10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पश्चिम बंगाल : बोलपुर की तकदीरा बेगम को कांथा सिलाई के लिए पद्मश्री

तकदीरा बेगम ने पुराने कांथा सिलाई को आधुनिक डिजाइन में रूपायित किया. इस परिवर्तन पर उन्हें राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान मिले हैं. तकदीरा बेगम के मुताबिक उन्हें 1995 में नेशनल मेरिट अवॉर्ड, 1996 में नेशनल अवॉर्ड और 2009 में शिल्पगुरु अवॉर्ड मिले हैं.

बीरभूम, मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक और शख्स को चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा जायेगा. कांथा सिलाई करनेवाली तकदीरा बेगम (Takdeera begum) को पद्मश्री के लिए चुना गया है. बोलपुर के जामबनी की रहनेवाली तकदीरा बेगम कांथा सिलाई में माहिर हैं. इस हुनर को देखते हुए उन्हें केंद्र सरकार ने पद्मश्री देने का फैसला किया है. इसका पता चलते ही राज्य के सूक्ष्म, लघु व मध्यम और वस्त्र मामलों के मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने तकदीरा बेगम के घर जाकर उन्हें सम्मानित किया. गुरुवार को कपड़ा मंत्रालय से फोन कर उन्हें यह खुशखबरी दी गयी. पहले तो वह हैरान हुईं. हालांकि, अपने 30 साल के काम को केंद्र से मान्यता पाकर उनकी आंखें नम हो गयीं. अल्पसंख्यक परिवार की इस महिला ने कांथा सिलाई के अपने हुनर की बदौलत खुद को विकसित किया है.

तकदीरा ने कई युवतियों के आत्मनिर्भर बनने के सपने को पूरा किया

कांथा सिलाई से हुई कमाई से उन्होंने अपनी तीन बेटियां ब्याही हैं. उनके वालिद का मूल घर श्रीकृष्णपुर था. बाद में उनके वालिद जयकृष्णपुर में आकर रहने लगे. 10वीं तक तकदीरा की पढ़ाई आउसग्राम के भेदिया गर्ल्स स्कूल में हुई. पांचवीं कक्षा में जब वह थीं, तो सिलाई-कढ़ाई के काम की ओर आकर्षित हुईं. फिर मां के कांथा सिलाई कार्य ने उन्हें पारंपरिक शिक्षा से परे सुई के काम की ओर खींचा. तकदीरा ने कई युवतियों के आत्मनिर्भर बनने के सपने को पूरा किया है. उन्होंने पुराने कांथा सिलाई को आधुनिक डिजाइन में रूपायित किया. इस परिवर्तन पर उन्हें राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान मिले हैं. तकदीरा बेगम के मुताबिक उन्हें 1995 में नेशनल मेरिट अवॉर्ड, 1996 में नेशनल अवॉर्ड और 2009 में शिल्पगुरु अवॉर्ड मिले हैं.

Also Read: 5000 बरगद, आम और जामुन का पेड़ लगाने वाले बंगाल के ‘गाछ दादू’ दुखु माझी को पद्म श्री पुरस्कार
देश के कई स्थानों पर व्यापार मेले में भी गयी

अल्पसंख्यक रूढ़िवादी परिवार की लड़कियां भी अब घर से बाहर निकल कर आत्मनिर्भर हो रही हैं. तकदीरा भी स्वभाव से धार्मिक हैं. वह तीन बार हज कर चुकी हैं. उन्होंने कहा, चेहरे पर घूंघट डाल कर काम करने में उन्हें कभी दिक्कत नहीं हुई. वह देश के कई स्थानों पर व्यापार मेले में भी गयी हैं. कभी बखेड़ा नहीं हुआ. किसी भी अधिकारी ने उनसे कभी चेहरे का घूंघट(बुर्का) हटाने को नहीं कहा. तकदीरा बेगम को पद्मश्री मिलने की खबर से इलाके के लोगों में खुशी है. जिले में रतन कहार, विश्वभारती की पूर्व छात्रा रिजवाना चौधरी बान्या के साथ तकदीरा बेगम को पद्मश्री सम्मान मिलने पर जिलेभर में उत्साह है.

Also Read: Video : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पानागढ़ में जयश्री राम के उद्घोष के साथ भक्तों ने निकाली बाइक रैली

Shinki Singh
Shinki Singh
10 साल से ज्यादा के पत्रकारिता अनुभव के साथ मैंने अपने करियर की शुरुआत Sanmarg से की जहां 7 साल तक फील्ड रिपोर्टिंग, डेस्क की जिम्मेदारियां संभालने के साथ-साथ महिलाओं से जुड़े मुद्दों और राजनीति पर लगातार लिखा. इस दौरान मुझे एंकरिंग और वीडियो एडिटिंग का भी अच्छा अनुभव मिला. बाद में प्रभात खबर से जुड़ने के बाद मेरा फोकस हार्ड न्यूज पर ज्यादा रहा. वहीं लाइफस्टाइल जर्नलिज्म में भी काम करने का मौका मिला और यह मेरे लिये काफी दिलचस्प है. मैं हर खबर के साथ कुछ नया सीखने और खुद को लगातार बेहतर बनाने में यकीन रखती हूं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel