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Durga Ashtami 2020 Date, Puja Vidhi, Timings: दुर्गा अष्टमी, निशा पूजा कैसे करें, व्रत और पूजा विधि के साथ जानिए पूजन सामग्री

Durga Ashtami 2020 Date, Puja Vidhi, Timings: इस समय नवरात्र चल रहा है. नवरात्र में नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-आराधना की जाती है. आज सप्तमी तिथि है. इस साल अष्टमी 24 अक्तूबर यानि कल शनिवार को मनाई जाएगी.

Durga Ashtami 2020 Date, Puja Vidhi, Timings: इस समय नवरात्र चल रहा है. नवरात्र में नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-आराधना की जाती है. आज सप्तमी तिथि है. इस साल अष्टमी 24 अक्तूबर यानि कल शनिवार को मनाई जाएगी. इस दौरान मां दुर्गा के भक्‍त माता का आशीष प्राप्‍त करने के लिए नौ दिनों तक व्रत रखते हैं. भक्‍तों के स्‍नेह को देखकर माता रानी प्रसन्‍न होकर भक्‍तों को आशीर्वाद देती हैं. मान्यता है कि नवरात्र में देवी की उपासना करने से भक्‍तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शारदीय नवरात्र की अष्‍टमी-नवमी तिथि को ही व्रत का परायण हो जाता है. इस बार कल अष्‍टमी मां महागौरी की पूजा 24 अक्‍टूबर दिन शनिवार को होगी…

पूजन विधि

महाष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद व्यक्ति को देवी भगवती की पूरे विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. माता की प्रतिमा अच्छे वस्त्रों से सुसज्जित रहनी चाहिए, प्रतिमा को सारे पारंपरिक हथियारों से लैस रहना चाहिए जैसे उनके सिर पर जो छत्र होता है उस पर एक चांदी या सोने की छतरी होनी चाहिए. यज्ञ करने के बाद व्रतियों को कन्या रूपी देवी को भोजन कराने की मान्यता है. इसके बाद उसे उपहार देना चाहिए. कंजक पूजन के बाद देवी भगवती का अपने परिवार के साथ ध्यान करें. मां भगवती से सुख-समृद्धि की कामना करें. इसके बाद ‘या देवी सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता। नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम:’ मंत्र का ग्‍यारह बार जाप करें.

शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि आज है. इस दिन कालरात्रि मां की पूजा होती है. इसी के साथ अष्टमी तिथि भी शुरू हो जाएगी. श्रद्धालु आज रात में महानिशा पूजा करेंगे. वहीं श्रद्धालु महाअष्टमी का उपवास शनिवार यानि कल रखेंगे. माता गौरी से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करेंगे. आज दिन शुक्रवार को सप्तमी तिथि उपरांत अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी. अष्टमी तिथि में ही रात में निशा पूजा करने का विधान है. इन नौ दिनों के दौरान भक्त मां को प्रसन्न करने और उनकी कृपा दृष्टि पाने के लिए व्रत करते हैं. नवरात्रि के नौ दिन तक व्रत किया जाता है.

अष्टमी तिथि को हवन होता है और नवमी वाले दिन कंजक पूजन के साथ नवरात्रि का समापन हो जाता है, जिसके बाद नवरात्रि के व्रत का पारण किया जाता है. वहीं महाअष्टमी का व्रत करने वाले श्रद्धालु उदयातिथि में अष्टमी को मानते हुए अगले दिन शनिवार को व्रत कर उपवास रखेंगे. महानिशा पूजा में साधक तंत्र व मंत्र सिद्धि प्राप्त करते है. साधकों के लिए महानिशा पूजन खास महत्व रखता है. महाअष्टमी का उपवास रखने से श्रद्धालु को माता गौरी की असीम कृपा प्राप्त होती है.

यहां जानिए पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट

लाल चुनरी, आम के पत्‍ते, लाल वस्त्र, मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, नारियल, दुर्गा सप्‍तशती किताब, कलश, साफ चावल, कुमकुम, फूल, फूलों का हार, चालीसा व आरती की किताब, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर, उपले, फल-मिठाई, कलावा, मेवे की खरीदारी जरूर कर लें.

देवी वन्दना मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

News Posted by: Radheshyam Kushwaha

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