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दुनिया के सबसे छोटे प्रोग्रामेबल रोबोट्स से मिलिए… रोशनी से चलती, सोचती और तैरती हैं ये सूक्ष्म मशीनें

Smallest Programmable Light Powered Micro Robots: वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे छोटे प्रोग्रामेबल माइक्रो-रोबोट्स बनाये, जो रोशनी से चलते, तैरते और तापमान पहचानते हैं. जानें पूरी कहानी

Smallest Programmable Light Powered Micro Robots: सूक्ष्म तकनीक की दुनिया में एक ऐसा चमत्कार सामने आया है जिसने रोबोटिक्स की परिभाषा ही बदल दी है. पेंसिल की नोक से भी छोटे ये रोबोट न सिर्फ तैर सकते हैं, बल्कि तापमान पहचानते हैं, समूह में काम करते हैं और महीनों तक सिर्फ रोशनी की ऊर्जा पर चलते रहते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के वैज्ञानिकों ने मिलकर इन माइक्रो-रोबोट्स को तैयार किया है, जो आकार में बैक्टीरिया जितने हैं लेकिन दिमाग, सेंसर और मोटर- तीनों से लैस हैं.

1. माइक्रोस्केल पर रोबोटिक्स की सबसे बड़ी छलांग

इलेक्ट्रॉनिक्स भले ही लगातार छोटे होते गए हों, लेकिन रोबोटिक्स इस रफ्तार से नहीं चल पाई. खासकर पानी में स्वतंत्र रूप से चलने वाले माइक्रो-रोबोट बनाना हमेशा चुनौती रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इन नये रोबोट्स ने आकार में 10,000 गुना कमी लाकर एक बिल्कुल नयी श्रेणी की मशीनें पैदा कर दी हैं. ये रोबोट इतने छोटे हैं कि आंखों से मुश्किल से दिखते हैं, लेकिन अपनी दिशा तय करने और प्रतिक्रिया देने में पूरी तरह सक्षम हैं.

2. पानी में तैरने का अनोखा तरीका

इतने छोटे आकार पर पानी किसी गाढ़े शरबत जैसा महसूस होता है. ऐसे में पंखे या पहिए काम नहीं करते. इसलिए इन रोबोट्स ने एक अनोखा तरीका अपनाया- ये पानी को धक्का देने के बजाय उसके आयनों को हिलातेहैं. रोबोट एक इलेक्ट्रिक फील्ड बनाते हैं, जो तरल में मौजूद आयनों को धकेलता है और वही आयन पानी के अणुओं को आगे बढ़ाते हैं. बिना किसी मूविंग पार्ट के यह सिस्टम महीनों तक लगातार काम कर सकता है.

3. रोशनी से चलने वाला दिमाग

इन रोबोट्स का असली जादू उनके माइक्रो-प्रॉसेसर में छिपा है, जो सिर्फ 75 नैनोवॉट ऊर्जा पर चलता है. यह ऊर्जा उन्हें उनके शरीर पर लगे सोलर सेल्स से मिलती है. यही सेल्स रोशनी को ऊर्जा में बदलने के साथ-साथ प्रोग्रामिंग सिग्नल भी रिसीव करते हैं. हर रोबोट का अपना यूनिक आईडी होता है, जिससे वैज्ञानिक उन्हें अलग-अलग निर्देश भेज सकते हैं.

4. तापमान पहचानने की क्षमता

वर्तमान मॉडल में बेहद संवेदनशील तापमान सेंसर लगाये गए हैं, जो एक-तिहाई डिग्री सेल्सियस तक का अंतर पकड़ लेते हैं. तापमान बढ़ने पर ये रोबोट गर्म दिशा की ओर बढ़ते हैं या हल्की-सी ‘विगल’ मूवमेंट करके संकेत देते हैं- यह कुछ वैसा ही जैसा मधुमक्खियों का ‘वैगल डांस’.

5. भविष्य में मेडिकल और मैन्युफैक्चरिंग में क्रांति

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तो बस शुरुआत है. आने वाले समय में ये रोबोट और ज्यादा सेंसर, ज्यादा मेमोरी और ज्यादा जटिल प्रोग्रामिंग के साथ आ सकते हैं. इन्हें शरीर के अंदर दवाइयों की डिलीवरी, माइक्रो-लेवल रिपेयर या इंडस्ट्रियल माइक्रो-मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल किया जा सकता है. साइंस रोबोटिक्स जर्नल के अनुसार, यह तकनीक कई उद्योगों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है.

FAQs

Q1. दुनिया के सबसे छोटे प्रोग्रामेबल रोबोट माइक्रो-रोबोट कितने छोटे हैं?

ये लगभग 0.2 × 0.3 × 0.05 मिलीमीटर के हैं- यानी बैक्टीरिया के आकार के.

Q2. दुनिया के सबसे छोटे प्रोग्रामेबल रोबोट कैसे चलते हैं?

ये पानी में मौजूद आयनों को इलेक्ट्रिक फील्ड से धक्का देकर आगे बढ़ते हैं.

Q3. दुनिया के सबसे छोटे प्रोग्रामेबल रोबोट को ऊर्जा कैसे मिलती है?

इनके शरीर पर लगे सोलर सेल्स रोशनी को ऊर्जा में बदलते हैं.

Q4. दुनिया के सबसे छोटे प्रोग्रामेबल रोबोट क्या प्रोग्राम किये जा सकते हैं?

हां, हर रोबोट का यूनिक आईडी होता है और इन्हें लाइट सिग्नल से प्रोग्राम किया जाता है.

Q5. दुनिया के सबसे छोटे प्रोग्रामेबल रोबोट का भविष्य में कहां उपयोग हो सकता है?

मेडिकल माइक्रो-सर्जरी, दवा डिलीवरी, माइक्रो-मैन्युफैक्चरिंग और पर्यावरण मॉनिटरिंग में.

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Rajeev Kumar
Rajeev Kumar
राजीव, 14 वर्षों से मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में एक्टिव हैं. टेक्नोलॉजी में खास इंटरेस्ट है. इन्होंने एआई, एमएल, आईओटी, टेलीकॉम, गैजेट्स, सहित तकनीक की बदलती दुनिया को नजदीक से देखा, समझा और यूजर्स के लिए उसे आसान भाषा में पेश किया है. वर्तमान में ये टेक-मैटर्स पर रिपोर्ट, रिव्यू, एनालिसिस और एक्सप्लेनर लिखते हैं. ये किसी भी विषय की गहराई में जाकर उसकी परतें उधेड़ने का हुनर रखते हैं. इनकी कलम का संतुलन, कंटेंट को एसईओ फ्रेंडली बनाता और पाठकों के दिलों में उतारता है. जुड़िए [email protected] पर

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