इन्हीं दुकानों में से एक होटल में दोनों बच्चे बंद थे. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आग लगने के बाद बच्चे चिख-पुकार मचा रहे थे. कुछ लोगों ने होटल के गेट में लगे ताले को तोड़कर बचाने की कोशिश भी की, लेकिन सफलता नहीं मिली. दोनों बच्चे तड़प-तड़प कर मर गये. होटल में आने वाले लोग दोनों को ही ‘लालू’ और ‘छोटू’ के नाम से बुलाते थे. कल तक किसी को भी इन दोनों के असली नाम का पता नहीं था. यह दोनों ही राधेश्याम के होटल में काम करते थे. हर दिन ही राधेश्याम होटल बंद करने के बाद दोनों को अंदर छोड़कर बाहर से ताला लगा कर घर चला जाता था.
उसी दिन भी वह ताला बंद कर घर चला गया. गेट पर ताला बंद होने की वजह से आग लगने के बाद बच्चे बाहर नहीं भाग सके. स्थानीय लोगों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, इस होटल में अवैध रूप से शराब की भी बिक्री होती थी. जिस समय अग्निकांड की यह घटना घटी, उस समय होटल में शराब की काफी बोतलें रखी हुई थी. होटल में गैस सेलेंडर नहीं था उसके बाद भी आग के भयावह रूप धारण करने का मुख्य कारण शराब की मौजूदगी को ही बताया जा रहा है. पुलिस हालांकि इस मामले की भी जांच कर रही है. इस बीच, होटल मालिक राधेश्याम महतो का कोई अता-पता नहीं है.
उसके समरनगर स्थित किराये के मकान में ताला लगा हुआ है. आसपास के लोग भी कुछ नहीं बता पा रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जैसे ही आग में दो बच्चों के जल कर मर जाने की जानकारी मिली, वैसे ही राधेश्याम यहां से निकल गया. उसके बाद से वह नहीं लौटा है. वह भी बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला है. दूसरी तरफ विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों ने उसके यथाशीघ्र गिरफ्तारी की मांग की है.
नॉर्थ बंगाल वोलंटियरी फोरम के अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के नेतृत्व में कई स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने एसीपी पिनाकी रंजन मजूमदार से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की गई है. सोमनाथ चटर्जी ने कहा है कि शहर के तमाम ढावों तथा होटलों में श्रम कानून की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है.