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सरकारी नहीं है स्कूल

सिलीगुड़ी हिंदी हाइस्कूल : जुलूस पर भड़के डालमिया, कहा सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी हिंदी हाइस्कूल सरकार के नियंत्रण में नहीं है और इस स्कूल को भाषाई अल्पसंख्यक स्कूल होने का दरजा मिला हुआ है. स्कूल संचालन कमेटी हिंदी हाइस्कूल को चलाने के लिए जो भी निर्णय लेगी, वही मान्य होगा. सरकार इस मामले में दखल नहीं […]

सिलीगुड़ी हिंदी हाइस्कूल : जुलूस पर भड़के डालमिया, कहा
सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी हिंदी हाइस्कूल सरकार के नियंत्रण में नहीं है और इस स्कूल को भाषाई अल्पसंख्यक स्कूल होने का दरजा मिला हुआ है. स्कूल संचालन कमेटी हिंदी हाइस्कूल को चलाने के लिए जो भी निर्णय लेगी, वही मान्य होगा. सरकार इस मामले में दखल नहीं दे सकती, क्योंकि यह सरकारी स्कूल नहीं है.
यह दावा हिंदी हाइस्कूल संचालन समिति के प्रवक्ता सीताराम डालमिया ने किया है. एक विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि स्कूल पर किसी भी प्रकार के सरकारी नियम कानून लागू नहीं होते. स्कूल पर सरकारी कब्जे को लेकर वर्ष 1998 से लेकर कोर्ट में कई मामले दायर हुए, कोर्ट के सभी फैसले स्कूल संचालन कमेटी के पक्ष में आये हैं.
कलकत्ता हाइकोर्ट ने वर्ष 2004 तथा वर्ष 2008 में जो फैसले दिये, उससे स्पष्ट तौर पर स्कूल संचालन समिति को ही मान्यता दी गयी है. श्री डालमिया ने हिंदी हाइस्कूल के मुद्दे पर गुरुवार को विभिन्न संगठनों द्वारा निकाले गये जुलूस की भी कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि अगर 5000 लोग कल को नयी दिल्ली में जंतर-मंतर पर जुलूस निकाल कर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करें, तो क्या प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर स्कूल संचालन समिति द्वारा सरकारी स्कूल पर कब्जा कर लिया गया है, तो सरकार कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती. स्कूल संचालन समिति ने जिन दो शिक्षकों को काम से निकाला है उनकी नियुक्ति स्कूल संचालन समिति ने की थी और अनुशासनहीनता के कारण समिति ने ही उन्हें निकाला है. अगर स्कूल सरकारी है, तो दोनों को फिर से काम पर बहाल होने के लिए सरकार से गुहार लगानी चाहिए. श्री डालमिया ने कहा कि कुछ दिनों पहले दाजिर्लिंग के जिला शासक ने शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 240 रुपये फीस लेने का निर्देश स्कूल संचालन समिति को दिया था.
बाद में उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने अपने निर्देश वापस ले लिये. इससे जाहिर है कि यह स्कूल सरकारी नहीं है. श्री डालमिया ने कहा कि स्कूल को संचालन समिति द्वारा चलाया जा रहा है और हर महीने तनख्वाह व अन्य मदों में एक लाख 65 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इस खर्च को स्कूल में पढ़ रहे छात्रों से लेकर ही पूरा कर पाना संभव है. उन्होंने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि छात्रों से अधिक फीस लिये जा रहे हैं. साल भर में 18 सौ रुपये फीस के रूप में लिये जाते हैं.
इसके बाद भी इस मामले को इतना बड़ा बना दिया गया है. उन्होंने गाजिर्यन फोरम के अध्यक्ष संदीपन भट्टाचार्य की भी कड़ी आलोचना की और कहा कि उनके बहकावे में आकर कुछ छात्र व अन्य संगठन स्कूल का माहौल खराब कर रहे हैं. इसका असर पढ़ाई पर हो रहा है. उन्होंने संदीपन भट्टाचार्य से सवाल किया : उनका कोई भी बच्च हिंदी हाइस्कूल में पढ़ाई नहीं करता. ऐसे में भला वह कैसे गाजिर्यन हो सकते हैं और गाजिर्यन फोरम बनाकर अध्यक्ष बन सकते हैं. उन्होंने संदीपन भट्टाचार्य पर आंदोलन के नाम पर छात्रों से पैसे हड़पने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि वह इससे पहले 10 लाख रुपये वसूल चुके हैं और आने वाले दिनों में भी इसी तरह से अवैध उगाही करना चाहते हैं. उनके इस प्रयास को वह कभी भी सफल नहीं होने देंगे. श्री डालमिया ने बताया कि अगर हमने स्कूल पर कब्जा कर लिया है, तो सरकार अब तक हमें क्यों नहीं पकड़ रही है. स्कूल संचालन समिति हर काम कानून के तहत कर रही है और आनेवाले दिनों में भी कानून के अनुसार ही स्कूल को चलाने का काम होगा. अगर वह गलत होते तो पुलिस अब तक उन पर कई धाराएं लगाकर जेल भेज चुकी होती. प्रशासन को भी यह पता है कि यह स्कूल सरकारी नहीं है.

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