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कोलंबो में सुषमा : श्रीलंका ने भारत से निभाई दोस्ती, चीन को दिया बड़ा झटका

कोलंबो : प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सामरिकरूप से महत्वपूर्ण हम्बनटोटा बंदरगाह का किसी भी अन्य देश द्वारा सैन्य अड्डे के तौर पर इस्तेमाल की संभावना को आज खारिज कर दिया. इस तरह उन्होंने श्रीलंका में बढती चीनी नौसना की मौजूदगी पर भारत की चिंताएं दूर की हैं. भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस वक्त […]

कोलंबो : प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सामरिकरूप से महत्वपूर्ण हम्बनटोटा बंदरगाह का किसी भी अन्य देश द्वारा सैन्य अड्डे के तौर पर इस्तेमाल की संभावना को आज खारिज कर दिया. इस तरह उन्होंने श्रीलंका में बढती चीनी नौसना की मौजूदगी पर भारत की चिंताएं दूर की हैं. भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस वक्त श्रीलंका के दौरे पर हैं और यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि है. ध्यान रहे कि एक और पड़ोसी देश नेपाल में चीन की उपस्थिति बनाने की चाहत को हाल में तब झटका लगा, जब वहां के नये प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा पिछले महीने पहले विदेश दौरे के रूप में भारत आये. इस दौरान दोनों देशों में सहयोग के समझौते हुए और भारत ने ऊर्जा क्षेत्र में नेपाल के लिए नयी परियोजनाएं शुरू कीं.

श्रीलंका की सरकार ने हम्बनटोटा बंदरगाह की 70 फीसदी हिस्सेदारी चीन को बेचने के लिए गत 29 जुलाई को 1.1 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. बंदरगाह निर्माण के चलते देश पर चढ़े भारी भरकम कर्जे पर चिंताएं जाहिर की जा रही थीं. चीन की सरकारी चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स 99 वर्ष के लीज समझौते के तहत बंदरगाह में 1.1 अबर डॉलर का निवेश करेगी.

इस समझौते में कई महीनों की देरी हुई है जिसकी वजह यह आशंका है कि गहरे समुद्र में बने बंदरगाह का इस्तेमाल चीन की नौसेना कर सकती है. श्रीलंका में गृहयुद्ध वर्ष 2009 में खत्म हुआ था जिसके बाद से चीन ने यहां लाखों डॉलर का निवेश किया है.

हम्बनटोटा बंदरगाह को विकसित करने में चीन की भागीदारी पर भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने ऐसा समय चुना है जब भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज वहां दौरे पर हैं.

कल रात यहां हिंद महासागर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विक्रमसिंघे ने कहा, ‘ ‘ कई महत्वपूर्ण बंदरगाहों, खासकर हम्बनटोटा बंदरगाह जिसपर कुछ देश अपना सैन्य अड्डा होने का दावा जताते हैं, उसे विकसित करने के श्रीलंका के फैसले के संबंध में कुछ कहना चाहता हूं. मैं स्पष्टरूप से कह रहा हूं कि राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना के नेतृत्व में श्रीलंका किसी भी देश के साथ सैन्य साझेदारी नहीं कर रहा और अपने अड्डों को अन्य देशों को उपलब्ध भी नहीं करा रहा. ‘ ‘ उन्होंने कहा, ‘ ‘ हमारे बंदरगाहों और हवाईअड्डों पर सैन्य गतिविधियों का अधिकार केवल श्रीलंका के सैन्य बलों को है. हमारे बंदरगाहों को व्यावसायिक तौर पर विकसित करने के लिए हम विदेशी निजी निवेशकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. ‘ ‘

सुषमा ने कल सम्मेलन में अपने भाषण में कहा था कि भारत हिंद महासागर में सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि क्षेत्र में रह रहे लोग हिंद महासागर क्षेत्र में अमन और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्राथमिक जिम्मेदारी निभाएं.

उन्होंने कहा कि अगर हिंद महासागर क्षेत्र की समुद्री अर्थव्यवस्था जिसमें नयी जान फूंकी गयी है, उसे वैश्विक आथर्कि विकास की शक्ति बनना है तो यह जरूरी है कि जलक्षेत्र शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित रहे.

श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र के लिए प्रभावी बहुपक्षीय कारोबारी समझौते नहीं हैं इसलिए उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, ‘ ‘ भारत और पाकिस्तान के साथ हमारे मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पहले से हैं. भारत के साथ और अधिक आथर्कि सहयोग के लिए एफटीए को और गहरा करने की हमारी प्रक्रिया जारी है. हम सिंगापुर के साथ मुक्त व्यापार समझौता करेंगे और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में भी अन्य देशों के साथ ऐसे ही समझौते करेंगे. चीन के साथ भी एफटीए पर बातचीत चल रही है. ‘ ‘

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