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Rama Ekadashi Vrat Katha: रमा एकादशी व्रत कर रहे हैं तो जरूर पढ‍़ें ये व्रत कथा, शुभ मुहूर्त जानें

Rama Ekadashi Vrat Katha: रमा एकादशी व्रत कर रहे हैं तो पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए यह व्रत कथा जरूर पढ़ें या सुनें. ऐसी मान्यता है कि व्रत कथा के बिना एकादशी व्रत अधूरा होता है.

Rama Ekadashi Vrat Katha: रमा एकादशी व्रत 21 अक्टूबर, शुक्रवार को है. वैसे तो हर महीने 2 एकादशी तिथि पड़ती है और इस तरह से एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि होती है. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. मान्यता है कि एकादशी व्रत करने वाले भक्ताें पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है और वे भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं. रमा एकादशी व्रत का संकल्प लेकर इस दिन विधि-विधान से पूजा की जाती है. पूजा के समय रमा एकादशी व्रत कथा भी पढ़ा या सुना जाता है. जानें रमा एकादशी व्रत कथा, शुभ मुहूर्त, पारण का समय जान लें.

रमा एकादशी शुभ मुहूर्त

रमा एकादशी तिथि- 21 अक्टूबर, शुक्रवार

एकादशी तिथि प्रारंभ- 20 अक्टूबर, गुरुवार, 4:07 बजे, शाम

एकादशी तिथि समाप्त- 21 अक्टूबर, शुक्रवार, 5: 25 बजे, शाम

रमा एकादशी व्रत : उदया तिथि के अनुयार 21 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को रखा जायेगा

रमा एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में मुचुकंद नाम के एक प्रतापी राजा थे. उनकी चंद्रभागा नाम की एक पुत्री थी. राजा ने अपनी बेटी का विवाह राजा चंद्रसेन के बेटे शोभन के साथ कर दिया. शोभन एक समय बिना खाए नहीं रह सकता था. शोभन एक बार कार्तिक मास के महीने में अपनी पत्नी के साथ ससुराल आया, तभी रमा एकादशी व्रत पड़ा. चंद्रभागा के गृह राज्य में सभी रमा एकादशी का नियम पूर्वक व्रत रखते थे और ऐसा ही करने के लिए शोभन से भी कहा गया. शोभन इस बात को लेकर परेशान हो गया कि वह एक पल भी भूखा नहीं रह सकता है तो वह रमा एकादशी का व्रत कैसे कर सकता है. वह इसी परेशानी के साथ पत्नी के पास गया और उपाय बताने के लिए कहा. चंद्रभागा ने कहा कि अगर ऐसा है तो आपको राज्य के बाहर जाना पड़ेगा, क्योंकि राज्य में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो इस व्रत नियम का पालन न करता हो. यहां तक कि इस दिन राज्य के जीव-जंतु भी भोजन नहीं करते हैं. आगे पढ़ें…

आखिरकार शोभन को रमा एकादशी उपवास रखना पड़ा, लेकिन पारण करने से पहले उसकी मृत्यु हो गयी. चंद्रभागा ने पति के साथ खुद को सती नहीं किया और पिता के यहां रहने लगी. उधर एकादशी व्रत के पुण्य से शोभन को अगले जन्म में मंदरांचल पर्वत पर आलीशान राज्य प्राप्त हुआ. एक बार मुचुकुंदपुर के ब्राह्मण तीर्थ यात्रा करते हुए शोभन के दिव्य नगर पहुंचे. उन्होंने सिंहासन पर विराजमान शोभन को देखते ही पहचान लिया. ब्राह्मणों को देखकर शोभन सिंहासन से उठे और पूछा कि यह सब कैसे हुआ. आगे पढ़ें…

तीर्थ यात्रा से लौटकर ब्राह्मणों ने चंद्रभागा को यह बात बताई. चंद्रभागा बहुत खुश हुई और पति के पास जाने के लिए व्याकुल हो उठी. वह वाम ऋषि के आश्रम पहुंची. चंद्रभागा मंदरांचल पर्वत पर पति शोभन के पास पहुंची. अपने एकादशी व्रतों के पुण्य का फल शोभन को देते हुए उसके सिंहासन व राज्य को चिरकाल के लिये स्थिर कर दिया. तभी से मान्यता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है वह ब्रह्महत्या जैसे पाप से मुक्त हो जाता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

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रमा एकादशी 2022 पारण मुहूर्त (Rama Ekadashi 2022 Paran Time)

रामा दकादशी व्रत पारण: रमा एकादशी व्रत का पारण 22 अक्टूबर, दिन शनिवार को प्रात: सूर्योदय के बाद कर सकते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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