी गुट को नेस्तनाबूद करने की.

स्क्रीनप्ले

निर्देशक एआर मुरुगदॉस ने फ़िल्म की स्क्रिप्ट भी ख़ुद ही लिखी है जो उनकी ही तमिल फ़िल्म ‘तुपाकी’ का रीमेक है.

(रिव्यू: ‘कोचेडियान’)

कहानी और स्क्रीनप्ले काफी कसा हुआ है और दर्शकों को बांधे रखता है. फ़िल्म में ज़बरदस्त ड्रामा है, कुछ मज़ेदार, कॉमिक दृश्य हैं साथ ही बेहतरीन एक्शन सीक्वेंस, रोमांस और कुछ हिला देने वाले भावुक दृश्य भी हैं.

फ़िल्म में कई ऐसे सींस हैं जो दर्शकों को ताली बजाने पर मजबूर कर देंगे.

बेहतरीन दृश्य

ख़ासतौर से वो दृश्य जिसमें अक्षय कुमार अपने साथी सैनिकों के साथ स्लीपर सेल का भंडाफोड़ करते हैं, वो दृश्य जिसमें विराट सैनिकों के परिवार की लड़कियों को बचाते हैं और वो दृश्य जिसमें अक्षय चरमपंथी गुट के मास्टरमाइंड से जा टकराते हैं.

(रिव्यू:’हीरोपंती’)

फ़िल्म के कई दृश्य देशभक्ति की भावना जगाने में भी कामयाब होते हैं.

फ़िल्म के संवाद अच्छे हैं और दर्शकों के दिलों तक पहुंचते हैं.

कमियां

फ़िल्म में दो बड़ी कमियां भी हैं. एक तो फ़िल्म बेहद लंबी है. इसलिए ड्रामा कहीं-कहीं पर खींचा गया सा लगता है.

साथ ही चरमपंथी गुट को पकड़ने और स्लीपर सेल का भंडाफोड़ करने की विराट और उसके साथियों की प्लानिंग को बड़े बेपरवाह अंदाज़ में दिखा दिया गया है.

(रिव्यू: ‘द एक्सपोज़े’)

अक्षय कुमार को लार्जर दैन लाइफ़ अंदाज़ में दिखाया गया है मानो उनके लिए सब कुछ करना मुमकिन है.

अभिनय

अक्षय कुमार ने अपना रोल बेहतरीन अंदाज़ में निभाया है. वो एक्शन दृश्यों के साथ-साथ इमोशनल और रोमांटिक दृश्यों में भी जमे हैं.

सोनाक्षी सिन्हा भी आकर्षक लगी हैं. अक्षय कुमार के साथ उनको पर्दे पर देखना अच्छा लगता है.

(रिव्यू: ‘हवा हवाई’)

चरमपंथी गुट के मास्टरमाइंड के रोल में फ़रहाद ने बॉलीवुड में अपने करियर की अच्छी शुरुआत की है.

एक छोटे रोल में गोविंदा ने अपनी छाप छोड़ी है और दर्शकों को हंसाया है, बाक़ी कलाकार भी अच्छे हैं.

निर्देशन

एआर मुरुगदॉस का निर्देशन शानदार है. उन्होंने कहानी में सभी प्लॉट्स का ताना-बाना बेहतरीन तरीक़े से बुना है.

(रिव्यू: ‘क्या दिल्ली क्या लाहौर’)

उन्होंने एक कसी हुई फ़िल्म बनाई है. प्रीतम का संगीत भी अच्छा है. शायराना और तू ही तो है गाने अच्छे बन पड़े हैं.

कुल मिलाकर हॉलीडे अच्छी मनोरंजक फ़िल्म है.

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