छपरा : कोरोना के खिलाफ जारी जंग में सरकार और प्रशासन का पूरा फोकस अस्पतालों व उनकी व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने में लगा है. छपरा सदर अस्पताल में कोरोना से लड़ने की न तो कोई खास तैयारी दिख रही है न ही अस्पताल प्रबंधन की ओर से कैंपस में व्याप्त अनियमितताओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. बुनियादी सुविधाओं के अभाव में तो पहले ही यह अस्पताल संघर्ष कर रहा था. वहीं आपदा की स्थिति में भी प्रबंधन के घोर लापरवाही के कई मामले सामने आ रहे हैं. चिकित्सकों की लेटलतीफी, दलालों का बढ़ता वर्चस्व, कैंपस में बढ़ती जा रही गंदगी, सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों को नजरअंदाज करना व मरीजों को उचित इलाज नहीं मिलने की समस्याओं का निवारण इस विषम परिस्थिति में अस्पताल प्रबंधन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.
यदि समय रहते व्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं किया गया और कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं. अस्पताल के प्रमुख वार्ड के आसपास गंदगी व जलजमावछपरा सदर अस्पताल में साफ-सफाई और कोरोना के दौरान बरते जाने वाले एहतियात को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है. आइसोलेशन वार्ड में इस्तेमाल किये जा रहे पीपीइ किट्स को बिना सुरक्षित जगह डिस्पोज किये ही अस्पताल परिसर के खुले मैदान में फेंक दिये जा रहे है. इससे संक्रमण का खतरा बना हुआ है. इतना ही नहीं सदर अस्पताल के प्रमुख वार्ड के आसपास काफी गंदगी व जलजमाव की स्थिति बनी हुई है.
अस्पताल प्रबंधक को कुछ दिन पूर्व ही इस बाबत डीएम सुब्रत कुमार सेन ने निर्देश दिये थे. इसके बावजूद भी प्रबंधक के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. अस्पताल प्रबंधन की ओर से लगातार साफ-सफाई व व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बात कही जाती है, लेकिन अस्पताल परिसर में आने के बाद यहां की गंदगी देख जिले के आलाधिकारी व अस्पताल के वरीय अधिकारी भी अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं. इमरजेंसी वार्ड में मरीजों का हो रहा है इलाज सदर अस्पताल में इस समय ओपीडी की सेवाएं बंद है. इमरजेंसी वार्ड में मरीजों का इलाज हो रहा है. ऐसे में जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों से व शहरी क्षेत्र के मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं. इमरजेंसी वार्ड के बाहर कुछ दिन पहले तक सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए एक मानक चिह्न बनाया गया था.
वहीं हाल के दिनों में इलाज कराने आये मरीज यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन नहीं कर रहे हैं. इमरजेंसी वार्ड के बाहर खड़े मरीज एक-दूसरे से काफी नजदीक खड़े हो रहे हैं. जब कोई वरीय पदाधिकारी अस्पताल में पहुंचते हैं तो उस समय वहां मौजूद गार्ड सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन कराने की कवायद तो शुरू कर देते हैं, लेकिन उनके चले जाने के बाद ही पुनः सोशल डिस्टेंसिंग के सभी मापदंडों की अनदेखी शुरू कर दी जाती है.अस्पताल की सुरक्षा पर भी ग्रहण छपरा सदर अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी कोई खास तैयारी नहीं की गयी है. रोजाना सैकड़ों लोगों का यहां आना- जाना लगा रहता है. ऐसे में अस्पताल परिसर में बने आइसोलेशन वार्ड के पास गार्ड की तैनाती नहीं की गयी है.
आइसोलेशन वार्ड तक कोई भी व्यक्ति आसानी से पहुंच सकता है. हाल ही में आइसोलेशन वार्ड में क्वारेंटिन के लिए ठहरे एक विदेशी सैलानी का पूरा सामान चोरी कर लिया गया था. बाद में पुलिस ने अनुसंधान कर सामान सहित चोर को गिरफ्तार कर ली. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़े हो गये थे. वहीं सदर अस्पताल के अलग-अलग भाग में लगे सीसीटीवी कैमरा भी ठीक तरह से काम नहीं करते हैं. कई बार कैमरे की फुटेज भी नजर नहीं आती है. अस्पताल के एंट्रेंस गेट पर भी गार्ड मौजूद नहीं रहते हैं, जिससे कोई भी वाहन आसानी से कैंपस में प्रवेश कर जाता है. कोविड-13 के लिए तैनात एंबुलेंस नहीं हो रहे सैनिटाइज्ड सदर अस्पताल में कोविड-19 के लिए जिन एंबुलेंस को चिह्नित किया गया है, उन्हें सैनिटाइज्ड भी नहीं किया जा रहा है.
एंबुलेंस चालकों का कहना है कि सदर अस्पताल की ओर से कोविड-19 के लिए पांच एंबुलेंस चिह्नित किये गये थे. अलग-अलग क्षेत्रों में जाने के लिए किसी भी एंबुलेंस को ड्यूटी दे दी जा रही है. वहीं एंबुलेंस चालक जब क्षेत्रों से संदिग्ध मरीजों को लेकर वापस लौट रहे हैं तो उनके एंबुलेंस को सैनिटाइज्ड तक नहीं किया जा रहा है. वहीं एंबुलेंस कर्मियों को सैनिटाइजर व मास्क तक उपलब्ध नहीं कराया गया, जिससे संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है. क्या कहते हैं सिविल सर्जनकोरोना के खिलाफ इस जंग में हम पूरी तरह तैयार हैं. अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है. साफ-सफाई व सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों को पूरा करने के लिए अस्पताल कर्मियों को निर्देश दिया गया है. सुरक्षा के लिए गार्ड मौजूद हैं. यदि उनके द्वारा ड्यूटी में लापरवाही बरती जायेगी तो कार्रवाई होगी.डॉ माधेश्वर झा, सीएस, छपरा