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Explainer: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बिहार में क्यों मचा है घमासान? जानिए इसे लागू करने के खिलाफ क्यों है सरकार

Explainer Story: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बिहार में सियासी घमासान मचा हुआ है. पीएम नरेंद्र मोदी के एक बयान के बाद अब देशभर में समान नागरिक संहिता ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इसपर क्या स्टैंड है और भाजपा बिहार में इसे किस तरह मुद्दा बनाए हुए है. जानिए...

Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) पर इन दिनों बिहार में भी सियासी घमासान मचा हुआ है. एक देश एक कानून (Ucc In india) पर अब बयानबाजी शुरू हो गयी है. आगामी लोकसभा चुनाव से पहले अब देशभर में यूसीसी बड़ा मुद्दा बना हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा हाल में दिए बयान के बाद अब इसे लेकर सियासी द्वंद छिड़ चुका है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली के प्रतिनिधिमंडल ने जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की तो उसके बाद यह जानकारी सामने आई कि सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अपना स्टैंड तय कर चुकी है. यूसीसी को लेकर बिहार में महागठबंधन व भाजपा आमने-सामने है. जानिए क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड जिसे लेकर गरमायी है बिहार की सियासत और यूसीसी की देश में क्या है वर्तमान स्थिति…

पीएम मोदी के बयान से मचा घमासान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की वकालत की तो ये मुद्दा गरमा गया. हाल में ही पीएम मोदी जब मध्य प्रदेश में बीजेपी के ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ अभियान के तहत पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा कि एक ही परिवार में दो लोगों के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते. दोहरी व्यवस्था से घर भला कैसे चल पाएगा. मुस्लिम देशों का उदाहरण देकर पीएम ने ये बातें कहीं. उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने पर अपनी नाराजगी जताई थी.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का क्या है स्टैंड? 

बिहार में कॉमन सिविल कोड (यूसीसी) लागू नहीं होगा. सरकार ने इसपर अपनी साफ प्रतिक्रिया दे दी है. शनिवार को जब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और अपनी मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा तो बड़ी जानकारी बाहर आई थी. प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों ने बताया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन लोगों आश्वस्त किया कि बिहार में यूसीसी लागू नहीं होगा.बताया गया कि नीतीश कुमार यूसीसी को लेकर अपने पुराने स्टैंड पर कायम हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भी वह इसका विरोध करेंगे.

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बिहार में सरकार की क्या है दलील..

बिहार सरकार, जदयू और महागठबंधन के लगभग सभी पार्टियों का मानना है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू (यूसीसी) करने के लिए उपयुक्त माहौल अभी इस देश में नहीं है. इसलिए उसको अभी लागू नहीं किया जाना चाहिए. मंत्री विजय चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत में ये बातें कही. वहीं भाजपा ने इसे लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है.

भाजपा ने साधा निशाना

राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि जब पाकिस्तान सहित अनेक मुस्लिम देशों में बहु- विवाह, फौरी तीन तलाक और गुजारा भत्ता के मुद्दे पर कानून में सुधार किया जा सकता है, तो भारत में क्यों नहीं होना चाहिए ? उन्होंने कहा कि संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए समान नागरिक संहिता जब भी लागू होगी, पूरे देश में लागू होगी. तब नीतीश कुमार और ममता बनर्जी जैसे मुख्यमंत्री राज्यों में इसे लागू करने से नहीं रोक पायेंगे.

क्या है यूसीसी यानी कॉमन सिविल कोड

समान नागरिक कानून यानी कॉमन सिविल कोड का मतलब ‘सबके लिए एक नियम’ से है. इसके अनुसार, पूरे देश के लिए एक समान कानून होगा. जिसमें सभी धार्मिक समुदायों के लिए विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने तक के नियम भी एक समान होंगे. दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 44 में भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून का प्रावधान लागू करने की बात कही गयी है. अनुच्छेद-44 संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है. इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ के सिद्धांत का पालन करना है.

कॉमन सिविल कोड कई देशों में लागू

बता दें कि कॉमन सिविल कोड कई देशों में लागू है और इसके नियमों का वहां पालन होता है. अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, सूडान, मिस्र, इंडोनेशिया,आयरलैंड, आदि देशों में यूसीसी का पालन होता है. इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए एक समान कानून हैं और किसी धर्म या समुदाय विशेष के लिए अलग कानून नहीं हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल में ही इन देशों का उदाहरण भी दिया था.

अभी भारत में यूसीसी की स्थिति

भारत में अभी यूसीसी यानी कॉमन सिविल कोड पर घमासान छिड़ा हुआ है. इसे लेकर सियासी दलों का अपना-अपना स्टैंड है. वर्तमान में देश के अंदर इसकी स्थिति की बात करें तो भारतीय अनुबंध अधिनियम- 1872, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम- 1882, भागीदारी अधिनियम- 1932, साक्ष्य अधिनियम- 1872, नागरिक प्रक्रिया संहिता जैसे मामलो में सभी नागरिकों के लिए भारत में एक समान नियम लागू किए गए हैं. लेकिन धार्मिक मामलों में सबके लिए अलग-अलग कानून अभी लागू हैं और इनमें बहुत विविधता भी है,जो अक्सर मुद्दा बनता रहा है. बता दें कि धार्मिक मामले को लेकर ही अब यूसीसी पर घमासान छिड़ा हुआ है.

Published By: Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar Digital Desk
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