10.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Ganga Saptami 2022: गंगा सप्तमी पर बन रहा रवि पुष्य योग, जानें इस दिन का महत्व और पौराणिक कथा

Ganga Saptami 2022: गंगा सप्तमी 8 मई रविवार को है. इस दिन रविवार होने के कारण गंगा सप्तमी का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार रविवार के दिन सप्तमी तिथि का संयोग बनना अत्यंत उत्तम माना जाता है.

Ganga Saptami 2022: गंगा सप्तमी 8 मई को है. वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व है इसलिए इस दिन भक्त देवी गंगा की पूजा करते हैं और गंगा नदी में स्नान करते हैं. गंगा सप्तमी के दिन गंगा में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. इस बार गंगा सप्तमी रविवार के दिन पड़ने के कारण खास संयोग बन रहे हैं जिससे इस दिन का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है. जानें गंगा सप्तमी के दिन कौन से शुभ संयोग बन रहे और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

गंगा सप्तमी के दिन बन रहा रवि पुष्य योग

इस बार वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन सुबह से 8 बजकर 58 मिनट तक रवि पुष्य योग रहेगा. इस दिन रविवार होने के कारण इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार रविवार के दिन सप्तमी तिथि का संयोग बनना अत्यंत उत्तम माना जाता है. इसकी वजह यह है कि सप्तमी तिथि और रविवार दोनों के ही स्वामी सूर्य होते हैं. इस बार गंगा सप्तमी रविवार के दिन पड़ने के कारण भक्तों को सूर्य देव की भी विशेष कृपा प्राप्त होगी.

गंगा सप्तमी शुभ मुहूर्त

गंगा सप्तमी रविवार, मई 8, 2022 को

गंगा सप्तमी मूहूर्त – सबुह 10:57 से दोपहर 01:38 बजे तक

अवधि – 02 घण्टे 41 मिनट्स

सप्तमी तिथि प्रारम्भ – मई 07, 2022 को दोपहर 02:56 बजे से

सप्तमी तिथि समाप्त – मई 08, 2022 को शाम 05:00 बजे

उदया तिथि के कारण गंगा सप्तमी पूजा और व्रत 8 मई को रखे जाएंगे.

गंगा जयंती का महत्व

गंगा सप्तमी का दिन देवी गंगा को समर्पित है. इस दिन को गंगा पूजन तथा गंगा जयन्ती के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन देवी गंगा का पुनर्जन्म हुआ था.

गंगा सप्तमी की पौराणिक कथा जानें

हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन देवी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं. देवी गंगा का प्रवाह इतना तीव्र व शक्तिशाली था कि उसके कारण समूची पृथ्वी का सन्तुलन अनियन्त्रित हो सकता था. अतः देवी गंगा के वेग को नियन्त्रित करने हेतु भगवान शिव ने देवी गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया. कुछ समय पश्चात्, भगवान शिव ने देवी गंगा को जटाओं से मुक्त किया ताकि वह भागीरथ के पूर्वजों की श्रापित आत्माओं को शुद्ध करने का अपना उद्देश्य पूर्ण कर सकें.

ऋषि जाह्नु क्रोधित हो गये औरउन्होंने गंगा का समस्त जल पी लिया

भागीरथ के राज्य की ओर जाते समय, देवी गंगा के शक्तिशाली प्रवाह एवं प्रचण्ड वेग से ऋषि जाह्नु का आश्रम नष्ट हो गया. अतः ऋषि जाह्नु क्रोधित हो गये तथा उन्होंने गंगा का समस्त जल पी लिया. इस घटना के पश्चात्, भागीरथ समेत सभी देवताओं ने ऋषि जाह्नु के समक्ष क्षमा-याचना कर उनसे देवी गंगा को मुक्त करने का आग्रह किया, ताकि देवी गंगा जनकल्याण के अपने उद्देश्य की पूर्ति कर सकें. सभी देवताओं एवं भागीरथ की प्रार्थना से प्रसन्न होकर जाह्नु ऋषि ने गंगा को अपने कान से प्रवाहित कर मुक्त किया.

Also Read: Ganga Saptami 2022: इस दिन मनाई जाएगी गंगा सप्तमी, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त व पूजा विधि
जाह्नु ऋषि ने वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा को मुक्त किया

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जाह्नु ऋषि ने वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अपने कान से गंगा को मुक्त किया था. अतः इस कथा के कारण इस दिन को जाह्नु सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. देवी गंगा को ऋषि जाह्नु की पुत्री जाह्नवी के रूप में भी जाना जाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें