बर्न/नयी दिल्ली : परमाणु अपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की पूर्ण बैठक इस 48 सदस्यीय समूह में प्रवेश के लिए भारत के सदस्यता आवेदन पर कोई निर्णय करने में विफल रही, लेकिन इसने गैर एनपीटी देशों के प्रवेश के मुद्दे पर नवंबर में चर्चा करने का फैसला किया. एनएसजी का एक महत्वपूर्ण सदस्य चीन प्राथमिक तौर पर इस आधार पर भारत के प्रयास का लगातार विरोध करता रहा है कि उसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं. बीजिंग के विरोध ने समूह में भारत के प्रवेश को मुश्किल बना दिया है क्योंकि एनएसजी सर्वसम्मति के सिद्धांत पर कार्य करता है.
स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में हुई दो दिवसीय पूर्ण बैठक के अंत में एनएसजी ने एक बयान में कहा, ‘एनएसजी ने समूह में गैर एनपीटी देशों की भागीदारी के तकनीकी, कानूनी और राजनीतिक पहलुओं पर चर्चा की.’ इसमें कहा गया, ‘समूह ने अपनी चर्चा जारी रखने का फैसला किया और नवंबर में एक अनौपचारिक बैठक करने की अध्यक्ष की भावना का उल्लेख किया.’ समूह ने कहा कि इसने भारत के साथ संबंधों पर चर्चा की, विशेषकर नयी दिल्ली के साथ असैन्य परमाणु करार पर 2008 के बयान के क्रियान्वयन के बारे में.
वर्ष 2008 में एनएसजी ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु करार के लिए मार्ग प्रशस्त करने के वास्ते असैन्य परमाणु कारोबार से संबंधित अपने नियमों से भारत को अद्वितीय छूट देने पर सहमत हो गया था. बयान में कहा गया, ‘पूर्ण बैठक में, एनएसजी ने भारत के साथ असैन्य परमाणु करार पर 2008 के बयान के क्रियान्वयन के सभी पहलुओं पर विचार करना जारी रखा और भारत के साथ एनएसजी के संबंधों पर चर्चा की.’ बर्न में पूर्ण बैठक के दौरान एनएसजी के सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की आधारशिला के रूप में एनपीटी के ‘पूर्ण तथा प्रभावी’ क्रियान्वयन के लिए अपना पूर्ण समर्थन दोहराया.
बैठक की अध्यक्षता स्विट्जरलैंड के राजदूत बेनो लगनेर ने की. चीन के विरोध ने समूह में भारत के प्रवेश को मुश्किल बना दिया है. गत सप्ताह चीन ने कहा था कि एनएसजी में गैर एनपीटी सदस्यों को प्रवेश देने के मुद्दे पर उसके रख में कोई बदलाव नहीं आया है. मुद्दा भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में एक बाधा बना हुआ है. एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत के आवेदन के बाद चीन के दोस्त पाकिस्तान ने भी बीजिंग की मौन सहमित से समूह की सदस्यता के लिए आवेदन किया था. एनएसजी की पूर्ण बैठक में सभी परमाणु आपूतिकर्ता देशों को एनएसजी के दिशा-निर्देशों के अनुसार परमाणु निर्यात के प्रति जिम्मेदार रवैया व्यक्त करने को आमंत्रित किया गया.