जल्द ही आसमान में नये आकार के एयरोप्लेन ‘फ्लाइंग-वी’ उड़ान भरते हुए देखे जाने वाले हैं. नीदरलैंड की डेल्फ्ट टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी ने विमानों के आकार में बड़ा परिवर्तन करते हुए इसे अंग्रेजी के ‘वी’ अक्षर के आकार का बनाने में सफलता हासिल कर ली है.
इस एयरोप्लेन के कॉमर्शियल उत्पादन के लिए डच एयरलाइन कंपनी ‘केएलएम’ ने डेल्फ्ट टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है. माना जा रहा है कि आने वाले समय में ‘फ्लाइंग-वी’ एयरोप्लेन के इतिहास को पूरी तरह बदल देगा. इस विमान में ईंधन की खपत में 20 फीसदी की कमी आयेगी. 314 पैसेंजर एक बार में इस विमान में यात्रा कर पायेंगे. वर्तमान में कुछ विमानों को छोड़कर अन्य विमानों की क्षमता करीब 300 यात्रियों की ही है.
इस प्रोजेक्ट के लीडर रोल्फ वोस ने कहा कि यह विमान सुरक्षा के सभी मानदंडों पर खरा उतरता है. विमान को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने के लिए हमने इसकी जबर्दस्त टेस्टिंग की है. विमान को हवा के जबर्दस्त दबाव के बीच हाई स्पीड एयर टनल से गुजारा गया है. रोल्फ ने कहा कि यह एयरोप्लेन हमारे अंदाज से ज्यादा दक्ष होगा.
एयरबस ए350 और बोइंग 787 से मुकाबला करेगा ‘फ्लाइंग-वी’
1958 में गिब्सन द्वारा विकसित वी आकार की इलेक्ट्रिक
गिटार जैसी आकृति
20% कम ईंधन का इस्तेमाल करेगा
फ्लाइंग वी किसी से कम नहीं
डाइमेंशन फ्लाइंग वी एयरबस ए350 बोइंग 787
चौड़ाई 215 फुट 212.4 फुट 197 फुट
लंबाई 180 फुट 242 फुट 206 फुट
क्षमता 314 पैसेंजर 325 पैसेंजर 335 पैसेंजर
ऐसा होगा जहाज
डैनों के नीचे बैठने की व्यवस्था
दोनों तरफ से होगी विमान में प्रवेश करने की सुविधा
माना जा रहा है कि विमान के एक तरफ इकोनॉमी और दूसरी तरफ होगा बिजनेस क्लास
डैनों के साथ दिखनेवाला टर्बोफैन जेट इंजन अब फ्लाइंग वी एयरोप्लेन में लगा होगा पीछे
दो तरफ होगा एयरोप्लेन का टेल, हवा में होगा बेहतर संतुलन