काठमांडू : आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा करार देते हुए भारत और छह अन्य बिम्सटेक देशों ने शुक्रवार को आह्वान किया कि इस बुराई को बढ़ावा, समर्थन देनेवाले या उसका वित्तपोषण करनेवाले, आतंकवादियों को सुरक्षित शरणस्थली उपलब्ध करानेवाले और उनकी गलत प्रशंसा करनेवाले देशों तथा सरकार इतर तत्वों की पहचान की जाये तथा उन्हें जवाबदेह ठहराया जाये.
दो दिवसीय चौथे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के अंत में काठमांडू घोषणापत्र जारी किया गया जिसमें बिम्सटेक देशों सहित विश्व के सभी हिस्सों में आतंकी हमलों की निंदा की गयी और जोर दिया गया कि आतंकवाद के किसी भी कृत्य को किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता. बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य सदस्य देशों के नेता शामिल हुए. मोदी ने कहा, बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में आज की कार्यवाही अत्यंत सार्थक रही. गुरुवारको हमने जिन मुद्दों पर बात की थी, उसी दिशा में हम आगे बढ़े तथा विभिन्न क्षेत्रों में बहुपक्षीय सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए अपनी कटिबद्धता दोहरायी. काठमांडू घोषणापत्र में किसी भी जगह किसी के भी द्वारा किये जानेवाले आतंकी कृत्यों और सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की गयी. इसमें कहा गया, आतंकवाद और सीमा पार संगठित अपराध बिम्सटेक देशों सहित अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए लगातार बड़ा खतरा बने हुए हैं.
सभी सदस्यों देशों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार की गयी घोषणा में कहा गया, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में न सिर्फ आतंकवादियों, आतंकी संगठनों और नेटवर्कों को निशाना बनाया जाना चाहिए, बल्कि इस बुराई को बढ़ावा, समर्थन देनेवाले या वित्त पोषण करनेवाले, आतंकवादियों, आतंकी समूहों को सुरक्षित शरणस्थली उपलब्ध करानेवाले और उनकी गलत प्रशंसा करनेवाले देशों तथा सरकार इतर तत्वों की पहचान भी की जानी चाहिए और जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. घोषणापत्र में किसी खास देश का नाम नहीं लिया गया, लेकिन पाकिस्तान पर भारत सहित इसके पड़ोसी देश आतंकवादियों को पनाहगाह उपलब्ध कराने का आरोप लगाते रहे हैं.
इसमें सभी देशों से कहा गया कि वे एक समग्र रुख अपनाये जिसमें आतंकियों के वित्त पोषण, अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों से होनेवाले आतंकी कृत्यों, आतंकियों की भर्ती, सीमा पार आतंकी गतिविधयों पर अंकुश लगाने तथा कट्टरपंथ का मुकाबला करने, आतंकी उद्देश्यों के लिए इंटरनेट के दुरुपयोग को रोकने और आतंकी पनाहगाहों को नष्ट करने की बात शामिल हो. शिखर सम्मेलन के अंत में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने समूह की अध्यक्षता श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना का सौंपी.