Jharkhand News, Hazaribagh News, हजारीबाग : झारखंड के हजारीबाग जिला अंतर्गत बरकट्ठा , ईचाक, पदमा एवं टाटीझरिया प्रखंड में सैकड़ों अवैध पत्थर खदान एवं हजारों क्रशर संचालित है. अवैध पत्थर खदान और क्रेशर से सरकार को लाखों रुपये राजस्व का हर दिन नुकसान उठाना पड़ रहा है. जिले भर में सबसे अधिक पत्थर का कारोबार बरकट्ठा, ईचाक, पदमा, कटकमसांडी और टाटीझरिया प्रखंड में चल रहा है. जिसमें सैकड़ों एकड़ वन विभाग के एरिया में गुपचुप तरीके से पत्थर व्यवसायी पत्थर का उत्खनन कर रहे हैं.
हजारीबाग जिले के ईचाक और बरकट्ठा प्रखंड के वन क्षेत्र में सैकड़ों पत्थर खदान अवैध तरीके से संचालित है. ईचाक प्रखंड के डुमरौन गांव से सटे पुरनी, खरखरवा, चरकीटोंगरी, फुलदाहा, गुड़कुआ, तिलरा, भुसवा, दांगी, सिजुआ, साडम और टेप्सा में 50 से अधिक अवैध रूप से पत्थर खदान संचालित है. वहीं, टाटीझरिया प्रखंड की मुरूमातु समेत दर्जनों अवैध पत्थर खदान संचालित है, जहां हर रोज छोटी-बड़ी घटनाएं घटती रहती है. कई लोगों की जान भी जा चुकी है. दरअसल पत्थर व्यवसायी बाहरी मजदूरों को मरने पर उसका हर संभव शव को छुपाने पर लगे रहते हैं.

अवैध पत्थर उत्खनन को लेकर जिला टास्क फोर्स की टीम के द्वारा कई बार कार्रवाई की गयी. पत्थर खदानों में से हितैची, ट्रैक्टर, कंप्रेसर समेत कई सामग्री को भी जब्त कर उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गयी. क्रशर को सील किया गया. तोड़ा गया. बावजूद कार्रवाई के कुछ दिन बाद ही पत्थर कारोबारी अपने आदतों से बाज नहीं आते एवं फिर स्थानीय प्रशासन की मदद लेकर दोबारा कारोबार को चालू कर देते हैं.
पत्थर व्यवसायी के अवैध धंधा के पीछे खनन विभाग व स्थानीय थाना पुलिस का बड़ा हाथ बताया जाता है. सूत्रों की माने, तो पत्थर व्यवसायी विभाग के अधिकारियों से सांठ- गांठ कर अवैध कारोबार को करते आ रहे हैं. कुछ पदाधिकारियों के बदौलत जिले भर में अवैध कारोबार फल- फूल रहा है. यही कारण है कि कार्रवाई के बाद भी वे बाज नहीं आते और अपनी कारोबार चलाते हैं.
अवैध तरीके से हजारों क्रशर चलने एवं पत्थर खदान में विस्फोट होने के कारण पर्यावरण का खतरा बना रहता है. पत्थर खदान एवं क्रशर संचालित स्थानों के इर्द-गिर्द गांव में बसने वाले कई लोगों की बीमारी का शिकार हो चुके हैं. कई लोगों की जान प्रदूषित हवा के कारण जा चुकी है. अधिकांश लोग टीवी के शिकार हो चुके हैं. खेती पर भी पत्थर के झूल पड़ने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. अधिकांश जमीन बंजर हो चुकी है, लेकिन पत्थर माफिया के भय से गांव में बसने वाले ग्रामीण की जुबान दबी रहती है क्योंकि उनकी शिकायतों पर जिला के अधिकारी सक्रिय रूप से कोई कार्रवाई नहीं करते. नतीजतन घुट- घुट कर अपनी जिंदगी जीने पर ग्रामीण मजबूर हैं.
पदमा प्रखंड में दर्जनों पत्थर खदानों का संचालन अवैध रूप से किया जाता है. प्रशासन की सख्ती के बाद फिलहाल अधिकांश माइंस बंद पड़ा है. जिसमें वन्य प्राणी क्षेत्र और चमेली झरना क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पत्थर माफिया द्वारा अवैध पत्थर खदान शामिल है. लेकिन, पदमा क्षेत्र के कंडादाग, लाटी, दोनयकला, बुंडू बड़गांव में अभी भी चोरी- छिपे अवैध रूप से पत्थर का खदान चलाया जाता है. पत्थर माफिया रात्रि में ही खदानों से पत्थर निकालने का काम करते हैं. इसमें स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता की मिलीभगत को दर्शाता है.
Also Read: हाथियों के झुंड ने हजारीबाग के चरही घाटी में वाहनों को रोका, सरबाहा में मचाया उत्पातपिछले दिनों ही जिला प्रशासन की टीम निवेदन समिति के अध्यक्ष सह विधायक उमाशंकर अकेला सहित कई अन्य विधायकों ने लाटी कंडादाग में संचालित माइंस में छापेमारी कर डीएमओ को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. उसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुआ. इसके अलावा पदमा प्रखंड के अडार, कंडादाग, सूरजपूरा तिलिर, कुटीपीसी नावाडीह क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में अवैध क्रशर का संचालन हो रहा है. हालांकि, पहले की भांति अभी कई क्रशर बंद पड़ा हुआ है.
Posted By : Samir Ranjan.

