यरूशलम :इस्राइल की संसद ने देश को यहूदियों के मुल्क के तौर पर परिभाषित करने वाला विधेयक गुरुवार को पारित कर दिया. अब इस्राइल आधिकारिक तौर पर यहूदियों का देश बन जायेगा. इस कानून के पास होने के बाद अब यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि देश में रह रहे अरब नागरिकों के साथ बड़े स्तर पर भेदभाव होगा. 55 के मुकाबले 65 वोटों से पारित इस विधेयक में इसमें इस्राइल को यहूदियों का ऐतिहासिक मातृभूमि बताया गया है और कहा गया है कि यहूदियों को वहां आत्मनिर्णय का अधिकार है.
इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने विधेयक पारित होने के बाद कहा कि यह देश के इतिहास में एक निर्णायक पल है जिसने हमारी भाषा, हमारे राष्ट्रगान और हमारे राष्ट्र ध्वज को सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया है. वहीं, कई विपक्षी नेताओं ने इस विधेयक की निंदा की है. अरब ज्वाइंट लिस्ट अलायंस आयमन ओदेह ने इसे ‘लोकतंत्र का अंत’ करार दिया है. अरब सांसदों और फिलिस्तीनियों ने इस कानून को नस्लवादी भावना से प्रेरित बताया और कहा कि संसद में हंगामेदार बहस के बाद इस विधेयक के पारित होने पर ‘रंगभेद’ वैध हो गया है.
हिब्रू कैलेंडर बना देश का आधिकारिक कैलेंडर
विधेयक के मुताबिक, अब हिब्रू देशकी राष्ट्रीय भाषा बन गयी है. इससे पहले अरबी को आधिकारिक भाषा माना जाता था और उसे अब केवल विशेष दर्जा दिया गया है. हिब्रू कैलेंडर को देश का आधिकारिक कैलेंडर घोषित किया गया है.