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अनशन पर बैठे पूर्व केएलओ आतंकवादी

जलपाईगुड़ी : सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कूचबिहार तथा अलीपुरद्वार दौरे के ठीक पहले केएलओ के पूर्व उग्रवादी तथा लिंकमैन आमरण अनशन पर बैठ गये हैं. इन पूर्व उग्रवादियों ने जलपाईगुड़ी तथा अलीपुरद्वार के सीएमओएच कार्यालय के गाड़ी चालकों को स्थायी करने की मांग की है. यह गाड़ी चालक भी पूर्व केएलओ उग्रवादी ही […]

जलपाईगुड़ी : सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कूचबिहार तथा अलीपुरद्वार दौरे के ठीक पहले केएलओ के पूर्व उग्रवादी तथा लिंकमैन आमरण अनशन पर बैठ गये हैं. इन पूर्व उग्रवादियों ने जलपाईगुड़ी तथा अलीपुरद्वार के सीएमओएच कार्यालय के गाड़ी चालकों को स्थायी करने की मांग की है. यह गाड़ी चालक भी पूर्व केएलओ उग्रवादी ही हैं. कालचीनी से आये एक पूर्व केएलओ उग्रवादी बसंत अधिकारी का कहना है कि वह लोग काफी दिनों से सरकारी गाड़ी चला रहे हैं.
वर्ष 2004 में समाज के मुख्यधारा में शामिल होने के लिए जिला प्रशासन ने उन्हें अस्थायी नौकरी दी थी. तब से लेकर अब तक कई साल बीत गये हैं, लेकिन सरकार की ओर से स्थायीकरण की कोई कोशिश नहीं की गई. सीएमओएच कार्यालय में कार्यरत एक कर्मचारी श्यामल राय का कहना है कि स्थायीकरण नहीं होने की वजह से काफी कम तनख्वाह मिलती है. इतने कम पैसे में संसार चलाना मुश्किल हो रहा है. उसने आगे कहा कि पहले 28 पूर्व केएलओ की नियुक्ति की गई. अब 14 लोग बचे हुए हैं. सभी लोग सीएमओएच कार्यालय में गाड़ी चलाते हैं. अब तक स्थायी नियुक्ति नहीं की गई है. मात्र साढ़े आठ हजार रुपये की तनख्वाह में घर चलाना पड़ रहा है. इसीलिए स्थायीकरण की मांग मुख्यमंत्री से की गई है.
आज अलीपुरद्वार जिले के छह तथा जलपाईगुड़ी जिले के आठ अस्थायी चालक आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं. कुमारग्राम के लालन राय, अलीपुरद्वार-2 ब्लॉक के मोहम्मद गुलाम रब्बानी, मयनागुड़ी के गोविंद राय, सबीन राय, श्यामल चन्द्र राय, नागराकाटा के सस्ती प्रसाद राय, मटेली के कर्णदेव राय, माल के हरिदास बर्मन, कालचीनी के बसंत अधिकारी आदि अनशन पर बैठे हैं. अलीपुरद्वार जिला अस्पताल के चालक सनम राय का कहना है कि सीएमओएच से कई बार इस मद्दे को लेकर कई बार बातचीत की गई, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. वह किसी भी प्रकार की मांग सुनन के लिए तैयार नहीं हैं.
गोविंद राय तथा गुलाम रब्बानी आदि ने कहा कि केएलओ उग्रवादियों तथा लिंकमैनों को समाज के मुख्यधारा में शामिल करने के लिए आरएसबीवाई योजना की शुरूआत की गई. इसके तहत आत्मसमर्पण कर चुके सभी लोगों को गाड़ी चलाने का काम दिया गया. अढाई साल बाद इस योजना को बंद कर दिया गया और सभी चालक ठेके के आधार पर अस्थायी रूप से काम कर रहे हैं. स्थायी नौकरी मिलने पर थोड़ी तनख्वाह भी बढ़ेगी और वह लोग अपना घर-परिवार भी चला सकेंगे.

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