Micro RGB: काफी समय तक OLED टीवी को बेहतरीन पिक्चर क्वालिटी का मानक माना जाता रहा है. OLED पैनल में हर पिक्सल खुद रोशनी देता है और जरूरत पड़ने पर पूरी तरह बंद भी हो सकता है. इसी वजह से इनमें काले रंग बेहद गहरे दिखते हैं और कॉन्ट्रास्ट शानदार होता है, जिससे फिल्में और डार्क सीन देखने में जबरदस्त लगते हैं. क्वांटम डॉट तकनीक वाले OLED टीवी में रंग और भी ज्यादा चटख हो जाते हैं और ब्राइटनेस भी पहले से बेहतर मिलती है.
लेकिन अब Micro RGB नाम की एक नई डिस्प्ले टेक्नोलॉजी चर्चा में है, जिस पर Samsung और LG जैसी बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं. आखिर क्या है ये Micro RGB और OLED से कितना अलग है, आइए आज जानने की कोशिश करते हैं.
क्या है Micro RGB?
Micro RGB को समझना थोड़ा मुश्किल है. पहली नजर में आपको लग सकता है कि यह कोई Micro-LED डिस्प्ले है, लेकिन असल में ऐसा नहीं है. दरअसल, Micro RGB को Mini-LED और Micro-LED के बीच की टेक्नोलॉजी कहा जा सकता है. Mini-LED में हजारों छोटे बैकलाइट होते हैं, जबकि Micro-LED में हर पिक्सल खुद रोशनी देता है.
Micro RGB टीवी में भी बैकलाइट होती है, लेकिन यह सफेद रोशनी की जगह लाल, नीली और हरी (RGB) रोशनी देने वाली बहुत छोटी LEDs से बनी होती है. ये छोटी LEDs जरूरत पड़ने पर बंद हो सकती हैं, लेकिन जब ये जलती हैं तो इनकी रोशनी LCD पिक्सल्स से होकर ही बाहर आती है.
Micro RGB के फायदे
RGB बैकलाइट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे कलर्स काफी ज्यादा चटकीले और रिच दिखते हैं. इसी वजह से Samsung के मुताबिक, उसका Micro RGB टीवी 100% BT.2020 कलर गैमट दिखा सकता है, जो अपने आप में काफी बड़ी बात है. हालांकि, इसमें हर पिक्सल को अलग-अलग कंट्रोल करने की सुविधा नहीं होती, इसलिए ब्लैक कलर उतना गहरा नहीं मिल पाता जितना OLED टीवी में मिलता है.
Micro RGB और OLED में फर्क
इन दोनों में सबसे बड़ा फर्क लाइट और कलर दिखाने के तरीके का है. OLED में बैकलाइट की जरूरत नहीं होती, इसलिए जहां काला रंग दिखाना होता है वहां स्क्रीन पूरी तरह काली हो जाती है और कॉन्ट्रास्ट बहुत शानदार मिलता है.
वहीं Micro RGB में अभी भी LCD परत के साथ बैकलाइट का इस्तेमाल होता है, लेकिन इसमें लाल, नीली और हरी (RGB) LED लगी होती हैं. इसकी वजह से यह ज्यादा तेज रोशनी दिखा पाता है और रंगों की रेंज भी OLED के मुकाबले ज्यादा चौड़ी होती है. इसी कारण माइक्रो RGB उजाले वाले कमरे में टीवी देखने या HDR कंटेंट के लिए ज्यादा बेहतर माना जाता है, जहां ब्राइटनेस ज्यादा मायने रखती है.
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