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हम पर राज करेंगे रोबोट! 2020 में चुनाव लड़ेंगे, न्यूजीलैंड में बना आर्टिफिशियल बुद्धि वाला राजनेता

नेशनल कंटेंट सेल न्यूजीलैंड के एक उद्यमी निक गेरिट्सन ने आर्टिफिशयल ब्रेन वाला एक रोबोट राजनेता तैयार किया है, जो राजनीति से जुड़े सवालों का जवाब देगा और ज्वलंत मुद्दों पर बहस भी कर सकेगा. यह लोगों के आवास, शिक्षा, वीजा संबंधी नीतियों जैसे स्थानीय मुद्दों पर पूछे गये तमाम सवालों के जवाब देने में […]

नेशनल कंटेंट सेल

न्यूजीलैंड के एक उद्यमी निक गेरिट्सन ने आर्टिफिशयल ब्रेन वाला एक रोबोट राजनेता तैयार किया है, जो राजनीति से जुड़े सवालों का जवाब देगा और ज्वलंत मुद्दों पर बहस भी कर सकेगा. यह लोगों के आवास, शिक्षा, वीजा संबंधी नीतियों जैसे स्थानीय मुद्दों पर पूछे गये तमाम सवालों के जवाब देने में भी सक्षम होगा. यह दुनिया का पहला कृत्रिम बुद्धि वाला राजनीतिज्ञ होगा. 49 वर्षीय निक गेरिट्सन ने बताया कि इस आभासी राजनीतिज्ञ का नाम सैम (एसएएम) रखा गया है. उसे 2020 में न्यूजीलैंड में होनेवाले आम चुनाव में उम्मीदवार बनाने की तैयारी की जा रही है. वह फेसबुक मैसेंजर के जरिये लोगों को प्रतिक्रिया देना लगातार सीख रहा है. न्यूजीलैंड में साल 2020 के आखिर में आम चुनाव होंगे. गेरिट्सन का मानना है कि तब तक सैम एक प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरने के लिए तैयार हो जायेगा.

इसे बनाने के पीछे के मकसद के बारे में निक कहते हैं, ऐसा लगता है कि फिलहाल राजनीति में कई पूर्वाग्रह हैं. दुनिया भर के देश जलवायु परिवर्तन एवं समानता जैसे जटिल मुद्दों का हल नहीं निकाल पा रहे हैं. ऐसे में यह कृत्रिम बुद्धि वाला राजनेता बेहतर सूचनाओं के आधार पर निर्णय लेने की क्षमता के साथ समस्याओं के समाधान सुझाने में मदद कर सकेगा साथ ही पार्टी लाइन से जुड़े तथ्यों को और बेहतर तरीके से लोगों के सामने रख सकेगा.

गेरिट्सन का मानना है कि वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय ऊपरी स्तर के राजनेताओं पर निर्भर करता है. मुद्दों व समस्याओं को अच्छे से जानने समझने के बाद राजनेता किसी निर्णय पर पहुंचते हैं, लेकिन उनका यह निर्णय कभी-कभी लोगों की सोच और अपेक्षा से बाहर होता है. ऐसे में कृत्रिम बुद्धि वाले राजनेता जलवायु और पर्यावरण संबंधी वैश्विक समस्याओं पर बेहतर व सटीक निर्णय ले सकते हैं. ‘टेक इन एशिया’ में छपी खबर में कहा गया है कि प्रणाली भले ही पूरी तरह सटीक न हो, लेकिन यह कई देशों में बढ़ते राजनीतिक एवं सांस्कृतिक अंतर को भरने में मददगार हो सकता है.

व्यवहार सुगम बनाने पर हो रहा काम : नेचुरल लेंग्वेज प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी और मानवीय संवेदना को विश्लेषित करने वाले एल्गोरिदम के कारण मानवीय पूर्वाग्रह का इस पर असर नहीं होगा. फिलहाल, यह देखा जा रहा है कि लोग किस हद तक कृत्रिम राजनेता के साथ जुड़ सकते हैं. इसी बात पर इसके व्यावहारिक तौर पर सॉफ्टवेयर निर्माण की की दिशा में बढ़ा जायेगा. अगर यह रोबोट लोगों के साथ व्यावहारिक रूप से सफल होता है तो यह अगली पीढ़ी के चुनाव के लिए तैयार होगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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